रेल यात्रियों के लिए सुरक्षा हेल्पलाईन 1800-111-322 शुरू

भारतीय रेल ने रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाएं हैं। पूरे देश में रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे बोर्ड में 24 घंटे की अवधि वाली एक सुरक्षा हेल्पलाईन 1800-111-322 शुरू की जा चुकी है। यह हेल्पलाईन रेल यात्रियों को किसी भी तरह की आकस्मिक स्थितियों के मद्देनजर शिकायत दर्ज कराने में मददगार हैं। 

रेलवे सुरक्षा बल कुछ जोखिम वाले और चिह्नित मार्गों पर प्रत्येक दिन 1300 रेल गाड़ियों को सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा 2200 रेल गाड़ियों की सुरक्षा विभिन्न राज्यों की सरकारी रेलवे पुलिस करती हैं। बड़े-बड़े महानगरों में सभी महिला विशेष रेलगाड़ियों की सुरक्षा आरपीएफ की महिला कॉन्स्टेबल करती है ताकि महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। 

देश में 202 से अधिक संवेदनशील रेलवे स्टेशनों पर निगरानी प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए एक समन्वित सुरक्षा प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसमें क्लोज सर्किट टेलीविजन कैमरो का नेटवर्क, ऐक्सेस कंट्रोल और विध्वंसक गतिविधियों से निपटने के लिए समुचित उपाए किए गए। भारतीय रेल की सुरक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए रेल मंत्रालय ने विधि एवं कानून तथा गृह मंत्रालय की अनुमति से रेलवे सुरक्षा बल अधिनियम में संशोधन सम्बंधी एक प्रस्ताव भेजा है। इससे रेल यात्रियों के साथ होने वाले गंभीर अपराधों से निपटने में आरपीएफ को और अधिक शक्तियां प्राप्त होंगी। 

प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा 25-27 नवंबर 2014 के परिणाम

1. मोटर वाहन समझौता ज्ञापन तथा काठमांडू–दिल्ली के बीच पशुपति नाथ एक्सप्रेस बस सेवा की शुरुआत- भारत नेपाल के बीच यात्रियों की सुचारु आवाजाही के लिए निर्धारित मार्गों, ट्रिपों और समय सारणी के अनुसार नियमित बस सेवा शुरु करने के लिए द्विपक्षीय मोटर व्हीकल समझौता हुआ। इस समझौते से दोनों देशों के बीच निजी और गैर नियमित वाहनों के आने जाने की प्रक्रिया आसान होगी। इस समझौते से दोनों देशों के वाहन तथा पर्यटक बिना बाधा के एक दूसरे की सीमा में आ जा सकेंगे। 

इससे दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी सम्पर्क और पर्यटन में वृद्धि होगी। यह समझौता सार्क समझौते के मॉडल पर आधारित है। शुरुआती तौर पर इन तीन मार्गों पर बस सेवा की शुरुआत होगी। 

1. काठमांडू-भैरहवा-सुनौली-गोरखपुर, लखनऊ-नई-दिल्ली 

2. काठमांडू-भैरहवा-सुनौली-आजमगढ़-वाराणसी और 

3. पोखरा-भैरहवा-सुनौली-गोरखपुर-लखनऊ-नई-दिल्ली 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू दिल्ली के बीच 'पशुपति एक्सप्रेस' बस सेवा को झड़ी दिखाकर रवाना किया। इस सेवा के लिए सभी आवश्यक मानदंड पूरे हो जाने के बाद इस बस सेवा को दैनिक अथवा एक दिन छोड़कर संचालित किया जाएगा। 

2. राष्ट्रीय पुलिस अकादमी पर समझौता ज्ञापन, पनौती– पनौती में प्रस्तावित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी काठमांडू से लगभग 32 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित होगी। 25 हेक्टेयर क्षेत्र मे इसका निर्माण किया जायेगा। समझौता ज्ञापन के अनुसार भारत सरकार ने इस अकादमी के लिए 550 करोड़ रुपये का निर्माण राशि का कोष निर्धारित किया है। इससे पहले हैदराबाद-स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की सहायता से इस अकादमी का व्यावहारियता मूल्‍याकंन किया गया। नेपाल सरकार की एमएचए इस संयुक्त परियोजना निगरानी समिति जेपीएमसी अकादमी के लिए कार्यकारी एंजेसी होगी और संयुक्त परियोजना निगरानी समिति में भारत सरकार के नामित अधिकारियों के साथ सहयोग करेगी। इस समय भारत में नेपाल पुलिस के लगभग 350 अधिकारी प्रतिवर्ष प्रशिक्षण ले रहें है। प्रस्‍तावित अकादमी वार्षिक आधार पर नेपाल के 410 पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देगी। 

3. नेपाल को एक अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण –एक्जिम बैंक से नेपाल सरकार को एक अरब अमरीका डॉलर तक का ऋण मिल सकेगा। इस राशि का उपयोग जलविद्युत, सिंचाई और बुनियादी-ढ़ांचा विकास परियोजना के लिए किया जा सकेगा। इस बात की घोषणा प्रधानमंत्री ने अगस्त 2014 की अपनी नेपाल यात्रा के दौरान की थी। इस घोषणा से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधो के और मजबूत होने और व्यापार और वाणिज्य में वृद्धि होने की उम्‍मीद है। इस ऋण सीमा के लिए ब्याज दर रियायती आधार पर एक प्रतिशत होगी। सार्वजनिक कार्यो के अन्तर्गत संयुक्त योजनाओं-जेवीएस के लिए भारतीय सहायता 50 प्रतिशत रहेगी। 

4. आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और नेपाल के स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय के बीच चिकित्‍सा की पारम्परिक प्रणाली के सहयोग पर समझौता-दोनों देशों के बीच समानता और आपसी लाभ पर आधारित समझौता किया गया है जिसका उद्देश्य है औषधि और औषध संयंत्रों की पारम्परिक प्रणाली पर सहयोग मजबूत, संवर्धित और विकसित करना। इसके अलावा परस्पर मान्यता पर आधारित औषधि पद्धति, पारम्परिक औषधि पद्धति में शिक्षा को मान्यता प्राप्त संस्थानों में स्कॉलरशिप का प्रावधान करना है, दोनो देशों के प्रभावी कानूनों के आधार पर पारम्परिक आधार पर आपसी व्यवस्था का निर्धारण कर कुशल चिकित्सकों के प्रैक्टिस करने की संभावना पर विचार करना है। 

