नागरिक उड्डयन मंत्री श्री पी अशोक गजपति राजू मंत्री ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (एनसीएपी 2015) का संशोधित मसौदा जारी किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री राजू ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे मंत्रालय को अपने बहुमूल्य सुझाव देकर नीति की मजबूती की प्रक्रिया में हिस्सा लें। उन्होंने कहा कि नागर विमानन नीति गतिशील होनी चाहिए जिससे इस सेक्टर की बदलती मांग के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
इस दौरान नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री और पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. महेश शर्मा भी उपस्थित थे। डॉ शर्मा ने हवाई यात्रा को आम आदमी की पहुंच के भीतर लाने और देश के अंदर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को सुविधाजनक बनाने के महत्व को रेखांकित किया।
नागरिक उड्डयन सचिव श्री राजीव नयन चौबे ने मसौदा नीति की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्तुति दी, जो इस प्रकार हैं:
नीति के उद्देश्य
Ø विभिन्न विमानन उप-क्षेत्रों, यानी एयरलाइंस, हवाई अड्डों, कार्गो, रखरखाव मरम्मत एवं ओवरहाल सेवाओं, सामान्य विमानन, एयरोस्पेस विनिर्माण, कौशल विकास आदि के लिए एक अनुकूल वातावरण और एक समान अवसर प्रदान करना।
Ø वर्ष 2022 तक 30 करोड़ और 2027 तक 50 करोड़ घरेलू टिकटों की खातिर एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना। इसी तरह 2027 तक अंतरराष्ट्रीय टिकटों को बढ़ाकर 20 करोड़ तक ले जाना।
मसौदा नीति में शामिल हैं :-
1. क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)
Ø योजना पहली अप्रैल 2016 से प्रभावी होगी।
Ø आरसीएस में एक घंटे की उड़ान का हवाई किराया 2500 रुपये होगा।
Ø इसे इस माध्यम से लागू किया जाएगा
ü काम में न आ रही अथवा सेवा दे रही हवाई पट्टियों का पुनरुद्धार
§ 476 में से केवल 75 हवाईपट्टियों/हवाईअड्डों को संचालन के लिए निर्धारित किया गया है। इनका पुनरुद्धार मांग के आधार पर होगा।
§ 50 करोड़ रुपये की लागत से ‘नो फ्रिल’ हवाईअड्डों का निर्माण होगा।
ü आने जाने के लिए निर्धारित एयरलाइनों की खातिर विजिबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ)
§ एटीएफ की कीमतों और मुद्रास्फीति के लिए सूचीबद्ध वीजीएफ।
§ वीजीएफ केंद्र और राज्य के बीच 80:20 में बांटा जाएगा।
§ वीजीएफ के लिए क्षेत्रीय संपर्क फंड (आरसीएफ) का गठन।
§ कैट आईआईए और आरसीएस के अलावा अन्य सभी मार्गों पर सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टिकटों पर दो प्रतिशत की लेवी।
ü विभिन्न हितधारकों से रियायतें:
· राज्य सरकार –
o मुफ्त जमीन और दूरदराज के इलाकों में बहुविध कनेक्टिविटी प्रदान करना।
o बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं की रियायती दरें।
o आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट एक प्रतिशत या उसके कम।
· केंद्र सरकार
o आरसीएस के तहत टिकटों पर सर्विस टैक्स में छूट दी जाएगी।
o आरसीएस हवाई अड्डों से एससीए द्वारा तैयार एटीएफ पर उत्पाद शुल्क से छूट।
o सीमा शुल्क के लिए एससीए को एसओपी के समकक्ष माना जाएगा।
ü बीसीएएस और राज्य सरकार द्वारा प्रभावी लागत वाले सुरक्षा समाधान।
2. आने-जाने वाली निर्धारित एयरलाइंस (एससीए)
Ø चुकता पूंजी (पेडअप कैपिटल) के मामले में पात्रता मानदंड को 2 करोड़ रुपये पर रखा जाएगा।
Ø 100 सीटों या उससे कम की क्षमता वाले विमान।
