खरीफ 2015 के दौरान बारिश की कमी को ध्यान में रखते हुए किसानों के शीघ्र कल्याण के लिए भारत सरकार ने कई निर्णय किये हैं। सभी राज्य सरकारों के लिए इन उपायों पर आदेश जारी किये गए हैं, जो मूल्यांकन से जुड़ी आवश्यकता के आधार पर उन्हें कार्यान्वित करेंगी।
1. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में परिवारों के लिए महात्मा गांधी नरेगा के अधीन अतिरिक्त कार्यदिवस का आवंटन :
सरकार ने अकुशल कामगारों के लिए सूखा अथवा प्राकृतिक आपदा के लिए अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में जॉब कार्डधारकों के लिए वित्तवर्ष में 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार के अलावा 50 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इससे राज्य सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीण निर्धनों के लिए अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगी। इससे निर्धनतम ग्रामीण परिवार लाभान्वित होंगे, क्योंकि इससे गांव में सीजन आधारित बेरोजगारी की समस्या का तत्काल निदान होगा और ग्रामीण समस्याओं में कमी आयेगी।
2. प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए डीजल पर राजसहायता योजना :
सूखा और कम बारिश वाले क्षेत्रों में डीजल पंपों के माध्यम से जीवन रक्षक सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए किसानों को डीजल पर राजसहायता ( 100 करोड़ रुपये आवंटित ) देने का निर्णय किया गया है, ताकि खरीफ फसलों की सुरक्षा की जा सके। 30 सितम्बर 2015 तक मौजूदा दक्षिण – पश्चिम मानसून की अवधि के दौरान प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को इसके दायरे में रखा जायेगा। राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी के साथ डीजल पर राजसहायता योजना कार्यान्वित होगी। यह योजना ऐसे जिलों/ तालुकों/ क्षेत्रों के लिए लागू होगी, जहां 15 जुलाई 2015 तक बारिश में 50 प्रतिशत से अधिक कमी (भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार) हुई है।
3. बीज पर राजसहायता की अधिकतम सीमा बढ़ाना :
सूखा प्रभावित जिले में किसानों को बुआई में अतिरिक्त लागत और / अथवा बीजों की सूखा प्रतिरोधक उपयुक्त नस्लों की खरीद के लिए मुआवजे के क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि सूखे के लिए अधिसूचित जिले में वितरण के लिए मौजूदा स्तरों के अतिरिक्त 50 प्रतिशत राजसहायता बीजों पर दी जाए। यह वृद्धि 31 दिसम्बर 2015 तक मान्य है।
4. चिरस्थायी बागवानी फसलों को बचाने के लिए उपाय :
जल की कमी वाली बागवानी फसलों को पुनर्जीवित करने के लिए समुचित उपाय करने के लिए 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। देश के सभी सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों में यह योजना लागू की जा रही है, जो समन्वित बागवानी विकास मिशन के अधीन शामिल किये गए हैं और कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।
5. अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन :
पशुधन पर सूखे के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से चारा उत्पादन के लिए अतिरिक्त सहायता (50 करोड़ रुपये का आवंटन) दी जायेगी। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को अतिरिक्त चारा उत्पादन के लिए प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 3200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।
6. आरकेवीवाई और केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं के अधीन लोचशील आवंटन :
राज्यों को सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अधीन आवंटित लगभग 5 से 10 प्रतिशत धनराशि को अलग रखें, ताकि कृषि क्षेत्र पर मानसून के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से आवश्यक उपाय किये जा सकें।
7. आकस्मिक फसल योजना :
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय शुष्कभूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए), हैदराहबाद के माध्यम से कृषि मंत्रालय ने 600 जिलों के लिए विस्तृत आकस्मिक फसल योजनाएं तैयार की हैं। राज्यों को सीआरआईडीए – आईसीएआर और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से परामर्श करके प्रत्येक आकस्मिक फसल योजना तैयार करने/ अद्यतन बनाने की सलाह दी गई है।
8. राज्यों के लिए चेतावनियां :
राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे महात्मा गांधी नरेगा और अन्य ऐसी योजना के अधीन जल संभरण संरचनाओं के निर्माण जैसे अग्रिम निदान की दिशा में पहल करें।
9. खरीफ 2015 के लिए बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता :
कृषि विभाग में साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह (सीड्ब्ल्यूड्ब्ल्यूजी) की बैठकों में बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता की निरंतर निगरानी/ समीक्षा की जाती है।
10. एसएमएस के जरिये चेतावनी :
मंत्रालय की ओर से पंजीकृत किसानों को एम-किसान पोर्टल के जरिये एसएमएस चेतावनी भेजी जाती है।
11. वर्ष 2015 में सूखे के लिए संकट प्रबंधन योजना :
कृषि मंत्रालय के कृषि और सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर सूखे के लिए एक संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) उपलब्ध कराई गयी है।
12. एसडीआरएफ/ एनडीआरएफ कोष – एसडीआरएफ की पहली किस्त जारी :
प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में आवश्यक राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार प्राथमिक तौर पर उत्तरदायी है। भारत सरकार वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों में मदद करती है। राहत संबंधी उपायों के संचालन के लिए राज्य आपदा मोचन निधि के रुप में राज्य सरकारों के पास धन उपलब्ध हैं। इसकी पहली किस्त राज्य सरकारों के लिए जारी की गई है।