5. पर्यटन क्षेत्र में सहयोग पर समझौता – भारत और नेपाल दोनों ने पर्यटन और आवभगत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। इसके अनुसार - 

पर्यटन और आवभगत उद्योग में हितधारकों के बीच सीधे सम्पर्क और सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। 

पर्यटन संबधी सूचनाओं और आकड़ों का आदान-प्रदान। 

पर्यटन क्षेत्र के हितधारकों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना 

इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विपणन और अनुभवों का आपसी आदान-प्रदान। 

एक संयुक्त कार्यकारी समूह का गठन। 

भारत और नेपाल पड़ोसी होने के नाते पर्यटन क्षेत्र में एक दूसरे को महत्वपूर्ण सहयोग कर सकते है। दोनों देशों के बीच पर्यटकों की आवाजाही में बढ़ोतरी हो रही है, दोनों देश पर्यटकों के आकर्षण के लिए अन्योन्याश्रित हैं। 

इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के पर्याप्त दोहन के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। दोनों देशों में छुट्टिओं के दौरान की जाने वाली यात्राओं के अलावा भी साहसिक, पर्वतारोहण पर्यटन तथा आध्यत्मिक पर्यटन में काफी संभावना है- जैसे बुद्ध सर्किट- लुम्बिनी-बोधगया-सारनाथ-कुशीनगर पर्यटन बढ़ने की अपार संभावना विद्यमान है। समझौते के बाद संयुक्त कार्य समूह के गठन पर हस्ताक्षर से इस पैकेज पर्यटनपर सहयोग में वृद्धि में मदद मिलेगी। 

वर्तमान में नेपाल में आनेवाले पर्यटकों की बड़ी संख्या का स्रोत भारत है। 2012 में भारत से 165,815 पर्यटक नेपाल गए। जबकि इसी वर्ष में नेपाल मे आने वाले कुल पर्यटकों की संख्या 803,092 रही। इस प्रकार भारत ने यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान किया। 

6-8. काठमांडू–वाराणसी, जनकपुर-अयोध्या और लुम्बिनी-बोधगया को सिस्टर सिटी के रुप में स्थापित करने के प्रबंध - काठमांडू –वाराणसी, जनकपुर-अयोध्या और लुम्बिनी-बोधगया के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए इन्हें सिस्टर सिटी के रुप में जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। भगवान पशुपति नाथ मंदिर की नगरी काठमांडू और काशी-विश्वनाथ की नगरी-वाराणसी को सिस्टर सिटी बनाने का प्रस्ताव है। वाराणसी को भारत की पवित्र नगरी के रुप में जाना जाता है। इस शहर को ऋग्‍वेद में भगवान शिव का प्रिय स्थल बताया गया है। प्राचीन समय में इस शहर को काशी अथवा शिव की नगरी भी कहा जाता था। एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय में से एक बनारस हिन्दू विश्वविघालय यहां स्थित है जबकि नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू को सबसे पवित्र शिव तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है। प्राचीन काल से ही काठमांडू और नेपाल के लोग धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक एवं धर्मो के आधार पर वाराणसी से जुड़े है। नेपाल के बहुत से जाने माने प्रसिद्ध व्‍यक्ति बनारस हिन्दू विश्वविघालय के छात्र रहे है। हिन्दू धार्मिक महाकाव्य रामायण में वर्णित अयोध्या, भगवान राम का जन्म स्थल है और सीता के जन्म स्थल के रुप में प्रसिद्ध, जनकपुर की सिस्टर सिटी बनने के लिए एकदम उपयुक्त है। जनकपुर में राम-जानकी मंदिर प्रसिद्ध है। प्रत्येक पांच वर्ष में एक (धार्मिक) बारात अयोध्या से जनकपुर जाती है। महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली लुम्बिनी और महात्मा बुद्ध का ज्ञान प्राप्ति स्‍थल बोधगया आपस में सिस्टर सिटी बनने के लिए एकदम उपयुक्त है। 

इस संबंध से इन शहरों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, जानकारियों और विशेषज्ञता को साझा करने के साथ साथ लोगों के बीच आपसी सम्पर्क को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

प्रधानमंत्री की 25- 28 नवम्बर 2014 की यात्रा, इन समझौते पर हस्ताक्षर के लिए उपयुक्त अवसर रही। 

9. भारत और नेपाल के बीच युवाओं के आदान-प्रदान पर सहमति करार- युवा मामले और खेल मंत्रालय तथा नेपाल के खेल और युवा मामले मंत्रालय के बीच इस सहमति करार से दोनों देशों के बीच युवाओं जैसे नेताओं, उद्यमियों, डॉक्‍टरों, पत्रकारों, शिक्षकों, खिलाडि़यों का आदान-प्रदान और युवा महोत्‍सव शुरू हो सकेंगे। युवाओं के इस आदान-प्रदान का उद्देश्‍य कार्यक्रमों, अनुभवों, कौशल, तकनीकों और जानकारों को साझा करना है। 

10. एसजेवीएन और नेपाल सरकार के बीच 900 मेगावाट की अरूण- तृतीय पनविद्युत परियोजना के लिए पीडीए पर हस्‍ताक्षर- प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान एसजेवीएन और नेपाल सरकार के बीच 900 मेगावाट की अरूण- तृतीय पनविद्युत परियोजना विकास समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए। 

11. आपात और ट्रामा केन्‍द्र- भारत सरकार ने वर्ष 2003 में काठमांडू में नेपाल भारत मैत्री आपात और ट्रामा केन्‍द्र की स्‍थापना के समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए थे। 200 बिस्‍तरों वाले इस 8 मंजिला केन्‍द्र की स्‍थापना पर 100 करोड़ रुपये की लागत आयी। प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान संयुक्‍त रूप से इस केन्‍द्र का उद्घाटन किया। 

