केंद्र ने 31 कोयला खदानों की नीलामी की; अन्य 42 कोयला खदान राज्य कंपनियों को आबंटित
कोयला उत्पादक राज्यों के लिए खान के जीवनकाल के दौरान अनुमानित 3.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संभावित राजस्व
वित्त वर्ष 16 के पहले 8 महीनों में सीआईएल का कोयला उत्पादन और उठाव क्रमशः 8.8 प्रतिशत तथा 9.8 प्रतिशत बढ़ा; 2020 तक एक बिलियन टन उत्पादन की तैयारी
कोयला धारक राज्यों को 1395 करोड़ रुपये से अधिक अंतरित
डब्ल्यूसीएल ने 10 खदान खोले, अगले 26 महीनों में 26 खदान खोले जाएंगे
वर्ष 2015 कोयला खदानों की कुशल और पारदर्शी नीलामी किए जाने के कारण देश के कोयला क्षेत्र के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। नई सरकार द्वारा कोयला खदानों की सफल नीलामी ने यह साबित किया है कि सरकार के निष्पक्ष और पारदर्शी नीलामी कराने के निर्णय से बड़े पैमाने पर देश को लाभ हुआ है क्योंकि नीलामी से भारत ने वास्तव में स्वर्ण खदान पर प्रहार किया है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सुदृढ़ और पारदर्शी प्रणाली बनाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया ताकि अदालत द्वारा निरस्त किए गए 204 कोयला खदानों को फिर से आबंटित करने का कानूनी अधिकार सरकार को मिले और यह सुनिश्चित हो कि नीलामी और सरकारी कंपनियों को आबंटन के जरिए चुने गए नए आबंटियों को भूमि तथा अन्य संबद्ध खदान अवसंरचनाओं के साथ स्वाधिकार प्राप्त हो। संसद ने 20 मार्च, 2015 को कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 पारित किया। इस विधेयक ने अध्यादेश का स्थान लिया। कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 के अंतर्गत केंद्र सरकार ने अब तक तीन भागों में 31 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की और 42 खदानों/ब्लाकों का आबंटन केंद्र या राज्य सरकार की कंपनियों को किया। नीलामी की सफलता की हर तरफ प्रशंसा हुई है, इससे न केवल यह सुनिश्चित हुआ है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में अर्थव्यवस्था में कोई व्यवधान नहीं आया है बल्कि इससे कुशलता और पारदर्शिता के नए मानक तय हुए हैं। अनुमान है कि राज्यों को नीलामी के केवल तीन दौर से ही 30 साल के स्तर का 3.44 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। चौथे दौर में अनियंत्रित क्षेत्र के लिए 8 कोयला खदानों(अनुसूची III) की नीलामी की घोषणा भी कर दी गई है।
नीलाम/आबंटित किए गए 34 कोयला खदानों में से 9 खदानों में उत्पादन शुरु हो गया है और 5 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। शेष खदानों में 2/3 महीनों में उत्पदान शुरु हो जाएगा।
अप्रैल-नवंबर में कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) का उत्पादन 8.8 प्रतिशत बढ़ कर 321.38 मीट्रिक टन हुआ और उठाव में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई
