केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 106 अतिरिक्त अंतर्देशीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के लिए केन्द्रीय विधेयक को अनुमति दे दी है ..
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक-2015” में आधिकारिक संशोधन करने को मंजूरी प्रदान की है। यह संसोधन परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों और राज्य सरकारों की समीक्षा पर आधारित है। इसके अंतर्गत 106 अतिरिक्त अंतर्देशीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के लिए केन्द्रीय विधेयक लाया जाएगा। वर्तमान में पांच राष्ट्रीय जलमार्गों में 106 अतिरिक्त अंतर्देशीय जलमार्गों को सम्मिलित करने के बाद इनकी संख्या बढ़कर 111 हो जाएगी।
राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक-2015 की मूल सूची में निम्नलिखित संशोधनों को सम्मिलित किया गया है- केरल के 10 जलमार्गों को हटाना, 17 जलमार्गों को वर्तमान जलमार्गों के साथ मिलाना और 18 जलमार्गों (कर्नाटक में 5, मेघालय में 5, महाराष्ट्र में 3, केरल में 3 और तमिलनाडु और राजस्थान में 1-1 जलमार्ग) को जोड़ा गया है, जिससे 106 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में घोषित करने को अंतिम रूप दिया गया है। यह वर्तमान में 5 जलमार्गों के अतिरिक्त होंगे। राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक-2015 में इन आधिकारिक संशोधनों को करने के लिए संसद के वर्तमान सत्र में लोकसभा में विधेयक को पेश किया गया है।
106 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में घोषित करने से फिलहाल तुरंत कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। हालांकि प्रत्येक जलमार्ग के लिए भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण द्वारा तकनीकी-आर्थिक अध्ययन करने के बाद प्रत्येक जलमार्ग के लिए सक्षम प्राधिकरण से इसके लिए वित्तीय अऩुमति ली जाएगी। भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) वित्तीय संसाधनों को एकत्र कर राष्ट्रीय जलमार्गों के विभिन्न खंडों को शिपिंग और नौवहन के लिए विकसित करेगा।
इन राष्ट्रीय जलमार्गों को घोषणा से आईडब्ल्यूएआई को इन खंडों के लिए शिपिंग और नौवहन के लिए प्रयोग करने में सहायता मिलेगी। इस संबंध में जल के प्रयोग, नदी के किनारों और संबंधित भूमि के अधिकार राज्य सरकारों के पास ही रहेंगे। इसके अतिरिक्त राज्यों को कम दुर्घटनाओं, सड़कों पर कम भीड़भाड़, यात्रियों को ढोने के लिए सस्ता माध्यम, माल भाड़े की आवाजाही में कम लागत और आसपास के क्षेत्रों के विकास जैसे लाभ प्राप्त होंगे।
राष्ट्रीय जलमार्गों की त्वरित घोषणा और इसके बाद इनका विकास इन जलमार्गों के किनारे औद्योगिक विकास और पर्यटन क्षेत्र की संभावना बढ़ाएगा। इसके अतिरिक्त देश भर में सस्ते और पर्यावरण के अऩुकूल परिवहन माध्यम का विकास करेगा।
पृष्ठभूमि :
अंतर्देशीय जल परिवहन ईंधन गुणवत्ता के बिंदु से परिवहन का सबसे सस्ता माध्यम माना जाता है। एक हॉर्सपावर से जहां सड़क क्षेत्र से सिर्फ 150 किलो और रेलमार्ग से 500 किलो भार ढोया जा सकता है वहीं जल क्षेत्र में चार हजार किलो भार ढोया जा सकता है। विश्व बैंक द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार जहां जलमार्ग में एक लीटर ईंधन द्वारा 105 टन-किलो मीटर ले जाया जा सकता है, वहीं रेल द्वारा 85 टन-किलो मीटर और सड़क मार्ग द्वारा सिर्फ 24 टन-किलो मीटर माल ढोया जा सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि जलमार्गों द्वारा माल ढोये जाने के दौरान जहाजों से प्रति टन-किलो मीटर 32 से 36 ग्राम कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन होता है, वहीं सड़क परिवहन (भारी वाहन) में इसकी मात्रा बढ़कर 51 से 91 ग्राम कार्बन डाइआक्साइड प्रति टन-किलो मीटर हो जाती है।
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