विश्व हिंदू परिषद् (विहिप) ने छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में धार्मिक उपयोग के लिए स्कूल बसों का प्रयोग करने पर और सांता द्वारा बच्चों को चॉकलेट देने पर आपत्ति जताई है। इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद् के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि देवी सरस्वती की पूजा की जाए और इसकी व्यवस्था कैथोलिक स्कूलों में भी की जाए। किस व्यक्ति को किस धर्म का पालन करना है इसकी आजादी हमें संविधान के द्वारा प्रदान की गई है और अगर कोई इसे प्रभावित करता है तो यह स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।
मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब बस्तर जिले में ईसाइयों ने जगदलपुर सूबा बिशप मार जोसेफ कोलामपरम्बिल स्कूल में वार्षिक कार्यक्रम के दौरान इस बात की चर्चा की कि किस प्रकार से पोप फ्रांसिस ने केरल से ताल्लुक रखने वाले फादर कुरूयाकोसे एलियास चवारा और सिस्टर यूफरासिया को वेटिकन में संत घोषित किया। उन्होंने किस प्रकार से 19वीं शताब्दी में शिक्षा का विस्तार किया। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि हर स्कूल के साथ एक चर्च को जोड़ दिया गया और ऐसा ही कुछ करने की आवश्यकता बस्तर जिले में है।
इसके बाद विश्व हिंदू परिषद् ने इसे सांप्रदायिकता और संक्रीणता से जुड़ा हुआ बताया। उन्होंने इस बारे में मुख्यमंत्री रमन सिंह को पत्र भी लिखा और उनसे इसे मामले में दखल की मांग की। उन्होंने कहा इस प्रकार से गैर ईसाई लोगों पर धर्म के लिए दवाब बनाया जा रहा है। वहीं जगदलपुर जिले के प्रवक्ता और पादरी जनरल अब्राहम कनमपाला का कहना है कि इस बारे में हम विश्व हिंदू परिषद् से बात करना चाहते थे और उनके संशय को खत्म करना चाहते थे।
इसके बाद 21-22 नवंबर को इस संबंध में बैठक हुई जिसमें 12 बीएचपी कार्यकर्ताओं ने कनमपाला से मुलाकात की और अपनी मांगें रखीं। इनमें से कुछ को मान लिया गया है लेकिन कुछ को मानने से कनमपाला ने इंकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमारी सोच सबको साथ लेकर चलने की है और अगर कोई छात्र फादर की जगह प्रिंसिपल, प्राचार्य, उपप्राचार्य या सर कहकर बुलाना चाहता है तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। इसके साथ ही हम देवी सरस्वती और महान नेताओं की तस्वीर स्कूल में लगाने के लिए तैयार हैं। माना जा रहा है कि फादर की पहल के बाद बीएचपी के सुरेश यादव और कनमपाला का संयुक्त रूप से कोई बयान आ सकता है।
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