भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि जिन हिंदुओं को जबरदस्ती अन्य धर्मो में शामिल कर लिया गया है, अगर वे अपने फिर से हिंदू धर्म में वापस आना चाहते हैं तो इसमें सरकार को सहयोग करना चाहिए और ऐसे लोगों का स्वागत होना चाहिए। 21वीं सदी के युवा सांसद ने सर्द मौसम में ठिठुरते संतों में गर्मी भरने का प्रयास भी किया। बिहार के वैशाली जिले के वैशाली गढ़ में धर्म जागरण मंच द्वारा आयोजित 'संत समागम' में सांसद आदित्यनाथ ने संतों को एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि वर्ष 1992 में संत एकजुट हुए थे तो उनकी शक्ति विश्व ने देखी थी और बाबरी मस्जिद का ढांचा धूल में मिल गया था।
आज एक बार फिर भारत विरोधी ढांचों को ध्वस्त करने के लिए संतों को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के 15 लाख संत अगर देश के 6.23 लाख गांवों में निकल जाएं तो उस क्षेत्र में पादरी और मौलवी कुछ नहीं कर पाएंगे। आजादी के बाद या पहले जितने लोगों का धर्म-परिवर्तन कराया गया है, उन्हें पुन: अपने धर्म में लाने का कार्य किया जाएगा। सांसद ने हालांकि जबरदस्ती धर्म-परिवर्तन को गलत बताया और कहा कि सरकार को धर्म-परिवर्तन बंद करना चाहिए और इसके लिए कानून भी बनना चाहिए, परंतु ऐसे लोगों का स्वागत भी करना चाहिए जिन्हें पूर्व में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराया गया है और वे हिंदू धर्म में वापसी कर रहे हैं।
उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए कहा कि आज इस विश्वविद्यालय को पुन: स्थापित किया जा रहा है, लेकिन इसके समाप्त होने के कारणों पर विचार नहीं किया जा रहा है। भाजपा सांसद ने बिहार सरकार पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप लगाते हुए कहा कि आज उनके पास मदरसों के विकास के लिए पैसा है, लेकिन सामान्य विद्यालयों के विकास के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड का पैसा हिंदू संगठनों के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इस समागम में बिहार के विभिन्न मंदिरों और मठों के 2,200 संत समेत देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में साधु-संत पहुंचे।
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