Ø विमानों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं।
Ø आरसीएस गंतव्यों के लिए प्रति सप्ताह न्यूनतम मूवमेंट (आवाजाही) निर्धारित।
Ø एससीए अन्य एयरलाइनों के साथ कोड शेयर में प्रवेश कर सकते हैं।
Ø सेल्फ हैंडलिंग अनुमति दी जाएगी।
Ø आरसीएस के तहत संचालन के लिए एससीए पर कोई हवाईअड्डा शुल्क नहीं। अन्य गैर आरसीएस हवाई अड्डों का पुनर्गठन करना।
3. रखरखाव मरम्मत एवं ओवरहाल (एमआरओ)
Ø एशिया में भारत को एमआरओ हब के रूप में विकसित करना।
Ø एमआरओ के उत्पादन में सेवाओं पर सर्विस टैक्स शून्य रेटेड हो जाएगा।
Ø विमान रखरखाव उपकरण और उपकरण किट सीमा शुल्क से मुक्त हो जाएंगे।
Ø एमआरओ द्वारा आयातित स्पेयर पार्ट्स की टैक्स मुक्त भंडारण अवधि को तीन साल का विस्तार।
Ø एमआरओ द्वारा अग्रिम विनिमय प्रदान कर इस्तेमाल न हो रहे पुर्जों के आयात की अनुमति।
Ø कस्टम क्लीयरेंस की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
Ø एमआरओ द्वारा से स्व-सत्यापन की अनुमति देकर पुर्जों का क्लीयरेंस।
Ø एमआरओ के काम के लिए भारत लाए जाने वाले विदेशी विमानों को छह महीने तक रुकने की अनुमित होगी। इससे आगे के लिए डीजीसीए की अनुमित लेनी होगी।
Ø शून्य वैट के लिए राज्य सरकारों को राजी करना।
Ø हवाईअड्डा संचालकों के साथ विचार-विमर्श कर हवाई रॉयल्टी और अतिरिक्त लेवी को युक्तिसंगत बनाना।
4. राजकोषीय प्रोत्साहन
Ø एक हवाई अड्डे पर स्थित एमआरओ, ग्राउंड हैंडलिंग, कार्गो और एटीएफ के बुनियादी ढांचे को भी आयकर अधिनियम की धारा 80-आईए के तहत ‘बुनियादी ढांचा क्षेत्र’ का लाभ प्राप्त होगा।
5. नियम 5/20
Ø सरकार ने तीन संभावित नीतिगत विकल्पों पर सुझाव आमंत्रित किए हैं:
5/20 नियम पूर्व की तरह जारी रह सकता है।
अथवा
5/20 नियम को तत्काल प्रभाव से खत्म किया जा सकता है।
अथवा
ü घरेलू एयरलाइनों को नई दिल्ली से सार्क देशों और 5000 किलोमीटर की परिधि से पार के देशों की उड़ान से पहले 300 डीएफसी जमा करानी होगी।
ü दुनिया के शेष भागों के लिए उड़ानें शुरू करने से पहले 600 डीएफसी जमा करानी होगी।
ü अर्जित की जाने वाली डीएफसी घरेलू मार्गों पर एयरलाइन द्वारा काम में आने वाले उपलब्ध सीट किलोमीटर (एएसकेएम) के बराबर होगी जिसे एक करोड़ से विभाजित किया जाएगा।
ü सभी घरेलू विमानन कंपनियों को अपने अंतरराष्ट्रीय उड़ान अधिकारों को बनाए रखने के लिए कम से कम 300 डीएफसी प्रति वर्ष अर्जित करना आवश्यक होगा।
6. द्विपक्षीय ट्रैफिक अधिकार
Ø द्विपक्षीय अधिकारों की उदारीकृत व्यवस्था।
Ø नई दिल्ली से 5000 किलोमीटर की परिधि से परे और सार्क देशों के साथ पारस्परिक आधार पर खुली आवाजाही।
Ø 5000 किलोमीटर के दायरे में आने वाले देशों, जहां घरेलू विमानन कंपनियों ने पूरी तरह से अपने कोटे से उपयोग नहीं किया है, मौजूदा अधिकार के अतिरिक्त सीटें आवंटित की जाएंगी। इसमें तीन साल की अवधि के लिए बोली लगाई जाएगी। इससे होने वाला लाभ आरसीएफ को जाएगा।
Ø 5000 किलोमीटर के दायरे में आने वाले देशों के लिए खुली हवाई आवाजाही पहली अप्रैल 2020 से प्रभावी मानी जाएगी।
Ø यदि सरकार खुले आसमान (ओपन स्काई) का फैसला करती है, तो एयरलाइनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से 50 प्रतिशत से ऊपर तक बढ़ाई जा सकती है।
7. कोड शेयर
Ø भारतीय विमान कंपनियां देश में किसी भी गंतव्य के लिए विदेशी विमान कंपनियों के साथ पारस्परिक आधार पर कोड शेयर समझौते में प्रवेश करने के लिए मुक्त होंगी।
