रक्षा मंत्री पर्रिकर का विशेष लेख : रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया'

रक्षा क्षेत्र में विदेशों पर निर्भरता कम करना और आत्‍मनिर्भरता प्राप्‍त करना सामरिक और आर्थिक दोनों कारणों से आज यह एक विकल्‍प के बजाय एक आवश्‍यकता है। सरकार ने अतीत में हमारे सशस्‍त्र बलों की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए आयुद्ध निर्माणियों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रूप में उत्‍पादन क्षमताओं का निर्माण किया। हालांकि, विभिन्‍न रक्षा उपक्रमों के उत्‍पादन की क्षमताओं को विकसित करने के लिए भारत में निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने पर जोर देने की आवश्‍यकता है। हमारे प्रधानमंत्री ने देश में विभिन्‍न वस्‍तुओं के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 'मेक इन इंडिया' जैसी एक महत्‍वपूर्ण पहल की है। अन्‍य वस्‍तुओं की अपेक्षा रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्‍पादन की अधिक जरूरत है, क्‍योंकि इनसे न केवल बहुमूल्‍य विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्‍कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा चिन्‍ताओं को भी दूर किया जा सकेगा।

रक्षा क्षेत्र में सरकार ही एक मात्र उपभोक्‍ता है। अत: 'मेक इन इंडिया' हमारी खरीद नीति द्वारा संचालित होगी। सरकार की घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने की नीति, रक्षा खरीद नीति में अच्‍छी तरह परिलक्षित होती है। जहां 'बाई इंडियन' तथा 'बाई एंड मेक इंडियन' श्रेणियों का बाई ग्‍लोबल से पहले स्‍थान आता है। आने वाले समय में आयात दुर्लभ से दुर्लभतम होता जाएगा और जरूरी व्‍यवस्‍था के निर्माण और विकास के लिए सर्वप्रथम अवसर भारतीय उद्योग को प्राप्‍त होगा। भले ही भारतीय कंपनियों की वर्तमान में प्रौद्योगिकी के मामले में पर्याप्‍त क्षमता न हो, उन्‍हें विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्‍त उद्यम, प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण की व्‍यवस्था और गठबंधन के लिए प्रोत्‍साहित किया जाता है।


यदि हम नई सरकार के सत्‍ता में आने के बाद, पिछले कुछ महीनों में, रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) द्वारा स्‍वीकृत जरूरत की स्‍वीकृति (एओएन) की प्रोफाइल पर नजर डालें तो 'बाई इंडियन' तथा 'बाई एंड मेक इंडियन' श्रेणियों के तहत 65 हजार करोड़ रूपए से ज्‍यादा के प्रस्‍ताव आए हैं। भविष्‍य में घरेलू उद्योगों से रक्षा खरीद प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। खरीद प्रक्रिया  को अधिक कुशल, समयबद्ध और उम्‍मीद के मुताबिक बनाया जाएगा ताकि उद्योग, हमारे सशस्‍त्र बलों की आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए अग्रिम में अनुसंधान एवं विकास तथा निवेश योजना बना सकें।

अब तक रक्षा क्षेत्र में घरेलू उद्योग के प्रवेश के लिए लाइसेंस और प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्रतिबंध आदि को लेकर कई बाधाएं थी। पिछले 6 महीनों में सरकार ने रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कई नीतियों को उदार बनाया है। सबसे महत्‍वपूर्ण रक्षा क्षेत्र में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई नीति को उदार बनाया गया है। अब सरकारी माध्‍यम से एफआईपीबी की मंजूरी के साथ 49 प्रतिशत प्रत्‍यक्ष विदेश निवेश को मंजूरी दी गई है। जहां कहीं भी आधुनिक और नवीनतम प्रौद्योगिकी मिलती है वहां सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की मंजूरी के साथ मामले दर मामले में 49 प्रतिशत प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश को भी मंजूरी दी गई है। रक्षा खरीद नीति में पहले से मौजूद विदेशी संस्‍थागत निवेश और बहुमत हिस्‍सेदारी वाली 'एकल भारतीय शेयर धारक' संबंधी प्रतिबंध भी हटा लिए गए हैं। 