सीआईएल ने उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने, कोयले की गुणवत्ता में सुधार करने, कुशलता बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए 1 अप्रैल, 2016 से उपभोक्ताओं को दलन किया हुआ कोयले की सप्लाई करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सीआईएल ने अक्टूबर 2017 से कोयला ग्रेड 10 और इससे ऊपर के ग्रेड का स्वच्छ कोयला सप्लाई करने के लिए 15 कोयला धुलाई मशीनें स्थापित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।
अभी तक 19 ताप कोयला संयंत्रों के लिए लिंकेज को विवेकसंगत बनाया है और इससे ढुलाई लागत में 1423 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
कोयला मंत्रालय के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और उपलब्धियों का विवरण
कोयला खदान नीलीमी और आबंटनः
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत केंद्र सरकार ने अब तक सफलतापूर्वक 31 कोयला खदानों की नीलामी की है और 42 कोयला खदानों /ब्लाकों का आबंटन केंद्र या राज्य सरकार की कंपनियों को किया है। 73 कोयला खदानों ( नीलामी के जरिए 31 कोयला ब्लाकों तथा आबंटन के जरिए 42 कोयला ब्लाकों) की नीलामी से 3.44 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि मिली है जो पूरी तरह कोयला उत्पादक राज्यों को दिए जाएंगे।
कोयला उत्पादक राज्यों को प्राप्त होने वाले राजस्व में टेंडर दस्तावेज में दिया गया अग्रिम भुगतान, नीलामी से प्राप्तियां और कोयला उत्पादन के प्रति टन पर रॉयल्टी शामिल है। कोयला उत्पादक राज्यों को 31 कोयला खदानों की नीलामी की तिथि से खदान जीवन /लीज के दौरान प्राप्त होने वाला अनुमानित राजस्व 1,96,698 करोड़ रुपये का होगा। इसके अतिरिक्त केंद्र और राज्य सरकार की कंपनियों को 42 कोयला ब्लाकों के आबंटन से कोयला उत्पादक राज्यों को 1,48,275 करोड़ रुपये मिलेंगे। उपभोक्ताओं के लिए बिजली शुल्क में होने वाली कमी लगभग 69,310.97 करोड़ रुपये की होगी।
बजट सत्र के पहले भाग में संसद के दोनों सदनों ने कोयला खदान(विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 पारित किया और इस तरह अध्यादेश ने विधेयक का स्थान लिया।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2015 के प्रमुख आकर्षण:
- नए अधिनियम में पारदर्शी बोली प्रक्रिया यानी ई-नीलामी के माध्यम से कोयला खदानों के आबंटन का प्रावधान है।
- कोयला खदानों की ई-नीलामी से कोयला खदान संचालनों में निरंतरता सुनिश्चित होगी और कोयला संसाधनों के अधिकतम उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा।
- नए अधिनियम में निजी कंपनियों के सीमित उपयोग के लिए कोयला ब्लाकों की ई-नीलामी का तथा राज्य तथा केंद्र के सावर्जनिक प्रतिष्ठानों को सीधे तौर पर खदान आबंटित करने का प्रावधान है ।
- इसमें विस्थापित लोगों के लिए पुनर्वास और मुआवजे का प्रावधान है।
- यह छोटे, मझोले तथा काटेज उद्योंगों के लिए विशेष रूप से कोयला बेचने में सहायक है ताकि इस क्षेत्र में रोजगार और आय बढ़े ।
कोयला क्षेत्र में भारतीय कंपनियां और विदेशी कंपनियों की भारतीय सहायक कंपनियां वाणिज्यिक खदान की पात्र होंगी। इस प्रावधान से वैश्विक खदान कंपनियां आकर्षित होंगी और यह क्षेत्र स्पर्धी और लागत कुशल होगा।
*one coal mine is regionally explored and accordingly no estimates have been made.
