केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने सचिवों के एक समूह की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए गंगा संरक्षण कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जिसमें तीन समूह, सात उद्देश्य और 21 बिन्दु शामिल होंगे।
गंगा के अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए गठित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और सात आईआईटी के संकायों की एक समिति इस महीने के अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपेगी। मंत्री ने केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूडी) को गैर मानसून सीजन के दौरान गंगा, यमुना और उसकी सहायक नदियों के पास जलाश्यों का निर्माण करने के लिए योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
गंगा और यमुना की सफाई सुनिश्चित करने के लिए सीडब्ल्यूसी विशेषज्ञों की 41 टीमों ने इन नदियों में खुले नालों के गिरने के प्रभाव और सीवेज प्रशोधन संयंत्रों (एसटीपी) की स्थिति का जायजा लेने के लिए कई स्थानों का दौरा किया। नए एसटीपी स्थापित करने और मौजूदा एसटीपी के आधुनिकीकरण के लिए उपायों के बारे में सलाह देने के लिए तीन विशेषज्ञ टीम गठित की गई हैं। ये समितियां अब तक 18 प्रमुख सुझावों की जांच पड़ताल कर चुकी हैं। नदी के आगे के भाग के विकास और घाटों के सौन्दर्यीकरण के लिए डीपीआर ने दिल्ली और हरिद्वार में इस तरह के दो घाट तैयार किए हैं। मथुरा, वृंदावन और अन्य स्थानों पर पीपीपी प्रणाली में घाटों के विकास के लिए जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
गंगा संरक्षण कार्यक्रम का समुचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए गंगा कार्यबल गठित करने का निर्णय लिया गया है। रक्षा मंत्रालय इसके लिए श्रमशक्ति उपलब्ध कराएगा।
0 comments :
Post a Comment