Ø भारतीय और विदेशी विमान कंपनियों के बीच अंतर्राष्ट्रीय कोड शेयरिंग पूरी तरह उदार होगी। यह भारत और उक्त देश के बीच एएसए की विषय-वस्तु होगी।
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय से किसी तरह के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। भारतीय विमान कंपनियों को कोड शेयर उड़ानें शुरू करने से महज 30 दिन पहले नागरिक उड्डयन मंत्रालय को सूचित करने की जरूरत होगी।
Ø कोड शेयर समझौतों में आगे उदारीकरण की आवश्यकता पर विचार करने और पारस्परिकता की जरुरत ड्राप करने के लिए पांच साल बाद ही समीक्षा की जाएगी।
8. मार्ग प्रकीर्णन दिशानिर्देश (आरडीजी)
Ø पारदर्शी मानदंडों के आधार पर पहली श्रेणी को अधिक मार्गों को जोड़कर तर्कसंगत बनाया जाएगा। यानी, 700 किमी से अधिक उड़ान, औसत सीट कारक 70% और सालाना पांच लाख यात्री।
Ø पहली श्रेणी का यातायात प्रतिशत दूसरी श्रेणी तक विस्तारित किया जाएगा। आईआईए और तीसरी श्रेणी पहले की तरह रहेगी।
Ø संशोधित वर्गीकरण अधिसूचना की तिथि के बाद 12 महीनों के लिए लागू होगी।
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा हर पांच साल में एक बार विभिन्न श्रेणियों के तहत मार्गों की समीक्षा की जाएगी।
Ø एयरलाइंस नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए को 30 दिन पहले सूचना देकर दूसरी और तीसरी श्रेणी के मार्गों को बदल सकती है।
Ø पूर्वोत्तर क्षेत्र, द्वीप क्षेत्र और लद्दाख में मौजूदा संचालन वापस लेने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय की पूर्व अनुमति जरूरी होगी।
9. एयरपोर्ट
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय राज्य सरकार या निजी क्षेत्र द्वारा या पीपीपी मोड में हवाई अड्डों के विकास को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय नियामक निश्चितता प्रदान करने का प्रयास करेगा।
Ø भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा पीपीपी मोड में प्रोत्साहित भविष्य की सभी ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड हवाईअड्डा परियोजनाओं के पूंजीगत व्यय पर एएआई द्वारा बारीकी से नजर रखी जाएगी।
Ø भविष्य के सभी हवाईअड्डों पर टैरिफ की गणना ‘हाइब्रिड टिल’ के आधार पर की जाएगी।
10. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई)
Ø एएआई हवाईअड्डों का आधुनिकीकरण और सेवाओं की गुणवत्ता को उन्नत करना जारी रखेगी।
Ø एएआई 1.1 एमपीपीए के ऊपर सभी हवाईअड्डों पर 4.5 या अधिक और बचे हुए हवाईअड्डों के लिए 4.0 या अधिक एएसक्यू रेटिंग को बनाये रखेगा।
Ø मौजूदा परिचालित एएआई हवाईअड्डों (सिविल एनक्लेव के लिए लागू नहीं) के 150 कि.मी. के दायरे में नये ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे की मंजूरी पर एएआई को उचित मुआवजा दिया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से, नए हवाई अड्डे में 49% तक पहले इनकार या इक्विटी भागीदारी का अधिकार के लिए विकल्प दे।
Ø एएआई वैश्विक सर्वोत्तम तरीकों के साथ तालमेल रखने के लिए एएनएस की प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा और आवश्यक वित्तीय सहायता जारी रखेगा।
11. भूतल प्रबंधन
Ø एयर इंडिया की सहायक कंपनी/संयुक्त उद्यम सहित एक हवाई अड्डे पर कम से कम तीन भूतल प्रबंधन एजेंसियां (जीएचए) होंगी।
Ø घरेलू एयरलाइंस और चार्टर ऑपरेटर, स्व-प्रबंधन या उनके सहायक के जरिये अथवा इसको आउटसोर्स करके अन्य एयरलाइनों या जीएचए को प्रदान करने के लिए स्वतंत्र होगे।