12. नेपाल की सेना को ध्रुव एडवांस्‍ड लाइट हेलीकॉप्‍टर मार्क- तीन की आपूर्ति- प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान नेपाली सेना को ध्रुव एडवांस्‍ड लाइट हेलिकॉप्‍टर मार्क- तीन सौंपा। नेपाल की सेना लंबे समय से इस हेलीकॉप्‍टर की आपूर्ति का अनुरोध कर रही थी। इस हेलिकॉप्‍टर का निर्माण और विकास एचएएल द्वारा किया गया है। ध्रुव- एएलएच का नामकरण ध्रुवतारे के नाम पर किया गया है। इस 5.5 टन वज़न के हे‍लीकॉप्‍टर का प्रयोग विभिन्‍न भूमिकाओं में और कई प्रकार के अभियानों के लिए किया जा सकता है। इस हेलीकॉप्‍टर का डिजाइन सैन्‍य और नागरिक आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें दो ईंजन लगे है, जिससे यह लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम है। इसमें लगे टर्बो शाफ्ट र्इंजन की शक्ति के चलते यह 5500 किग्रा वजन के साथ उडान भर सकता है। इसके अलावा इस हेलीकॉप्‍टर में कई उन्‍नत तकनीकों का इस्‍तेमाल किया गया है। 

13. बोधगया मंदिर से बोधि वृक्ष के पौधे का उपहार- प्रधानमंत्री ने बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर से बोधि वृक्ष का एक पौधा उपहार में दिया है। इस पौधे को लुम्बिनी में माया देवी मंदिर परिसर में अशोका स्‍तंभ के नजदीक लगाया जाएगा। यह पौधा दोनों देशों के बीच साझा सभ्‍यता और सांस्‍कृतिक धरोहर का प्र‍तीक है। साथ ही शांति, मित्रता और साझा मूल्‍यों का संदेश देता है। इस पौधे को प्रधानमंत्री की यात्रा के तत्‍काल बाद राजदूत द्वारा रोपा जाएगा। 

14- नेपाल में 500 और 1000 के नोटों को चलन में लाया जाना- प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान घोषणा की कि भारत सरकार नेपाल में 500 और 1000 के भारतीय नोटों पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार कर रही हैं। यह प्रतिबंध वहां मई, 2000 से लागू है। नेपाली सरकार भी लगातार इस प्रति‍बंध को हटाने की मांग करती रही है। इस प्रतिबंध के हटने से मुद्रा सुविधाओं में इजाफा होगा साथ ही लोगों की सीमापार अबाध आवाजाही और पर्यटन बढ़ावा मिलेगा । 15- मृदा परीक्षण मोबाइल परीक्षणशाला का उपहार- प्रधानमंत्री ने नवम्‍बर, 2014 की अपनी यात्रा के दौरान नेपाल सरकार को मृदा परीक्षण मोबाइल परीक्षणशाला वैन उपहार में दी है। यह वैन पारादीप फॉस्‍फेट-पीपीएल की ओर भेंट थी। पीपीएल लम्‍बे समय से नेपाल को डीएपी उर्वरकों की आपूर्ति करता रहा है। प्रारंभिक तौर पर यह आपूर्ति सरकार से सरकार के बीच आधार पर शुरू की गई थी। पहले नेपाली अधिकारी मृदा परीक्षण और कृषि के प्रशि‍क्षण के लिए भारत आते थे। इस मोबाइल परीक्षणशाला के मिलने से नेपाल में मृदा स्‍वास्‍थ्‍य की निगरानी और श्रेष्‍ठ कृषि पद्तियों को अपनाने में मदद मिलेगी। पीपीएल के अध्‍यक्ष और फिक्‍की के पूर्व अध्‍यक्ष श्री सरोज कुमार पोद्दार इस वैन को सौंपे जाने के समय वहां उपस्थित थे। 

16- नेपाल में विद्युत आपूर्ति में सुधार के लिए करार- नेपाल सरकार ने भारत सरकार से विद्युत आपूर्ति में 70 मेगावाट की वृद्धि के लिए सार्क सम्‍मेलन से पहले अनुरोध किया था। दोनों देशों के बीच संयुक्‍त कार्य समूह की पहली बैठक के दौरान नवम्‍बर, 2014 में इस विषय पर चर्चा की गई। इस समूह का गठन भारत-नेपाल विद्युत व्‍यापार समझौता-अक्‍टूबर 2014 के तहत किया गया था। नेपाल के अनुरोध को स्‍वीकार करते हुए, उसे 70 मेगावाट बिजली की अतिरिक्‍त आपूर्ति नवम्‍बर, 2014 के तीसरे सप्ताह से शुरू कर दी गई। 

गंगा की सफाई सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा शीघ्र – उमा भारती

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा संरक्षण के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को 21 बिंदु विचारार्थ भेजे हैं। विश्व वन्यजीव कोष द्वारा आयोजित भारत नदी सप्ताह, 2014 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि गंगा में शोधित या अशोधित, किसी भी प्रकार का जल न जाए। सुश्री भारती ने उद्योगों से कहा कि वे नदी से जल लेने के बजाय अपने शोधित जल का ही इस्तेमाल करें। 

उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा शीघ्र की जाएगी। मंत्री महोदया ने यह भी कहा कि नदियों में साल भर जल का प्रवाह बना रहे, यह भी मौसम के हिसाब से सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी हालत में नदियों को नष्ट नहीं होने देंगे। नदियां हजारों वर्ष में स्वाभाविक रूप से अपने स्वरूप का निर्माण करती हैं, उनकी तुलना में बांधों का जीवन कुछ भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि आगे बनाए जाने वाले बांधों मे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मूल नदी की एक अविरल धारा कायम रहे। मौजूदा बांधों से भी मूल नदी की एक अविरल धारा के बारे में अध्ययन किया जा रहा है।’’

मंत्री महोदया ने कहा कि विकास व आस्था के बीच बेहतर तालमेल के अभाव में नदियों के सामने विकराल संकट खड़ा हो गया है। नदियों मे बढ़ते हुए आर्सोनिक की समस्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मूल कारण पर्यावरण की अनदेखी करते हुए किया गया अंधाधुंध विकास है। इसलिए जरूरी है कि नदियों के स्वरूप के अनुसार उनके तटों पर वृक्ष व वनस्पतियां लगाइ जाएं। 

