अलीगढ़ में क्रिसमस पर प्रस्तावित 'घर वापसी' (धर्म परिवर्तन) के कार्यक्रम को संघ परिवार हर कीमत पर करने पर आमादा है। विश्व हिंदू परिषद ने को एलान कर दिया कि सरकार ने कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
विहिप के ब्रज प्रांत अध्यक्ष प्रमोद जाजू ने शुक्रवार को कासगंज में कहा कि इस कार्यक्रम को धर्मांतरण कहना गलत है, क्योंकि हम सिर्फ उन लोगों को वापस बुला रहे हैं, जो पूर्व में विभिन्न कारणों से हिंदू धर्म को छोड़ गए थे। लिहाजा, यह घर वापसी कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ का कार्यक्रम तय है, जिसमें कोई तब्दीली नहीं होगी।
संघ परिवार की गुरिल्ला नीति सबसे सफल रणनीति मानी जाती है। जब भी विवादित कार्यक्रम हुए, संघ परिवार ने इसी रणनीति का सहारा लिया। तैयारी यह है कि अगर सरकार कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाती है और हिंदू नेताओं की गिरफ्तारी होती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। इसके लिए दो-दो तीन-तीन टीमें तैयार की जा रही हैं। अगर प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी भी हो जाती है, तब भी कार्यक्रम में लोग पहुंचेंगे। चाहे भेष बदलकर जाना पड़े या अन्य किसी भी तरह, मगर कार्यक्रम जरूर होगा।
अलीगढ़ जैसा ही कार्यक्रम पिछले वर्ष क्रिसमस के दिन यहां कछला गंगा घाट पर हो चुका है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के 11 जिलों से आए 5500 लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया था।
जबसे धर्मांतरण का मुद्दा सुर्खियों में आया है, सरकारी मशीनरी हरकत में है। गृह सचिव ने पिछले वर्षों में एटा-कासगंज में हुए धर्मांतरण कार्यक्रमों की रिपोर्ट मांगी है। यह जानकारी भी भेजने को कहा गया है कि धर्म जागरण समिति का नेटवर्क कैसा है। कौन-कौन लोग इससे जुड़े हैं। इस पर खुफिया तंत्र सभी जानकारी जुटा रहा है।
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