1. सूखा प्रभावित क्षेत्रों में परिवारों के लिए महात्मा गांधी नरेगा के अधीन अतिरिक्त कार्यदिवस का आवंटन :
सरकार ने अकुशल कामगारों के लिए सूखा अथवा प्राकृतिक आपदा के लिए अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में जॉब कार्डधारकों के लिए वित्तवर्ष में 100 दिन के सुनिश्चित रोजगार के अलावा 50 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इससे राज्य सरकार सूखा प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीण निर्धनों के लिए अतिरिक्त रोजगार प्रदान करने में सक्षम होगी। इससे निर्धनतम ग्रामीण परिवार लाभान्वित होंगे, क्योंकि इससे गांव में सीजन आधारित बेरोजगारी की समस्या का तत्काल निदान होगा और ग्रामीण समस्याओं में कमी आयेगी।
2. प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए डीजल पर राजसहायता योजना :
सूखा और कम बारिश वाले क्षेत्रों में डीजल पंपों के माध्यम से जीवन रक्षक सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए किसानों को डीजल पर राजसहायता ( 100 करोड़ रुपये आवंटित ) देने का निर्णय किया गया है, ताकि खरीफ फसलों की सुरक्षा की जा सके। 30 सितम्बर 2015 तक मौजूदा दक्षिण – पश्चिम मानसून की अवधि के दौरान प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को इसके दायरे में रखा जायेगा। राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी के साथ डीजल पर राजसहायता योजना कार्यान्वित होगी। यह योजना ऐसे जिलों/ तालुकों/ क्षेत्रों के लिए लागू होगी, जहां 15 जुलाई 2015 तक बारिश में 50 प्रतिशत से अधिक कमी (भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार) हुई है।
3. बीज पर राजसहायता की अधिकतम सीमा बढ़ाना :
सूखा प्रभावित जिले में किसानों को बुआई में अतिरिक्त लागत और / अथवा बीजों की सूखा प्रतिरोधक उपयुक्त नस्लों की खरीद के लिए मुआवजे के क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि सूखे के लिए अधिसूचित जिले में वितरण के लिए मौजूदा स्तरों के अतिरिक्त 50 प्रतिशत राजसहायता बीजों पर दी जाए। यह वृद्धि 31 दिसम्बर 2015 तक मान्य है।
4. चिरस्थायी बागवानी फसलों को बचाने के लिए उपाय :
जल की कमी वाली बागवानी फसलों को पुनर्जीवित करने के लिए समुचित उपाय करने के लिए 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया गया है। देश के सभी सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों में यह योजना लागू की जा रही है, जो समन्वित बागवानी विकास मिशन के अधीन शामिल किये गए हैं और कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।
5. अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन :
पशुधन पर सूखे के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से चारा उत्पादन के लिए अतिरिक्त सहायता (50 करोड़ रुपये का आवंटन) दी जायेगी। सूखा प्रभावित जिले/ ब्लॉकों के किसानों को अतिरिक्त चारा उत्पादन के लिए प्रति लाभार्थी अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए लागत के आधार पर 3200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता प्रदान की जाएगी। राजसहायता के माध्यम से इस प्रकार दी जाने वाली सहायता में भारत सरकार और संबंधित राज्य सरकार/ केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन 50:50 के आधार पर हिस्सेदारी करेंगे।
6. आरकेवीवाई और केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं के अधीन लोचशील आवंटन :
राज्यों को सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अधीन आवंटित लगभग 5 से 10 प्रतिशत धनराशि को अलग रखें, ताकि कृषि क्षेत्र पर मानसून के प्रतिकूल प्रभाव में कमी लाने के उद्देश्य से आवश्यक उपाय किये जा सकें।
7. आकस्मिक फसल योजना :
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय शुष्कभूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए), हैदराहबाद के माध्यम से कृषि मंत्रालय ने 600 जिलों के लिए विस्तृत आकस्मिक फसल योजनाएं तैयार की हैं। राज्यों को सीआरआईडीए – आईसीएआर और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों से परामर्श करके प्रत्येक आकस्मिक फसल योजना तैयार करने/ अद्यतन बनाने की सलाह दी गई है।
8. राज्यों के लिए चेतावनियां :
राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि वे महात्मा गांधी नरेगा और अन्य ऐसी योजना के अधीन जल संभरण संरचनाओं के निर्माण जैसे अग्रिम निदान की दिशा में पहल करें।
9. खरीफ 2015 के लिए बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता :
कृषि विभाग में साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह (सीड्ब्ल्यूड्ब्ल्यूजी) की बैठकों में बीजों और अन्य संसाधनों की उपलब्धता की निरंतर निगरानी/ समीक्षा की जाती है।
10. एसएमएस के जरिये चेतावनी :
मंत्रालय की ओर से पंजीकृत किसानों को एम-किसान पोर्टल के जरिये एसएमएस चेतावनी भेजी जाती है।
11. वर्ष 2015 में सूखे के लिए संकट प्रबंधन योजना :
कृषि मंत्रालय के कृषि और सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर सूखे के लिए एक संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) उपलब्ध कराई गयी है।
12. एसडीआरएफ/ एनडीआरएफ कोष – एसडीआरएफ की पहली किस्त जारी :
प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में आवश्यक राहत प्रदान करने के लिए राज्य सरकार प्राथमिक तौर पर उत्तरदायी है। भारत सरकार वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों में मदद करती है। राहत संबंधी उपायों के संचालन के लिए राज्य आपदा मोचन निधि के रुप में राज्य सरकारों के पास धन उपलब्ध हैं। इसकी पहली किस्त राज्य सरकारों के लिए जारी की गई है।
0 comments :
Post a Comment