Ø भूतल प्रबंधन कर्मचारियों की जिम्मेदारी एयरलाइंस या उनकी सहायक कंपनियों अथवा जीएचए की होगी। घरेलू एयरलाइंस (सहायक सहित) और जीएचए को अनुबंध कर्मचारियों की नियुक्ति की अनुमति दी जाएगी। इस तरह के अनुबंध कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिए किये जाएगे।
12. विमानन सुरक्षा
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय, मंत्रालयों/विभागों से अलग विमानन सुरक्षा, आव्रजन, सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ विचार विमर्श कर 'सेवा आपूर्ति मॉड्यूल' तैयार करेगा।
Ø सरकार, गृह मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर गैर कोर सुरक्षा कार्यों के लिए हवाई अड्डों पर निजी सुरक्षा एजेंसियों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी।
Ø निजी सुरक्षा एजेंसियों में सेवानिवृत्त सैन्य और अर्ध सैनिक बलों के कर्मी होंगे। बीसीएएस कार्य और मानदंडों के दायरे प्रदान करेगा।
Ø बीसीएएस के सुरक्षा लेखा परीक्षकों द्वारा नियमित और अचानक जांच की जाएगी और उन्हें भ्रष्ट एसेंसियों को दंड देने और ब्लैक लिस्ट में डाले का अधिकार होगा।
13. हेलीकाप्टर
Ø सरकार, दूरदराज के इलाकों में सम्पर्क बढ़ाने, शहरों के बीच आवागमन, पर्यटन, कानून व्यवस्था लागू करने, आपदा राहत, चिकित्सा इत्यादि के लिए हेलीकाप्टरों को बढ़ाने का समर्थन करेगी।
Ø हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, डीजीसीए द्वारा 1 अप्रैल 2016 तक हेलीकाप्टरों के लिए अलग नियम अधिसूचित किये जाएगे।
Ø सरकार ने शुरू में चार हैली-केन्द्र विकसित करेगी।
Ø नजदीकी एटीसी कार्यालय में उड़ान योजना दाखिल कर हेलीकाप्टर समय-समय पर एटीसी से पहले मंजूरी लिये बिना 5000 फीट नीचे और एटीसी नियंत्रित क्षेत्रों से बाहर तथा प्रतिबंधित एवं नियंत्रित क्षेत्रों से अलग हवाई क्षेत्रों में उड़ान भरने के लिए स्वतंत्र होगा।
14. कार्गो
Ø एयर कार्गो रसद संवर्धन बोर्ड (एसीएलपीबी), विमान से 'ट्रक तक माल ले जाने में समय कम करने के उद्रदेश्य से एक विस्तृत कार्य योजना सौपेगा।
Ø एसीएलपीबी एयर कार्गो के सभी घटकों के लिए 'सेवा आपूर्ति मॉड्यूल' तैयार करेगा।
Ø 1 अप्रैल 2016 से उन्नत कार्गो सूचना प्रणाली लागू की जाएगी।
Ø एसीएलपीबी ट्रांसशिपमेंट को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्रवाई का प्रस्ताव करेगा।
15. वैमानिक ‘मेक इन इंडिया’
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय देश में वैमानिक से संबंधित निर्माण और देश में पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए नोडल एजेंसी होगी।
Ø नागरिक उड्डयन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय, रक्षा ऑफसेट आवश्यकताओं के तहत आने वाले वाणिज्यिक हवाई-विनिर्माण सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
Ø हवाई-विनिर्माण के क्षेत्रों को एसईजेड़ के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
16. अन्य नीतिगत सुधार
Ø अधिक विनियमन, पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस
Ø विमानन शिक्षा और कौशल विकास
Ø सतत् विमानन तरीकों को बढ़ावा
Ø चार्टर परिचालन को व्यवस्थित करना
इस अवसर पर मंत्रियों और सचिव ने भी मीडिया को संबोधित किया और उनके प्रश्नों के उत्तर दिए। मंत्रालय की वेबसाइट पर मसौदा नीति को अपलोड किया गया है और विस्तृत जानकारीhttp://www.civilaviation.gov.in/ पर उपलब्ध हैं। मंत्रालय ने हितधारकों से राय मांगी है, जिसे feedback-avpolicy@gov.in पर भेजा जा सकता है।
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