नदी जोड़ो कार्यक्रम की आलोचनाओं का उल्लेख करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में हम पर्यावरणविदों की सलाह लेकर ही आगे बढ़ेगें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा देश में भुखमरी व गरीबी मिटाने के लिए यह कार्यक्रम बहुत ही लाभकारी सिद्द होगा। 

विहिप ने सांता द्वारा स्‍कूल के बच्‍चों को चॉकलेट देने पर आपत्ति जताई

विश्‍व हिंदू परिषद् (विहिप) ने छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर जिले में धार्मिक उपयोग के लिए स्‍कूल बसों का प्रयोग करने पर और सांता द्वारा बच्‍चों को चॉकलेट देने पर आपत्ति जताई है। इस संबंध में विश्‍व हिंदू परिषद् के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे चाहते हैं कि देवी सरस्‍वती की पूजा की जाए और इसकी व्‍यवस्‍था कैथोलिक स्‍कूलों में भी की जाए। किस व्‍यक्ति को किस धर्म का पालन करना है इसकी आजादी हमें संविधान के द्वारा प्रदान की गई है और अगर कोई इसे प्रभावित करता है तो यह स्‍वतंत्रता का उल्‍लंघन होगा।

मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब बस्‍तर जिले में ईसाइयों ने जगदलपुर सूबा बिशप मार जोसेफ कोलामपरम्बिल स्‍कूल में वार्षिक कार्यक्रम के दौरान इस बात की चर्चा की कि किस प्रकार से पोप फ्रांसिस ने केरल से ताल्लुक रखने वाले फादर कुरूयाकोसे एलियास चवारा और सिस्टर यूफरासिया को वेटिकन में संत घोषित किया। उन्‍होंने किस प्रकार से 19वीं शताब्‍दी में शिक्षा का विस्‍तार किया। उन्‍होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो सका क्‍योंकि हर स्‍कूल के साथ एक चर्च को जोड़ दिया गया और ऐसा ही कुछ करने की आवश्‍यकता बस्‍तर जिले में है।

इसके बाद विश्‍व हिंदू परिषद् ने इसे सांप्रदायिकता और संक्रीणता से जुड़ा हुआ बताया। उन्‍होंने इस बारे में मुख्‍यमंत्री रमन सिंह को पत्र भी लिखा और उनसे इसे मामले में दखल की मांग की। उन्‍होंने कहा इस प्रकार से गैर ईसाई लोगों पर धर्म के लिए दवाब बनाया जा रहा है। वहीं जगदलपुर जिले के प्रवक्ता और पादरी जनरल अब्राहम कनमपाला का कहना है कि इस बारे में हम विश्‍व हिंदू परिषद् से बात करना चाहते थे और उनके संशय को खत्‍म करना चाहते थे।

इसके बाद 21-22 नवंबर को इस संबंध में बैठक हुई जिसमें 12 बीएचपी कार्यकर्ताओं ने कनमपाला से मुलाकात की और अपनी मांगें रखीं। इनमें से कुछ को मान लिया गया है लेकिन कुछ को मानने से कनमपाला ने इंकार कर दिया।

उन्‍होंने कहा कि हमारी सोच सबको साथ लेकर चलने की है और अगर कोई छात्र फादर की जगह प्रिंसिपल, प्राचार्य, उपप्राचार्य या सर कहकर बुलाना चाहता है तो हमें कोई ऐतराज नहीं है। इसके साथ ही हम देवी सरस्‍वती और महान नेताओं की तस्‍वीर स्‍कूल में लगाने के लिए तैयार हैं। माना जा रहा है कि फादर की पहल के बाद बीएचपी के सुरेश यादव और कनमपाला का संयुक्‍त रूप से कोई बयान आ सकता है।

स्‍वच्‍छ भारत कोष की घोषणा हुई, तत्काल प्रभाव से लागू

सरकार ने ‘स्‍वच्‍छ भारत कोष परिचालन दिशा-निर्देशों’ की घोषणा कर दी है, जो तत्‍काल प्रभावी हो जायेंगे।

कोष बनाने का उद्देश्‍य:
अनेक लोगों और परोपकारियों ने वर्ष 2019 तक स्‍वच्‍छ भारत के लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए किये जा रहे प्रयासों में योगदान करने में दिलचस्‍पी दिखाई है। परोपकार से जुड़ी धनराशि और कम्‍पनियों के सामाजिक दायित्‍व (सीएसआर) वाली रकम का इस मद में आसान संग्रह सुनिश्चित करने के उद्देश्‍य से स्‍वच्‍छ भारत कोष बनाया गया है।

संचालन परिषद:
स्‍वच्‍छ भारत कोष के परिचालन का जिम्‍मा एक संचालन परिषद को दिया गया है, जिसके अध्‍यक्ष व्‍यय विभाग के सचिव हैं। इसके अन्‍य स्‍थायी सदस्‍यों में सचिव (नियोजन), सचिव (पेयजल एवं साफ-सफाई), सचिव (शहरी विकास), सचिव (आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन), सचिव (ग्रामीण विकास), सचिव (पंचायती राज) और सचिव (स्‍कूली शिक्षा एवं साक्षरता) शामिल हैं। पर्यटन, संस्‍कृति या किसी अन्‍य विभाग के सचिवों को तब आमंत्रित किया जायेगा जब उनके प्रस्‍तावों पर विचार किया जायेगा।

सचिवालय:
संचालन परिषद की सहायता व्‍यय विभाग में स्‍थापित किये जाने वाला एक डिवीजन करेगा, जो इसके सचिवालय के तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान करेगा। संयुक्‍त सचिव स्‍तर का एक प्रशासक इसका प्रमुख होगा।