स्पर्धी बोली नियम, 2012 के अंतर्गत 10 क्षेत्रीय स्तर पर खोजे गए कोयला ब्लाक केंद्र/राज्य सरकार की कंपनियों को दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय रूप में खोजे गए 10 लिग्नाइट ब्लाकों को गुजरात सरकार की कंपनियों को आबंटित किया गया है।
कोयला प्रदान करने वाले संबंधित राज्यों को (31 अक्टूबर, 2015 तक) पहले ही और मासिक भुगतान के तहत 1395,69,77046.25 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं।
अनुसूची II के 34 नीलाम किए गए( 17 नीलाम और 17 आबंटित ) खदानों में से 09 खदानों में उत्पादन शुरु हो गया है। इन 09 खदानों में सितंबर, 2015 तक 4.823 मिलियन टन (अस्थाई) उत्पादन हुआ। शेष खदान मंजूरी के विभिन्न चरणों में हैं।
चौथे चरण की नीलामी जनवरी 2016 में शुरु होगी और इसमें अनियंत्रित क्षेत्र यानी लौह एवं इस्पात, सीमेंट, कैप्टीव पावर प्लांट आदि के लिए अनुसूची II के नौ खदान नीलाम होंगे।
कोयला उत्पादनः
वर्ष 205-16 की पहली छमाही(अप्रैल-सितंबर) के दौरान कच्चे कोयले का उत्पादन 275.29 एमटी हुआ। पिछले वर्ष इसी अवधि में 264.54 एमटी कच्चे कोयले का उत्पादन हुआ था। इस तरह अप्रैल-सितंबर, 2015 के दौरान कोयला उत्पादन में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सीआईएल ने ( अप्रैल-नवंबर 2015 में ) कोयला उत्पादन और उठाव में रिकार्ड वृद्धि दर्ज की
कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) ने अप्रैल-नवंबर 2015 के दौरान कोयला उत्पादन और उठाव में क्रमशः 8.8 प्रतिशत और 9.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सीआईएल ने अप्रैल-नवंबर 2015 के दौरान 26 मिलियन टन अधिक कोयला उत्पादन किया । उठाव पर भी जोर दिया गया और इस तरह इस अवधि में उठाव 30.44 मिलियन टन अधिक हुआ।
सीआईएल ने अप्रैल-नवंबर 2015 में कुल 321.38 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया। पिछले वर्ष इसी अवधि में 295.40 मिलियन टन का उत्पादन किया था। इस तरह कोयला उत्पादन में सीआईएल ने 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सीआईएलकी लगभग सभी सहायक कोयला उत्पादक कंपनियों ने उत्पादन में सकारात्मकता दिखाई। कोयले का उठाव अप्रैल- नवंबर 2005 में 341.13 मिलियन टन कोयले का उठाव किया गया जबकि यह उठाव पिछले साल की इसी अवधि में 310.70 मिलियन टन था। इस प्रकार उठाव में 9.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
अप्रैल-नवंबर 2015 में कोयले का उठाव पिछले वर्ष की इसी अवधि के उठाव की तुलना में ढाई गुना अधिक है।
कोयला आयात में कमीः
कोयले का अधिक उत्पादन का परिणाम यह हुआ है कि कोयले के आयात में कमी आई है। पिछले वर्ष से कोयले के आयात में 4.56 प्रतिशत की कमी आई है।
टीटीपीएस में कोयले का स्टॉकः
कोयले से चलने वाले विद्युत उत्पादन संयंत्रों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक है। नवंबर 2015 के अंत तक कोई भी विद्युत उत्पादन संयंत्र सुपर क्रिटिकल नहीं है। केवल एक संयंत्र संकट की स्थिति यानी क्रिटिकल है । ताप विद्युत संयंत्रों में 27 मिलियन टन कोयला है जो 21 दिनों का स्टॉक है। नवंबर 2014 की इसी अवधि में विद्युत संयंत्रों में कोयले का स्टॉक 10.85 मिलियन टन था जो केवल 7 दिनों का स्टॉक था। 50 बिजली संयंत्र क्रिटिकल थे जिसमें से 30 सुपर क्रिटिकल थे।
कोयला गुणवत्ताः
