नवरात्र शुरू होने के साथ ही गुजरात में गरबे की धूम भी शुरू हो चुकी है। यहां के गोधरा शहर में इस बार गरबा आयोजकों ने जो बैनर लगाए हैं, उनमें कुछ संदेश लिखे गए हैं। एक संदेश है, ‘मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने।’ आयोजकों का कहना है कि ये बैनर बहन-बेटियों को मुस्लिम युवा और लव जिहाद से बचाने के लिए लगाए गए हैं। आरएसएस और भाजपा से जुड़े संगठनों ने गोधरा के लोगों से शेरी गरबा (मोहल्ला गरबा) आयोजित करने की अपील की है।
शेरी गरबा को मोहल्लों में किया जाने वाला गरबा भी कहा जा सकता है। इसमें कम लोग शिरकत करते हैं। गरबों को बड़े ब्रांड या कंपनियां स्पॉन्सर करती हैं। लेकिन ये गरबे छोटे स्तर पर मोहल्ले वाले या कोई संगठन ही ऑर्गनाइज करता है।
साल 2002 में गुजरात के दंगे गोधरा में ट्रेन की कुछ बोगियां जलाए जाने के बाद ही भड़के थे। हिंदू संगठनों द्वारा शेरी गरबा पर जोर दिए जाने का कारण है है कि, किसी दूसरे समुदाय के लोग इसमें नहीं आ सकें। चूंकि ये गरबा मोहल्लों में और मोहल्ले वालों द्वारा ही आयोजित किए जाते हैं, इसलिए इसमें आने वाले एक-दूसरे को बेहतर रूप से पहचानते होंगे। यहां दूसरे समुदाय के लोगों की पहचान आसानी से की जा सकेगी।
विहिंप के पूर्व सदस्य और अब पंचमहल जिले में भाजपा मेंबर आशीष भट्ट के अनुसार, “नवरात्र के दौरान पवित्रता बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। पिछले साल हमने बड़े गरबा महोत्सव से मुस्लिमों को दूर रखने की कोशिश की थी, ताकि लव जिहाद जैसे मामले न हों। लेकिन बड़े गरबा कार्यक्रमों में स्पॉन्सर्स और दूसरे लोग जुड़े होते हैं, इसलिए कई बार गलत लोग टिकट लेकर अंदर आ जाते हैं।” आशीष आगे बताते हैं, “अपनी मां, बहन और बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए हमने इस बार परंपरागत गरबे की योजना बनार्इ है । कुल 39 शेरी गरबे किए जाएंगे।”
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