बैंक खाता और योगदान की रसीद:
·        कम्‍पनियों और परोपकारियों की ओर से योगदान को नई दिल्‍ली के नॉर्थ ब्‍लॉक स्थि‍त भारतीय स्‍टेट बैंक की केन्‍द्रीय सचिवालय शाखा में खोले गये एकल बैंक खाते में प्राप्‍त किया जायेगा।
·         बैंक खाते का संचालन प्रशासक और वित्त मंत्रालय के मुख्‍य लेखा नियंत्रक द्वारा संयुक्‍त रूप से किया जायेगा।
·        कोष में योगदान नेट बैंकिंग के माध्‍यम से ऑनलाइन भुगतान के जरिये, अथवा डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड या चेक/डिमांड ड्राफ्ट के जरिये किया जा सकता है।
·        दान देने वालों को अपने योगदान के लिए एक स्‍वचालित, डिजिटल ढंग से हस्‍ताक्षरित रसीद प्राप्‍त होगी।

     इसके अलावा दान की रसीद के संदर्भ में अभिस्‍वीकृति के निम्‍नलिखित स्‍वरूप को अपनाया जायेगा:

योगदानकर्ता
योगदान (रुपये में)
अभिस्वीकृति का स्‍तर
कम्‍पनियां

1
2
3

4.
20 करोड़ एवं उससे ज्‍यादा
10 करोड़ – 20 करोड़
1 करोड़ से  10 करोड़
1 करोड़ तक
प्रधानमंत्री
वित्त मंत्री
सचिव, व्‍यय
प्रशासक, एसबीके

व्‍यक्ति
1
2
3

4
करोड़ एवं उससे ज्‍यादा
50 लाख से 1 करोड़
10 लाख से 50 लाख
 10 लाख तक
प्रधानमंत्री
वित्त मंत्री
सचिव, व्‍यय
प्रशासक, एसबीके


·        वैसे तो कोष में आने वाली राशि को पूरी तरह से उसके उद्देश्‍य को पूरा करने में लगाया जायेगा, लेकिन अगर थोड़ी-बहुत रकम अस्‍थायी रूप से इस खाते में बेकार पड़ी रही तो उसे संचालन परिषद की अनुमति से भारतीय स्‍टेट बैंक की एफडी (फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट) में निवेश किया जा सकता है। इस पर अर्जित होने वाली किसी भी ब्‍याज रकम को वापस कोष में डाल दिया जायेगा और फिर उसका इस्‍तेमाल निर्धारित उद्देश्‍यों को पूरा करने में किया जायेगा।

स्वीकार्य गतिविधियां

इस कोष का इस्तेमाल स्कूलों समेत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तरों में सुधार लाने के उद्देश्य से किया जाएगा। इसकी मदद से नवाचार एवं विशिष्ट परियोजनाओं को शुरू किया जा सकता  है और लड़कियों के लिए शौचालयों का निर्माण प्राथमिकता का क्षेत्र होगा। इस कोष से निम्नलिखित वृहत गतिविधियों को वित्त पोषित किया जाएगा।

·        ग्रामीण क्षेत्रों, शहरी क्षेत्रों, प्राथमिक, माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक सरकारी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में सामुदायिक-व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया जाएगा।
·        प्राथमिक, माध्यमिक वरिष्ठ माध्यमिक सरकारी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में बंद पड़े अथवा काम में नहीं आने वाले शौचालयों की मरम्मत एवं उनका नवीकरण।
·        बनाए गए शौचालयों के लिए जल आपूर्ति की निर्माण गतिविधि।
·        बनाए गए शौचालओं के लिए प्रशिक्षण एवं कौशल विकास को बढ़ावा देना तथा सफाई के मुद्दे पर शिक्षा के साथ इन्हें जोड़ना सुनिश्चित करना।
·        ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में स्वच्छता एवं साफ-सफाई के क्षेत्र में सुधार करने संबंधी अन्य प्रयास। इसमें ठोस एवं तरल अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन शामिल है।
·        देश में स्वच्छता के क्षेत्र में सुधार लाने के लिए संचालन समिति द्वारा तय की गई कोई अन्य गतिविधि।

परियोजनाओं के प्रस्ताव

      संबद्ध मंत्रालय उपरोक्त गतिविधियों से जुड़े प्रस्तावों को संचालन परिषद् के समक्ष विचारार्थ रखेगी। राज्य संबद्ध मंत्रालयों के जरिये इस कोष से धन राशि के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इस कोष से आवंटित धन राशि का उपयोग उपरोक्त गतिविधियों के लिए विभागीय संसाधनों के पूरक के रूप मे किया जाएगा। हालांकि परिसम्पत्तियों के सृजन, दानकर्ताओं की ओर से 10 करोड़ से अधिक की धन राशि के बारे में विशिष्ट सुझावों पर संबद्ध मंत्रालयो द्वारा विचार किया जा सकता है अगर दिशा निर्देशों के साथ कोई विवाद नहीं हो।

मंजूरी एवं धनराशि को जारी करना

       संचालन परिषद् संबद्ध मंत्रालयों द्वारा प्रस्तावित परियोजनाओँ/गतिविधियों के लिए धनराशि के आवंटन की स्वीकार्यता का आकलन करने के लिए कम से कम तीन माह मे एक बार और यदि जरूरी हो तो जल्दी बैठक कर सकती है। संबद्ध मंत्रालयों द्वारा सुझाई गई परियोजनाओं की प्राथमिकता तय करेगी और इसका मानदंड स्वयं उसी के द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

क्रियान्वयन
·        इन परियोजनाओं/गतिविधियों का क्रियान्वयन राज्यों, जिलों और उप-जिला स्तर पर पहले से ही काम कर रहे संस्थानों द्वारा किया जाएगा। किसी नई संस्था का गठन नहीं किया जाएगा।
·        इन परियोजनाओँ पर आने वाली लागत को इसी प्रकार की केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रचलित लागत मानकों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। इनका इस्तेमाल परियोजनाओं के लिए लागत अनुमानों को तय करने में किया जाएगा।

निगरानी
·        इन परियोजनाओं से प्रशासनिक रूप से जुड़े संबद्ध मंत्रालय, कोष से प्राप्त होने वाली धन राशि के इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी रखेंगे और तिमाही आधार पर संचालन परिषद्  और वित्त मंत्री को प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराएंगे।
·        इस कोष के तहत की जाने वाली गतिविधियों कि प्रगति की समीक्षा वित्त मंत्री द्वारा तिमाही आधार पर एवं प्रधानंमत्री द्वारा समय-समय पर की जाएगी।
·        मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करेंगे की कोष के तहत शुरू की गई परियोजनाओं/गतिविधियों को दोहराया न जाए।