गुणवत्ता संपन्न कोयला उत्पादन के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। कोयला कंपनियों और बिजली संयंत्रों के बीच के विवाद को सुलझाने तथा कोयले की गुणव्ता सुधारने के लिए थर्ड पार्टी सैंपलिंग के लिए नए नियम जारी किए गए हैं। नई नियमों के अनुसार बिजली संयंत्र और कोयला कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि संयुक्त रूप से सीआईएमएफआर द्वारा नियुक्त थर्ड पार्टी एजेंसी के बीआईएस मानकों के अनुसार एकत्रित नमूनों को देखेंगे। नमूना एकत्रित करने के 18 कार्य दिवसों के अंदर एजेंसी विश्लेषण रिपोर्ट देगी। सरकार ने निर्णय लिया है कि 1 जनवरी 2016 से कोयला आवश्यक स्तर तक दलन के बाद भेजा जाएगा।
कोयला सफाईः
सरकार ने निर्णय लिया है कि 1 अक्टूबर, 2017 से साफ-सफाई के बाद ही जी10 स्तर का कोयला भेजा जाएगा। यह निर्णय कोयले की गुणवत्ता की समस्या को सुझाने के लिए लिया गया है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सीआईएल कुल 112.6 एमटीवाई क्षमता की 15 नई सफाई मशीनें स्थापित कर रही है। इनमें से 6 कोकिंग कोल सफाई की मशीनें हैं जिनकी कुल क्षमता 18.6 एमटीवाई है। 9 गैर-कुकिंग कोयले की सफाई मशीनों की कुल क्षमता 94.0 एमटीवाई है। इन सफाई मशीनों के अतिरिक्त 11.6 एमटीवाई की 3 मशीनें निर्माणाधीन हैं।
कोल लिंकेज को विवेकसंगत बनानाः
लिंकेजेज को विवेकसंगत बनाने के लिए जून 2014 में अंतर मंत्रालय कार्य बल(आईएमटीएफ) गठित किया गया । आईएमटीएफ की सिफारिशों के आधार पर पहले चरण के अंतर्गत 15 बिजली संयंत्रों के लिए कोयला स्रोत को विवेकसंगत बना लिया गया है। 19 एमटी कोयले की आवाजाही को विवेकसंगत बनाए जाने से परिवहन लागत में 877 करोड़ रुपये की वार्षिक पुनरावर्ती बचत हुई है। चरण 2 के प्रस्तावों के अंतर्गत 4 ताप विद्युत संयंत्रों के लिए 2.4 एमटी कोयले की ढुलाई को विवेकसंगत बनाया गया है। इससे प्रति वर्ष 563 करोड़ रुपये की पुनरावर्ती बचत होगी।
सीआईएल द्वारा ईंधन सप्लाई ठेकेः
चयन प्रक्रिया के रूप में स्पर्धी बोली के माध्यम से कोल लिंकेजेज / एलओए की नीलामी सहित विभिन्न माडलों पर विचार करने तथा सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिकतम संरचना की सिफारिश करने के लिए जनवरी 2015 में एक अंतर-मंत्रालय समिति(आईएमसी) बनाई गई है।
विद्युत और गैर-विद्युत क्षेत्रों के लिए पृथक ई-नीलामी खिड़कीः
दीर्घ और मध्यम अवधि के पीपीए धारकों के लिए 5एमटी की ई-नीलामी खिड़की खोली गई है। इसका आधार मूल्य सीआईएल का अधिसूचित मूल्य प्लस 20 प्रतिशत प्रीमियम है। लघु अवधि के पीपीए या ‘नो पीपीए ‘ धारकों के लिए 5 एमटी की एक ई-नीलामी खिड़की खोली गई है जिसका आधार मूल्य सीआईएल का अधिसूचित मूल्य प्लस 40 प्रतिशत प्रीमियम है।
इसी प्रकार, सीआईएल द्वारा गैर-विद्युत क्षेत्र के लिए 4 एमटी की अलग ई-नीलामी खिड़की खोली जा रही है जिसमें वर्तमान एमओयू गैर-विद्युत उपभोक्ता अन्य गैर-विद्युत उपभोक्ताओं के साथ शामिल हो सकते हैं। यह खिड़की केवल गैर-विद्युत क्षेत्र के एंड यूजरों के लिए उपलब्ध होगी और इसमें व्यवसायी शामिल नहीं हो सकते।
एक बिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य के लिए सीआईएल की तैयारीः