हालांकि, आईडीआर कानून के तहत औद्योगिक लाइसेंस प्राप्‍त करने के बाद वर्ष 2001 से निजी क्षेत्र के उद्योग को रक्षा उत्‍पादन के क्षेत्र में अनुमति दी गई थी लेकिन औद्योगिक लाइसेंस प्राप्‍त करना एक बहुत जटिल प्रक्रिया थी जो कि उप-असेंबली, उप-प्रणाली, घटक और हिस्‍से-पुर्जें बनाने वाले व्‍यावसायियों के लिए, खासकर लघु और मध्‍यम उद्योगों के लिए, एक प्रमुख अड़चन थी। सरकार ने लाइसेंस नीति को उदार बनाया है और अब घटकों, हिस्‍से-पुर्जों, कच्‍चा माल, परीक्षण उपकरण, उत्‍पादन मशीनरी, कास्‍टिंग तथा फोर्जिंग आदि को लाइसेंस के दायरे से बाहर रखा गया है। जो कंपनियां इस तरह की वस्‍तुओं का उत्‍पादन करना चाहती है अब उन्‍हें लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी और न ही उन पर 49 प्रतिशत एफडीआई की सीमा का प्रतिबंध होगा। विभिन्‍न श्रेणी के उद्योगों के पालन के लिए एक व्‍यापक सुरक्षा मैन्‍युअल तैयार किया गया है ताकि कंपनियों की इस तक आसान पहुंच हो और तदनुसार इसका पालन किया जा सके। औद्योगिक लाइसेंस की प्रारंभिक वैधता 2 से बढ़ाकर 3 वर्ष कर दी गई है।

पहली बार, एक रक्षा निर्यात नीति तैयार की गई है, जिसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है। इस नीति में रक्षा उत्‍पादों के निर्यात को  बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले विशिष्‍ट उपायों की रूप रेखा दी गई। इस नीति में घरेलू उद्योग को दीर्घकाल में अधिक टिकाऊ बनाने का उद्देश्‍य निहित है क्‍योंकि यह उद्योग विशुद्ध रूप से घरेलू मांग पर निर्भर नहीं रह सकता है। सैन्‍य भंडार के निर्यात के लिए अनापत्‍ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को अंतिम रूप दिया गया है और इसे भी सार्वजनिक डोमेन में डाल दिया गया है। सरकारी अधिकारियों द्वारा अधिकांश रक्षा उत्‍पादों, विशेष रूप से हिस्‍से-पुर्जों, घटकों, उप-प्रणालियों और उप-एसेंबलियों पर अंतिम उपयोगकर्ता प्रमाण पत्र (ईयूसी) के हस्‍ताक्षर और मुहर लगाने की आवश्‍यकता की बाध्‍यता समाप्‍त कर दी गई है। इससे काफी हद तक घरेलू उद्योग द्वारा निर्यात में आसानी होगी। सैन्‍य भंडार निर्यात के लिए  अनापत्‍ति प्रमाण पत्र के आवेदन प्राप्‍त करने हेतू वेब आधारित एक ऑनलाइन व्‍यवस्‍था विकसित की गई है और उसे लागू किया गया है।

रक्षा क्षेत्र में घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों के लिए एक बड़ा अवसर उपलब्‍ध है। हमारा देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़े सैन्‍य बल वाला देश है जिसके लिए वार्षिक बजट में करीब 38 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रावधान है, जिसका 40 प्रतिशत पूंजी अधिग्रहण के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है। अगले 7-8 वर्षों में हम, 'मेक इन इंडिया' की वर्तमान नीति के तहत अपने सैन्‍य बलों के आधुनिकीकरण के लिए 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने जा रहे हैं। अब, राष्‍ट्र के साथ-साथ व्‍यवसाय के लाभ, दोनों के लिए इस अवसर का सदुपयोग करने की जिम्‍मेदारी उद्योग पर है। इसके अलावा अगले 7-8 वर्षों में 25 हजार करोड़ रूपए से ज्‍यादा का कारोबार होना है।

एक तरफ जहां सरकार निर्यात, लाइसेंसिंग, एफडीआई सहित निवेश और खरीद के लिए नीति में जरूरी बदलाव कर रही है वहीं उद्योग को भी जरूरी निवेश और प्रौद्योगिकी के मामले में उन्‍नयन करने की चुनौती को स्‍वीकार करने के लिए सामने आना चाहिए। रक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जो नवाचार से संचालित होता है और जिसमें भारी निवेश और प्रौद्योगिकी की आवश्‍यकता है। लिहाजा उद्योग को भी अस्‍थायी लाभ के बजाय लंबी अवधि के लिए सोचने की मानसिकता बनानी होगी। हमें अनुसंधान विकास तथा नवीनतम विनिर्माण क्षमताओं पर ज्‍यादा ध्‍यान देना होगा। सरकार, घरेलू उद्योग हेतु एक ऐसी पारिस्‍थितिकी प्रणाली विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे वह सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में बराबर के स्‍तर पर व्‍यावसायिक उन्‍नति कर सके।