लेखांकन एवं लेखा परीक्षा
     वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए वित्त मंत्रालय के मुख्य लेखा नियंत्रक (सीसीए) द्वारा प्रत्येक तिमाही में एक बार आंतरिक लेखा परीक्षण कराया जाएगा। इसके अलावा नियंत्रक एवं महालेखा परीषक द्वारा नियुक्त किये गए ऑडिटर बॉर्ड में से एक स्वतंत्र लेखा परीक्षक द्वारा वर्ष में एक वैधानिक लेखा परीक्षण कराया जाएगा। इनकी रिपोर्टें केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। सीसीए (वित्त) सभी प्राप्तियों और भुगतान खातों समेत सभी खातों का रखरखाव करेंगे।

जानकारी एवं वेब पोर्टल
     इस धन राशि से जुड़ी सभी गतिविधियों की जानकारी तथा अक्सर पूछे जाने वाले प्रासंगिक सवालों को वित्त मंत्रालय की वेबसाइट अपलोड कराया जाएगा। प्राशासनिक मंत्रालय इस धन राशि से पूरी की जाने वाली गतिविधियों और उन्हें उपलब्ध कराए गए धन के इस्तेमाल तथा परियोजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े सवालों अथवा आरटीआई के जवाब देंगे।

दिशा-निर्देशों में संशोधन 
   इस कोष के संचालन के अऩुभव के आकलन के बाद संचालन परिषद् आवश्यकता पड़ने पर अपने उद्देश्यों को बेहरत तरीके से हासिल करने के लिए दिशा निर्देशों में संशोधन के लिए सिफारिश कर सकती हैं जिन पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्री ही लेंगे। उपरोक्त दिशा निर्देश वित्त मंत्रालय की वेबसाइट www.finmin.nic.in पर भी उपलब्ध है।

खुली सिगरेट की बिक्री पर रोक

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ पैनल ने अन्य बातों के साथ-साथ खुली या एकल सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने, तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए न्यूनतम कानूनी उम्र बढ़ाने, सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन निषेध एवं व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण के विनियमन) अधिनियम, 2003 (सीओटीपीए) के विभिन्‍न प्रावधानों का उल्‍लंघन करने पर जुर्माना या दंड राशि बढ़ाने के साथ-साथ ऐसे अपराधों को संज्ञेय अपराध बनाने की सिफारिश की है। 

मंत्रालय ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और अन्‍तर-मंत्रालय परामर्श के लिए एक मसौदा नोट मंत्रिमंडल के लिए परिपत्रित किया गया है। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। 

हजारों साल बाद दिल्ली की गद्दी पर कोई हिंदू शासक बैठा है: वास्तोला

नेपाल के विख्यात पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य सलाहकार संहिता शास्त्री अर्जुन प्रसाद वास्तोला ने कहा कि हजारों साल बाद दिल्ली की गद्दी पर वास्तव में हिंदू शासक बैठा है। भारत और नेपाल के लिए यह गर्व की बात है। कहा कि भारत और नेपाल अभिन्न मित्र ही नहीं, बल्कि भाई भी हैं।

पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य सलाहाकार अर्जुन प्रसाद वास्तोला अपनी पत्‍‌नी मीना वास्तोला के साथ सोमवार को नगर में इंटरनेशनल ब्राह्मण संगठन के अध्यक्ष डा. सुरेश चंद कौशिक के यहां आयोजित एक समारोह में सम्मिलित होने आए थे। उन्होंने कहा कि आपातकाल में भारत के कई नेता नेपाल में शरण लिए हुए थे। 

उन्होंने कहा कि हजारों साल बाद दिल्ली की गद्दी पर वाकई में हिंदू शासक बैठा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत- स्वस्थ भारत से उनका आशय केवल सड़कों पर झाडू लगाना नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के अंदर के विचारों को शुद्ध करना व मलीनता को दूर करना है। 

उन्होंने कहा कि अरबों साल पुरानी वैदिक सनातन हिंदू संस्कृति आज भी अटल है। उन्होंने अनुमान लगाया कि आने वाले समय में विश्व में भारत का ही डंका बजने वाला है और मोदी केनेतृत्व में भारत विश्व को शांति का संदेश देगा।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद और विभाजन

‘‘कांग्रेस सदस्यों में सरदार वल्लभभाई पटेल विभाजन के सबसे बड़े समर्थक थे लेकिन उन्हें भी विश्वास नहीं था कि भारत की समस्याओं का सबसे बेहतर समाधान विभाजन हो सकता है। उन्होंने अपने आप को बंटवारे के पक्ष से बाहर रखा। उनका कहना था कि इससे रंजिश और दंभ बढ़ेगा। उन्होंने अपने आप को हर कदम पर तब दुविधा में पाया जब तत्कालीन वित्‍तमंत्री लियाकत अली खॉ ने उनके प्रस्ताव ठुकरा दिये। बेहद गुस्से में उन्होने फैसला किया कि अगर कोई विकल्प न बचे, तो बंटवारे का प्रस्ताव मान लिया जाये। उनका विचार था कि अगर ये प्रस्ताव मान लिया गया तो यह मुस्लिम लीग के लिए एक कड़वा सबक होगा। पाकिस्तान थोड़े ही समय में लड़खड़ा जायेगा और जो सूबे भारत छोड़ कर पाकिस्तान में शामिल हुये हैं उन्हें बहुत मुश्‍किलों का सामना करना होगा’’ - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी आत्मकथा ‘‘इंडिया विन्स फ्रीडम’’ में यह बात आजादी मिलने के दस साल बाद 1957 में लिखी है।

एक राय यह भी है कि आज़ाद ने जवाहरलाल नेहरू को इस बात का दोष दिया था कि उन्‍होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग में दो अवसरों पर सुलह सफाई की सम्भावनाओं पर पानी फेर दिया। पहला मौका आया 1937 में, जब मोहम्मद अली जिन्ना ने मांग की उत्तर प्रदेश में मुस्लिम लीग के दो प्रतिनिधियों को लेकर सरकार बनाई जाये। ऐसा दूसरा मौका तब आया जब नेहरु ने एक बयान जारी करके कहा कि आजाद भारत को संविधान निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा बनाया जाएगा और कैबिनेट मिशन के साथ जिस योजना पर सहमति हुई थी वह बाध्‍य नहीं होगी।

