शिपिंग मंत्रालय और प्रकाशस्तंभ एवं प्रकाशपोत महानिदेशालय (डीजीएलएल) ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत पहले चरण में देश में 78 प्रकाशस्तंभों (लाइटहाउस) को पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम तैयार किया है। चिन्हित प्रकाशस्तंभ गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अंडमान व निकोबार द्वीप और पश्चिम बंगाल में हैं।
पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इन प्रकाशस्तंभों के आसपास स्थित जमीन पर होटल, रिजॉर्ट्स, दीर्घा, समुद्री संग्रहालय और विरासत संग्रहालय, साहसिक खेल सुविधाएं, विषयगत रेस्तरां, यादगार वस्तुओं की दुकानें, लेजर शो, स्पा और कायाकल्प केन्द्र, रंगभूमि और संबंधित पर्यटन सुविधाएं हो सकती हैं। हालांकि, इन सुविधाओं की स्थापना से पहले उनकी लाभप्रदता को ध्यान में रखना होगा और इसके साथ ही आवश्यक मंजूरियां भी लेनी पड़ेंगी। अगुआडा (गोवा), चंद्रभागा (ओडिशा), महाबलीपुरम, कन्याकुमारी और मुत्तोम (तमिलनाडु), कडालुर प्वाइंट (तिक्कोडि, केरल), कन्होजी आंग्रे और संक रॉक (महाराष्ट्र) और मिनीकॉय (लक्षद्वीप) में आठ प्रकाशस्तंभ बनाने के लिए डीजीएलएल ने भावी एवं संभावित डेवलपरों से योग्यता संबंधी अनुरोध (आरएफक्यू) आंमत्रित किये हैं। डीजीएलएल की ओर से 70 और प्रकाशस्तंभ बनाने के लिए अभिरुचि प्रपत्र (ईओआई) भी जारी किये गये हैं।
सार्वजनिक एवं निजी खिलाडि़यों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए शिपिंग मंत्रालय 14, 17 और 19 अक्टूबर, 2015 को क्रमश: कोच्चि, विजाग और चेन्नई में रोड शो भी आयोजित कर रहा है। इसके अलावा शिपिंग मंत्रालय 29 अक्टूबर, 2015 को मुम्बई में निवेशक शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहा है, जिसमें आतिथ्य क्षेत्र के खिलाडि़यों एवं डेवलपरों (निजी क्षेत्र) से सक्रिय भागीदारी के लिए अनुरोध किया जायेगा। इसी तरह राज्य सरकार की एजेंसियों से भी सहायता देने का अनुरोध इस सम्मेलन में किया जायेगा।
परंपरागत रूप से, प्रकाशस्तंभों का उपयोग सदियों से जहाज चलाने वालों के लिए आवागमन के संकेत-दीपों के रूप में रहा है, लेकिन 21वीं शताब्दी में व्यापक बदलाव के तौर पर प्रकाशस्तंभों का विकास पर्यटन केन्द्रों के रूप में हो रहा है। पूरी दुनिया में प्रकाशस्तंभ अपने आसपास स्थित सुंदर एवं शांत वातावरण और समृद्ध समुद्री विरासत की बदौलत पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब हो रहे हैं।
भारत में प्रकाशस्तंभों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित किये जाने की अपार संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिपिंग मंत्रालय ने डीजीएलएल के जरिये इन स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने के अवसरों का दोहन करने का निर्णय लिया है। शिपिंग मंत्रालय और डीजीएलएल ने देश भर में फैले प्रकाशस्तंभों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में बढ़ावा देने का इरादा व्यक्त किया है।
शिपिंग मंत्रालय और डीजीएलएल ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए प्रकाशस्तंभ पर्यटन को बढ़ावा देने का इरादा जताया है:
- वर्तमान प्रकाशस्तंभों और उनके आसपास स्थित क्षेत्रों को अनोखे पर्यटन केन्द्रों एवं समुद्री स्थल चिन्हों के रूप में विकसित करना।
- प्रकाशस्तंभों के परिसरों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन से जुड़े संभावित बुनियादी ढांचे की पहचान करने के बाद उन्हें विकसित करना।
- परियोजना को लाभप्रद बनाने के लिए उपर्युक्त स्थलों पर वाणिज्यिक दृष्टि से लाभप्रद सुविधाओं को एकीकृत करके पीपीपी के तहत इन परियोजनाओं को विकसित करने की संभावनाएं तलाशना।
- भारत में 7517 किलोमीटर लम्बी विशाल तटीय रेखा पर 189 प्रकाशस्तंभ हैं। बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान एवं निकोबार द्वीप और अरब सागर में स्थित लक्षद्वीप भी इनमें शामिल हैं। समृद्ध समु्द्री विरासत से युक्त हर प्रकाशस्तंभ की अपनी विशिष्ट गाथा जहाज चलाने वालों के लिए है। इन प्रकाशस्तंभों में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं, जिनका दोहन किया जाना अभी बाकी है।
- डीजीएलएल ने तमिलनाडु में मद्रास एवं महाबलीपुरम प्रकाशस्तंभों और केरल में अलेप्पी एवं कन्नानूर प्रकाशस्तंभों को पर्यटन केन्द्रों के रूप में सफलतापूर्वक विकसित किया है। ये चारों प्रकाशस्तंभ दर्शनीय पर्यटन केन्द्रों के रूप में विकसित होने के बाद बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में कामयाब साबित हो रहे हैं।
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