कोल इंडिया लिमिटेड(सीआईएल) ने 2019-20 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रोड मैप बनाया है जिसमें अपनाई जाने वाली रणनीतियां हैं। 2019-20 तक देश में 7 प्रतिशत वृद्धि की दर से कोयले की अनुमानित मांग 1,200 मिलियन टन होगी। सीआईएल का उत्पादन लक्ष्य 1 बिलियन टन का है ,जिसमें से 908 मिलियन टन का उत्पादन चिन्हित परियोजनाओं से होगा। शेष मात्रा को साझा करने, 1 बिलियन टन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए परियोजनाओं को चिन्हित करने की प्रक्रिया जारी है। सीआईएल की दो सहायक कंपनियां – संबलपुर की महानदी कोल फील्ड्स लिमिटेड और बिलासपुर की साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड- क्रमशः 250एमटी और 240 एमटी के योगदान के साथ सीआईएल की लक्ष्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी। खनिक की निर्भरता महत्वपूर्ण रेल लाइनों के समय पर पूरा होने , समय से भूमि अधिग्रहण और हरित मंजूरी पर है।
सीआईएल ने 2014-15 के 494.80एमटी कोला उत्पादन स्तर को बढ़ाकर 908.1एमटी करने के लिए अगले पांच वर्षों में 57,000 करोड़ रुपये निवेश करने का निश्चय किया है। यह 2019-20 तक 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य के लिए रोड मैप का हिस्सा है।
डब्ल्यूसीएल 36 महीनों में 36 खदान खोलेगी;2020 तक 100एमटी उत्पादन लक्ष्यः
2020 तक सीआईएल के 1 बिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य में मदद देने के लिए वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) अपने उत्पादन में 150 प्रतिशत की वृद्धि करने की योजना बना रही है। कंपनी ने पिछले 10 महीनों में 10 खदान खोले हैं और अगले 26 महीनों में 26 खदान खोलेगी। इस नियोजित विस्तार के कारण वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड ने 2020 तक अपना उत्पादन 150 प्रतिशत बढ़ा कर 60एमटी से 100एमटी करने का निश्चय किया है।
एनसीएल प्रगति की राह परः
नेवेली लिग्नाइट कारपोरेशन(एनसीएल) ने अपनी लिग्नाइट खनन क्षमता 31.10.2015 को 30.60एमटीपीए कर ली। कंपनी ने अपनी विद्युत् उत्पादन क्षमता 2740 मेगावाट(मार्च 2015 में) से बढ़ा कर 4263.50 मेगावाट कर ली है। इसमें 10 मेगा वाट सौर तथा 13.5 मेगा वाट पवन विद्युत है। एनसीएल ने 2025 तक अपने लिग्नाइट तथा कोयला खदानों से प्राप्त ईंधन सुरक्षा के साथ 19,000 मेगावाट की विद्युत कंपनी बनने का निश्चय किया है।
रेलवे तथा राज्य सरकारों के साथ सहमति ज्ञापनः
कोयला उत्पादन की नियोजित वृद्धि तथा खोज को बनाए रखने के उद्देश्य से संयुक्त उद्य बनाकर रेल अवसंरचना विकसित करने के लिए रेल मंत्रालय , ओडिशा , झारखंड और छत्तीसगढ़ सरकार के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
कोयला परियोजना मॉनिटरिंग पोर्टल(ई-सीपीएमपी):
मंत्रालय में परियोजनाओं की शीघ्र मंजूरी तथा राज्य सरकार और केंद्र सरकार की कोयला परियोजनाओं जुड़े लंबित मामले निपटाने के लिए मंत्रालय ने परियोजना मॉनिटरिंग पोर्टल (ई-सीपीएमपी) स्थापित किया है।
स्वच्छ भारत अभियान में योगदानः
कोयला मंत्रालय विद्युत तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के साथ मिलकर एक वर्ष के अंदर सरकारी स्कूलों में कुल एक लाख शौचालय बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। सावर्जनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान एनटीपीसी, आरईस, पीजीसीआईएल, पीएफसी, एनएचपीसी, एसजेवीएनएल, टीएचडीसी, एनईईपीसीओ, सीआईएल,एनएलसी तथा आआरईडीए स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हुए। तीन मंत्रालयों ने सामूहिक रूप से एक वर्ष की छोटी अवधि में सरकारी स्कूलों में 1.28 लाख शौचालयों का निर्माण किया जो 1 लाख शौचालय के संकल्प से अधिक है। इनमें से 55,286 शौचालय सीआईएल तथा उसकी सहायक कंपनियों की ओर से बनाए गए।
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