यह सर्व विदित है कि मौलाना आज़ाद, मोहम्मद अली जिन्ना और बंटवारे के प्रबल विरोधी थे और धर्म निरपेक्ष भारत में मुसलमानों के सह-अस्तित्व की सामूहिक भावना के प्रतीक थे। अखबारों के लिए जारी एक बयान में 15 अप्रैल, 1946 को कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना आजाद ने कहा था ‘‘मैंने हर तरह से पाकिस्तान की उस स्कीम को समझ लिया है जिसे मुस्लिम लीग ने तैयार किया है। एक भारतीय होने के नाते मैंने इसके भारत के भविष्‍य पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अंदाजा लगाया है। एक मुसलमान होने के नाते मैंने इस पहलू पर भी गौर किया है कि इसका भारत के मुसलमानों पर क्‍या असर होगा। इस योजना के सभी पक्षों पर विचार करने के बाद मैंने निष्‍कर्ष निकाला है कि यह सिर्फ भारत के लिए ही नुकसानदेह नहीं है, बल्‍कि पूरे मुस्‍लिम समुदाय के लिए नुकसानदेह है। यह योजना जिन समस्‍याओं के समाधान के लिए बनाई गई है वह और समस्‍याएं पैदा करेगी।’’

कांग्रेस अध्‍यक्ष होने के नाते मौलाना आजाद ने जिन्‍ना को यह समझाने की कोशिश की कि वह अपना कठोर रवैया बदलें। उन्‍होंने एक गोपनीय तार भी भेजा। इस तार में उन्‍होंने कहा ‘‘मैंने आपका 9 जुलाई का बयान पढ़ा है। दिल्‍ली प्रस्‍ताव एक अच्‍छा प्रस्‍ताव है और राष्‍ट्रीय सरकार सिर्फ एक ही पार्टी की सरकार नहीं होगी। लेकिन लीग इसे मानने को तैयार नहीं थी क्‍योंकि यह योजना दो राष्‍ट्र के सिद्धांत पर आधारित नहीं थी।’’

जिन्‍ना का जवाब सिर्फ नकारात्‍मक नहीं था बल्‍कि यह निश्‍चय ही अपमानित करने वाला था। उन्‍होंने कहा ‘‘मैं आपका विश्‍वास नहीं लेना चाहता। मुस्‍लिम भारत का आपका विश्‍वास पूरी तरह खत्‍म हो चुका है। क्‍या आप ऐसा नहीं सोचते कि कांग्रेस ने आपको ऐसा दिखावटी अध्‍यक्ष बना दिया है जिसे सामने लाकर वह गैर-कांग्रेसी दलों और दुनिया के अन्‍य देशों को डराती है। आप न तो मुसलमानों के प्रतिनिधि हैं और न ही हिन्‍दुओं के। कांग्रेस हिन्‍दुओं की संस्‍था है और अगर आपमें ज़रा भी आत्‍मसम्‍मान बाकी है तो आप इससे तुरंत इस्‍तीफा दे दें।’’

यह मौलाना आज़ाद की उदार भावना और एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता थी कि इसके बावजूद जिन्‍ना को मनाने की महात्‍मा गांधी की कोशिशों का उन्‍होंने विरोध नहीं किया। गांधी, जिन्‍ना का दिल नहीं बदल पाए। गांधी को भी उनका जवाब कोई अलग नहीं था। गांधी ने हजार कहा हो लेकिन उन्‍होंने ज़ोर देकर दो राष्‍ट्रों के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। उन्‍होंने कहा कि ‘‘हम इस बात को पक्‍का कह सकते हैं कि मुसलमानों और हिन्‍दुओं में सभी मानकों के अनुसार दो राष्‍ट्रों की भावना है। सभी अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों और सिद्धांतों के आधार पर हम मुसलमान एक राष्‍ट्र हैं।’’

मौलाना आज़ाद ने कांग्रेस नेताओं को भरसक समझाने की कोशिश की कि वह तब तक इंतजार करें जब तक समस्‍या का सही समाधान न निकल आए। लेकिन उन्‍हें कामयाबी नहीं मिली। वस्‍तुत: मौलाना ने गुस्‍सा और हताशा में इसे कांग्रेस नेताओं की नेत्रहीनता (दूरदृष्‍टि का अभाव) कहा।

ऐसा जान पड़ता है कि जिन्‍ना का विश्‍वास था कि राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को मानना जरूरी नहीं है। बंटवारे के बाद मुस्‍लिम लीग की बुरी हालत हुई और उसके नेता जो भारत में रह गए उन्‍होंने भी इसे महसूस किया। जिन्‍ना अपने अनुयायियों को यह संदेश देकर कराची चले गए कि अब देश बंट चुका है और उन्‍हें भारत के वफादार नागरिकों की तरह व्‍यवहार करना चाहिए। जब इन गुस्‍साए नेताओं ने मौलाना आज़ाद से भेंट की तो उन्‍होंने शिकायत की कि ‘‘जिन्‍ना ने उन्‍हें धोखा दिया है और उनके हाल पर छोड़ दिया है।’’ इस पर मौलाना ने आश्‍चर्य व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि पहले तो मैं समझ ही नहीं पाया कि वह क्‍या कह रहे हैं और जिन्‍ना ने उन्‍हें कैसे धोखा दिया। ‘‘उन्‍होंने तो खुले आम देश को बांटने की मांग की थी और मुस्‍लिम बहुमत वाले प्रांतों को इसका आधार बताया था।’’

