पेटेंड, डिजाइन और व्यापार चिह्न महानियंत्रक ने अभी तक एक औषधि विनिर्माता कंपनी अर्थात मैसर्स नैटको फार्मा लिमिटेड को कैंसर रोधी दवा के लिए अनिवार्य लाइसेंस प्रदान किया है।
इस दवा में ‘सोराफिनीब टोसिलेट’ घटक मौजूद है और इसका गुर्दे और जिगर के कैंसर के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह स्वीकृति पेटेंट अधिनियम 1970 (यथा संशोधित) की धारा-84 के तहत दी गई है। यह पेटेंट मूल रूप से भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा मैसर्स बेयर कोरपोरेशन, यूएसए को दिया गया था।
यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमण ने लोक सभा में दी।
अनिवार्य लाइसेंस के प्रावधान पेटेंट अधिनियम में मौजूद हैं और ये प्रावधान उचित स्थिति में लागू किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जनवरी 2013 में भारत में औषधियों के अनिवार्य लाइसेंसिंग का प्रावधान शुरू करने के लिए गठित समिति की बैठक का कार्यवृत्त इस विभाग को भेजा था। इस कार्यवृत्त में सिफारिश की गई थी कि पेटेंट अधिनियम 1970 की धारा 92 के प्रावधानों के अनुसार तीन औषधियों- हर्सेप्टिन, डेसाटिनिब और एलजाबिपाइलोन को अनिवार्य लाइसेंसिंग के तहत लाया जाये।
इस विभाग ने इस सिफारिश की विस्तृत जांच की और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से संबंधित सूचना भेजने का अनुरोध किया। इसके बाद पेटेंटी ने हर्सेप्टिन के पेटेंट का नवीकरण नहीं किया तथा एलजाबिपाइलोन को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा असुरक्षित पाया गया। इसके बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से डेसाटिनिब के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी गई।
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