रक्षा मंत्री श्री मनोहर परिकर की 7 दिसंबर से 10 दिसंबर, 2015 तक की अमेरिका यात्रा के दौरान भारतीय दूतावास, वाशिंगटन डीसी द्वारा जारी किया गया भारत-अमेरिका पूरा संयुक्त बयान
अमेरिका के रक्षा मंत्री श्री एश कार्टर के निमंत्रण पर भारत के रक्षा मंत्री श्री मनोहर परिकर ने 7 दिसंबर से लेकर 10 दिसंबर, 2015 तक अमेरिका की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने यूएस पेसिफिक कमांड (पीएसीओएम), पेंटागन समेत अमेरिका के कई प्रतिष्ठानों का दौरा कया। उन्होंने रक्षा मंत्री कार्टर के साथ एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस ड्वीट डी आइजनहावर (सीवीएन-69) का फ्लाइट ऑपरेशन भी देखा।
पहले श्री परिकर ने पीएसीओएम में पर्ल हार्बर की याद में एक समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया। वह पीएसीओएम के कमांडर एडमिरल हैरी हैरिस से भी मिले और होनोलुलु हवाई के कई सैनिक प्रतिष्ठानों का भी दौरा किया।
पेंटागन में श्री परिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री ने अपनी तीसरी बैठक की। उन्होंने भारत-अमेरिका के रक्षा संबंध और व्यापक अमेरिकी-भारत रणनीतिक गठबंधन पर भी बातचीत की। दोनों ने भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा और रक्षा मामलों में एक दूसरे से मिल कर काम करने की दिशा में आई रफ्तार को बरकरार रखने पर खासा ध्यान दिया। इसमें डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव (डीटीआईआई) को आगे बढ़ाने जैसा मुद्दा भी शामिल था। दोनों अब तक डीटीआईआई को आगे बढ़ाने की दिशा में हुई प्रगति से संतुष्ट थे। दोनों मंत्रियों ने डीटीआईआई के बदले हुई रूप की जरूरत के हिसाब से दोनों देशों के बीच सह-उत्पादन और सह-विकास के लिए नई परियोजनाओं को चिन्हित करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। श्री परिकर और श्री कार्टर ने विमानवाही टेक्नोलॉजी में सहयोग (जेडब्ल्यूजीएसीटीसी) खास कर एयरक्राफ्ट लांच एंड रिकवरी इक्वपमेंट (एएलआरई) के लिए संयुक्त कार्यकारी समूह में हुई सकारात्मक बातचीत की सराहना की उम्मीद जताई कि फरवरी 2016 में भारत में होने वाले जेडब्ल्यूजीएसीटीसी की दूसरी बैठक में इस दिशा में और प्रगति होगी। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि इस सप्ताह बेंगलुरू में हुई जेट टेक्नोलॉजी से संबंधित संयुक्त कार्य दल यानी जेईटीजेडब्ल्यूजी ने अपनी बैठक टर्म ऑफ रेफरेंस को पूरा कर लिया और इस मामले में सहयोग और बढ़ाने के लिए बातचीत सकारात्मक रही।
अमेरिकी रक्षा मंत्री श्री कार्टर ने श्री परिकर को यह बताया कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के आलोक में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने भारत को गैस टरबाइन इंजन टेक्नोलॉजी देने के अपनी नीति को अद्य़तन बनाया है। यही वजह है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री ने यह उम्मीद जताई कि अमेरिका अब जेट इंजन के उपकरण के उत्पादन के दिशा में भारत के साथ सहयोग बढ़ा सकेगा।
श्री परिकर ने श्री कार्टर को मेक इन इंडिया के तहत उठाए गए कदमों की जानकारी दी। इसके तहत भारतीय रक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं। श्री कार्टर ने इन कदमों का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि अब भारतीय रक्षा उत्पादन में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी और बढ़ेगी।
श्री कार्टर ने 2016 में होने वाले बहुस्तरीय नौसैन्य अभ्यास रिफ-ऑफ-दि-पेसिफिक यानी आरआईएमपीएसी में भारत की भागीदारी का स्वागत किया। साथ ही उन्होंने अप्रैल-मई, 2016 में भारतीय वायुसेना द्वारा बहुस्तरीय रेड फ्लैग अभ्यास में भागीदारी का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे आगे जाकर दोनों देशों के वायुसेना के बीच आसमान में और ज्यादा सहयोग होगा। श्री परिकर ने भी भारतीय वायुसेना की ओर से फरवरी, 2016 में विशाखापट्टनम में आयोजित होने वाली इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में अमेरिकी की भागीदारी से जुड़ी घोषणा का स्वागत किया।
श्री कार्टर और श्री परिकर ने दोनों देशों के नौसेनाओं के बीच समुद्र में सहयोग के स्तर पर संतोष जताया और आगे भी इसे और बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि व्हाइट शिपिंग से जुड़ी सूचनाएं साझा करने के मामले में दोनों नौसेनाओं को बीच जल्द ही एक समझौता करने का इरादा है।
श्री परिकर और श्री कार्टर ने रक्षा नीति समूह (डिफेंस पॉलिसी ग्रुप) में सेना सहयोग समूह के तहत मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचए/डीआर) पर कार्यकारी दल के पुनर्स्थापन समेत हुई प्रगति की सराहना की। साथ ही रक्षा क्षेत्र में क्षमता विकास पर बातचीत की।
दोनों ने आईएसआईएल, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी, हक्कानी नेटवर्क और अन्य क्षेत्रीय आतंकी संगठनों के खतरों समेत क्षेत्रीय सुरक्षा के मुददों पर भी विचार-विमर्श किया। दोनों ने एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर में श्री नरेन्द्र मोदी और श्री बराक ओबामा की संयुक्त सामरिक दृष्टि लागू करने पर विचार-विमर्श किया।
श्री परिकर की इस राजकीय यात्रा ने भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध के सामरिक महत्व के साथ दोनों मंत्रियों का इसे निजी प्राथमिकता में रखने को भी रेखांकित करती है। श्री परिकर ने अपनी इस यात्रा के दौरान अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों और संसद सदस्यों से मुलाकात की।
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