जिन्‍ना की हालत से यह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि वह अपने प्रस्‍ताव को लेकर गंभीर नहीं थे और सिर्फ एक खेल खेल रहे थे। जहां तक उनके सिद्धांत का सवाल है, यह उनके संविधान सभा में दिए गए पहले भाषण से ही स्‍पष्‍ट है। नए राष्‍ट्र का नाम पाकिस्‍तान रखा गया। आज़ाद और गांधी को हराने के बाद साम्राज्‍यवादी शासकों की मक्‍कारी खुल गई और उन्‍होंने नए देश के लिए राष्‍ट्रीयता की मांग की। उन्‍होंने नए देश और इसके निवासियों को सलाह दी कि वे हिन्‍दुओं और मुसलमानों को पाकिस्‍तानी समझें। इसी आधार पर कुछ इतिहासकारों ने जिन्‍ना को धर्म-निरपेक्ष नेता बताया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्‍ठ नेता एल. के. आडवाणी ने इसी आधार पर जिन्‍ना को धर्म निरपेक्ष कहा था।

लेकिन मौलाना आज़ाद ने जिन्‍ना की मक्‍कारी का खुलासा कर दिया। उन्‍होंने द्वि- राष्‍ट्रवाद सहित इसके कई आधार बताए। मौलाना ने कहा कि ‘‘यह लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा होगा और इसी के आधार पर हम भौगोलिक, आर्थिक और भाषाई रूप से अलग होते हुए भी धार्मिक रूप से एकता का दावा कर सकते हैं। यह सही है कि इस्‍लाम ने एक ऐसे समाज की स्‍थापना की बात कही, जो जातीय, भाषाई, आर्थिक और राजनीतिक सीमाओं में नहीं बंधता। लेकिन इतिहास ने साबित कर दिया है कि पहली सदी के बाद इस्‍लाम सभी मुसलमान देशों को  एक नहीं रख पाया।’’

इस बात पर ज़ोर देते हुए कि यह स्थिति ‘‘बंटवारे से पहले थी, और अब हालत यह है।’’ मौलाना ने 1958 में कहा था ‘‘कोई उम्‍मीद नहीं कर सकता कि पूर्वी और पश्‍चिमी पाकिस्‍तान अपने सभी मतभेद सुलझा लेंगे और एक राष्‍ट्र बने रहेंगे।’’ इतिहास ने हालांकि सिद्ध कर दिया कि किस तरह से पूर्वी पाकिस्‍तान पश्‍चिमी पाकिस्‍तान से अलग हो गया और 1971 में वह एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र – बांग्लादेश बना।

मौलाना आज़ाद अपनी बातों को लेकर कितना गंभीर थे यह इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्‍होंने कहा था ‘‘पश्‍चिम पाकिस्‍तान के तीन प्रांत – सिंध, पंजाब और सीमा प्रांत, आंतरिक रूप से असंबद्ध हैं और अलग-अलग उद्देश्‍यों तथा हितों के लिए काम कर रहे हैं।’’ पाकिस्‍तान के बनने के एक साल बाद मौलाना आज़ाद ने लाहौर की एक उर्दू पत्रिका ‘चट्टान’ को इंटरव्‍यू देते हुए पाकिस्‍तान के लिए एक अंधकारमय समय की भविष्‍यवाणी की थी और आज यह सच साबित हुआ।

‘‘सिर्फ इतिहास यह फैसला करेगा कि क्‍या हमने बुद्धिमानी और सही तरीके से बंटवारे का प्रस्‍ताव मंजूर किया था।’’ मौलाना को यह तथ्‍य अच्‍छी तरह पता था कि अनेक लोग उनकी बातों को नहीं मानते। उन्‍होंने कहा था ‘‘मज़हब में, साहित्‍य में, राजनीति में और दर्शन के रास्‍ते में जहां भी मैं गया, मैं अकेला गया। समय के कारवां ने, मेरी किसी भी यात्रा में मेरा साथ नहीं दिया।’’

सीताराम शर्मा

(श्री सीताराम शर्मा कोलकाता के मौलाना अबुल कालाम आज़ाद एशियाई अध्‍ययन संस्‍थान के अध्‍यक्ष हैं। यह संस्‍थान भारत सरकार के संस्‍कृति मंत्रालय के तत्‍वाधान में चल रहा है।)

केन्‍द्र सरकार हर जिलें में एक जल ग्राम योजना शुरू करेगी-उमा भारती

केन्‍द्र सरकार अगले वर्ष जल ग्राम योजना शुरू करेगी। नई दिल्‍ली में जल संसाधनों के इष्‍टतम उपयोग पर आयो‍जित तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन ‘जल मंथन’ के समापन सत्र को संबोधित करते हुए केन्‍द्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि शुरू में यह योजना पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में शुरू की जाएगी। हर जिलें में जिस गांव में पानी की सबसे ज्‍यादा कमी होगी उसी गांव को जल ग्राम के रूप में अपनाया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि इस काम में केन्‍द्र सरकार के अन्‍य मंत्रालयों और स्‍वयंसेवी संगठनों की भी मदद ली जाएगी। बाद में इस योजना को देश के अन्‍य जिलों में भी लागू किया जाएगा। सुश्री भारती ने कहा कि अगला वर्ष जल संरक्षण वर्ष के रूप में मनाया जाएगा जिसमें उनका मंत्रालय देश के हर जिलें में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित करेगा। 

मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे गंगा संरक्षण कार्यक्रम का उल्‍लेख करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि पूर्व में गंगा की सफाई पर जल्‍द बाजी में बहुत धन खर्च किया गया जिसका समुचित परिणाम नहीं निकला। उन्‍होंने कहा ‘’हम इस पर ठोस काम करेंगे जिसका दीर्घकालिन परिणाम होगा’’। 

मंत्री महोदया ने आश्‍वासन दिया कि उनका मंत्रालय जल मंथन विमर्श में उठाए गए विभिन्‍न विषयों और उससे संबंधित सुझावों पर गंभीरता से विचार करेगा। सुश्री भारती ने कहा ‘’दो वर्ष बाद मैं आप सभी को यहां अमंत्रित करूगी और आपकों बताउगी कि मेरें मंत्रालय ने आपके सुझावों पर क्‍या-क्‍या अमल किया’’। 

सुश्री उमा भारती ने इस अवसर पर गंगा मंथन पर आयोजित राष्‍ट्रीय विमर्श से संबंधित एक पुस्‍तिका का भी विमोचन किया। इस विमर्श का अयो‍जन इसी वर्ष 7 जुलाई को नई दिल्‍ली में आयोजित किया गया था। पुस्‍तिका में विमर्श के निष्‍कर्षों का उल्‍लेख है। 

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