प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति( सीसीईए) ने देश में दालों का सुरक्षित भंडार बनाने को अनुमति प्रदान की है। ये सुरक्षित भंडार वर्तमान वित्तीय वर्ष में ही बनाया जाएगा। इसके लिए 2015-16 की खरीफ फसल से पचास हजार टन और 2015-16 में आने वाली रबी की फसल से एक लाख टन दालों की सरकारी खरीद की जाएगी। दालों की ये खरीद बाजार मूल्यों पर भारतीय खाद्य निगम( एफसीआई) भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) लघु कृषक कृषि व्यापार संघ( एसएफएसी) और निर्धारित की गई किसी अन्य एंजेसी के द्वारा किया जाएगा। लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) खरीदारी कृषक उत्पादक संगठनों के द्वारा करेगा। खरीफ और रबी 2015-16 के लिए सरकारी खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्( एमएसपी) से उपर बाजार मूल्य पर मूल्य स्थायीकरण निधि से की जाएगी।
आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति( सीसीईए) ने आवश्यकता होने पर दालों का आयात वाणिज्य मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा करने का निर्णय भी लिया। एमएसपी से मूल्यों के कम होने पर सुरक्षित भंडार के लिए दाल कृषि,सहकारिता एवं कृषि कल्याण विभाग द्वारा एमएसपी पर मूल्य समर्थन योजना द्वारा खरीदी जाएगी।
दालों का सुरक्षित भंडार बनाने का निर्णय दालों के मूल्यों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ खाद्य मंहगाई को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे किसानों को दालों का उत्पादन बड़े पैमाने पर करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ आगामी कुछ वर्षों में देश को दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिलेगी। दालों का उत्पादन मुख्य रूप से वर्षा बहुत क्षेत्रों में होने के कारण इस पर निर्भर है। वर्षा की स्थिति के चलते दालों के मूल्य में बहुत अधिक उतार-चढाव देखने को मिलता है। इससे अधिक उत्पादन के समय किसानों को लाभकारी मूल्य देने में भी सहायता मिलेगी। कृषि मंत्रालय ने दालों का उत्पादन बढाने की वर्तमान नीति में कमी की पहचान की है और दालों का उत्पादन बढाने में बीजों की नई किस्मों की कमी एक महत्वपूर्ण रूकावट है। इसके अतिरिक्त एकीकृत पोषक प्रबंधन, एकीकृत कीट प्रबंधन एवं कृषि यंत्रीकरण पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वर्ष 2016-17 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन( एनएफएसएम) का विस्तार किए जाने का प्रयास किए जाएगें ताकि दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अतिरिक्त कदम उठाएं जा सकें।
पृष्ठभूमि
भारत में दुनिया में दालों का सबसे बडा उत्पादन होने के बाद भी घरेलू मांग, घरेलू उत्पादन से अधिक होती है। जिसकी पूर्ति आयात द्वारा की जाती है। दालों की मांग को पूरी करने के लिए दीर्धकालिक उपाय देश में दालों का उत्पादन बढ़ाना है। सरकार दालों की खेती को बढाने के लिए 27 राज्यों के 622 जिलों में मुख्य रूप से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन( एनएफएसएफ) द्वारा इसका प्रसार करती है। एनएफएसएफ द्वारा विभिन्न कदम जैसे उन्नन प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन, नई किस्मों के लिए उन्नत बीजों का वितरण,एकीकृत कीट नियंत्रण, जल बचाव उपकरण और किसानों के लिए क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
रबी वर्ष 2015-16 और ग्रीष्म सत्र 2016-17 में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :
1. रबी और ग्रीष्म दालों के लिए अतिरिक्त 440 करोड़ रूपए का आवंटन
2. पूर्वी भारत के राज्यों आसाम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिसा, पूर्वी उत्तरप्रदेश और पं. बंगाल में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बीजीआरईआई( पूर्वी भारत में हरित क्रांति) योजना के तहत वर्ष 2015-16 में रबी सत्र से दाल की खेती के लिए चावल उत्पादन क्षेत्र को सम्मिलित करना
3. रबी 2015-16 से दालों के बीजों की नई किस्मों और नई किस्मों को प्रोत्साहित के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) द्वारा दालों की नई किस्मों के प्रदर्शन के लिए विशेष कार्यक्रम
4. रबी विपणन सत्र 2016-17 के लिए चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य( एमएसपी) को 3175 रूपए से बढाकर 3425 रूपए और मसूर के लिए 3075 रूपए से बढ़ाकर 3325 रूपए किया गया।
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