जयंती नटराजन ने की गाँधी परिवार से बगावत

यूपीए सरकार में पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन ने बड़ा खुलासा किया है। नटराजन ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि कई प्रॉजेक्ट्स पर उन्हें राहुल गांधी की तरफ से खास अनुरोध मिले थे। हालांकि नटराजन ने कहा है कि दबाव के बावजूद उन्होंने कई योजनाओं को रोके रखा।

नवंबर में नटराजन ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में नटराजन ने आरोप लगाया था कि पार्टी के कुछ लोग मीडिया के जरिए उनके खिलाफ दुष्प्रचार की मुहिम छेड़े हुए हैं। नटराजन के मुताबिक यह मुहिम तब शुरू हुई, जब राहुल गांधी ने पर्यावरण के पक्ष में अपनाया रुख छोड़कर कॉर्पोरेट प्रेमी हो गए थे।

नटराजन लिखती हैं, 'मुझे राहुल गांधी और उनके दफ्तर से खास अनुरोध (जो हमारे लिए निर्देश) होते थे, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पर्यावरण को लेकर चिंताएं जाहिर की जाती थीं। मैंने उन अनुरोधों का पालन किया।'

नटराजन ने इस पत्र में लिखा है कि राहुल गांधी अनुरोध भेजते थे लेकिन यह हमारे लिए आदेश सरीखा होता था। उन्होंने आरोप लगाया है कि जब उन्हें पार्टी के काम के बहाने मंत्रीपद से हटाया गया, उसके एक दिन बाद फिक्की के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने व्यापारियों से कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। नटराजन ने कहा कि उन्हें हटाए जाने के एक दिन बाद ही राहुल गांधी के दफ्तर की ओर से मीडिया में ऐसी खबरें फैलाई गईं कि उनका इस्तीफा पार्टी के काम के लिए नहीं था।

आज से दो हजार वर्ष पहले तक दुनिया में हिंदू ही हिंदू थे - तोगड़िया

विश्व हिन्दू परिषद् के नेता प्रवीण भाई तोगड़िया ने यहां कहा कि हिन्दू तब उत्सव मनाएगा जब अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने का कार्य पूरा हो जाएगा। वह सोमवार को विहिप के स्वर्ण जंयती वर्ष पर जिमखाना मैदान में आयोजित विराट हिन्दू सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।

तोगड़िया ने कहा कि हिन्दू अब घटेगा नहीं बढ़ेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि अब हम और धर्मान्तरण नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया की राजनीतिक सत्ता का केन्द्र आज अमेरिका है लेकिन कभी राजसत्ता का केन्द्र हमारे मेरठ के नजदीक हस्तिनापुर था और पचास- सौ वर्षों के लिए नहीं वेद काल से लेकर आज से दो हजार वर्ष पहले तक दुनिया में हिंदू ही हिंदू थे। दुनिया की शिक्षा का केन्द्र भारत था। दुनिया की सत्ता का केन्द्र हस्तिनापुर, इन्द्रप्रस्थ, पाटलिपुत्र था।

उन्होंने कहा कि गत 10 वर्षों में 50 लाख हिन्दुओं को विहिप ने धर्मान्तरित होने से बचाया है। उन्होंने कहा कि अब हिन्दू घटेगा नहीं बल्कि बढ़ेगा।

भारत-अमेरिका बिजनेस समिट में प्रधानमंत्री मोदी का पूरा भाषण

माननीय राष्ट्रपति, सम्मानित अतिथिगण,

गणतंत्र दिवस पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं । मैं स्वतंत्र भारत में जन्म लिए प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शुभकामनाएं देते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ।

65 वर्ष पहले आज ही के दिन भारत के लोगों ने विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान स्वयं को आत्मार्पित किया था।

यह संविधान विविधता और असमानता वाले समाज के लिए था, अनेक चुनौतियों बाधाओं का सामना कर रहे एक युवा राष्ट्र के लिए था।

यह सहअस्तित्व, विधानसभाओं और गणराज्यों के प्रति हमारी प्राचीन सोच के प्रति एक शपथ था।

सर्वोच्च आदर्शों से बना और उन्नत दृष्टि से प्रेरित संविधान, एक दृष्टि और मूल्य जो  भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका को परिभाषित करते हैं।

हम महान विरासत से संपन्न दो राष्ट्र हैं। भारत और अमेरिका की पीढ़ियों ने इस विरासत को संरक्षित रखा है।

हमारे देश के लिए यात्रा शानदार रही है।

लेकिन आगे का मार्ग अभी लंबा है, क्योंकि हमारे संविधान में व्यक्त आशाएं अभी बहुतों के लिए ओझल है।

यह आशा तब पूरी होगी जब प्रत्येक भारतीय का सम्मानजनक जीवन हो, मांग से स्वतंत्र हो तथा जिसका विश्वास सपनों की संभावना में हो।

पिछली मई में ऐतिहासिक चुनाव में हमारे देश ने उस विज़न के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

पिछले 8 महीनों में जनादेश पूरा करने के लिए हमने अथक कार्य किए- न केवल अपनी आर्थिक वृद्धि के लिए बल्कि हमारे लोगों के जीवन स्तर को बदलने और प्रकृति के वरदानों को संरक्षित रखने के लिए।

हमारा कार्य विशाल है और यह रातों-रात पूरा नहीं हो सकता।

हम अपनी चुनौतियों के प्रति सचेत हैं, लेकिन हम अपनी अनेक सफलताओं से प्रेरित भी हैं।

और हमारे पास हमारे युवा की ऊर्जा है, कारोबार का उद्यम है और हमारे किसानों निपुणता है। आप सभी के लिए हमारे द्वारा उठाए गए अनेक साहसिक कदमों को बताने की आवश्यकता नहीं। आप के लिए मेरा संदेश यह हैः

आपके लिए माहौल खुला होने के साथ स्वागत भरा भी होगा। हम आपकी परियोजनाओं का मार्गदर्शन करेंगे बल्कि इसमें पूरा साथ देंगे। आपको यहां ऐसा वातावरण मिलेगा जो निवेश को बढ़ावा देगा और उद्योग को प्रोत्साहित करेगा। यह नवाचार को पोषित करेगा और आपकी बौद्धिक संपदा की रक्षा करेगा। इससे यहां कारोबार करना आसान होगा। हमारा तात्कालिक लक्ष्य भारत को पिछली श्रेणी से उठा कर दुनिया के शीर्ष 50 देशों में लाने का है।

आपको जल्द ही ऐसी कर व्यवस्था देखने को मिलेगी जो निश्चित और स्पर्धी होगी। हमने अतीत में हुए कुछ अतिरेकी कदमों को हटा दिया है। अब हम बाकी अनिश्चितताओं को भी खत्म कर देंगे।

हमारा लक्ष्य ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण है, जहां कौशल, बुनियादी ढांचा और संसाधन विकास दर को रफ्तार देने की राह में रोड़ा न बने। अर्थशास्त्र की दुनिया में आंकड़े अक्सर यथार्थ का आईना दिखाते हैं। ये आंकड़े कह रहे हैं हम सही राह पर हैं। हमारी अर्थव्यवस्था में 0.1 फीसदी का इजाफा हुआ है।

मौजूदा दौर में सारे एशियाई बाजारों के बीच भारत में कारोबारी माहौल सबसे  बेहतर है। तीन साल के बाद भारत में उपभोक्ता विश्वास सकारात्मक दिख रहा है। आठ कोर सेक्टरों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महंगाई पांच साल के न्यूनतम स्तर पर है। पिछले चार महीनों के भीतर देश भर में 110 मिलियन बैंक खाते खोले गए हैं।

मेरे कार्यकाल के पहले छह महीने में भारत में अमेरिकी निवेश 50 फीसदी बढ़ा है। और मुझे यह भी पता है कि सितंबर में वाशिंगटन में निवेश के जो वादे किए गए थे वे भी आने शुरू हो गए हैं। जी, मैं इन चीजों पर नजर रखता हूं।

हम बहुत बड़े सपने देखते हैं। इसलिए हम जो संभावनाएं मुहैया करा रहे हैं वे भी विशाल हैं।

 हम अपने रेल में क्रांति की बात करते हैं। हमारी रेल में रोजाना दुनिया के तीन चौथाई आबादी से अधिक लोग यात्रा करते हैं। गंगा सफाई के हमारे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम में 500 मिलियन लोग, सैकड़ों शहर और हजारों गांव शामिल हैं।

हमारी योजना एक लाख से अधिक आबादी वाले 500 से अधिक शहरों में शहरी कचरा प्रबंधन की है।

ग्रामीण भारत को जोड़ने के हमारे विजन में 600,000 गांव हैं।

अगले सात वर्षों में प्रत्येक भारतीय को छत देने के लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 5 मिलियन नए मकान बनाने की आवश्यकता है।

यह केवल नीति और रणनीति नहीं है, जो हमें वहां ले जाएगी।

हम जो कुछ भी करना चाहते हैं, उसमें उद्यम और निवेश शामिल है। लेकिन उससे भी अधिक नवाचार और कल्पना है।

हमें विकास के पथ पर अभी बहुत आगे जाना है। हम समृद्धि के लिए कहीं ज्‍यादा टिकाऊ रास्‍ते पर चलेंगे।

 हम अपनी संस्‍कृति और परम्परा की स्वाभाविक प्रवृत्ति के अनुरूप ही यह विकल्‍प चुनते हैं, लेकिन इस पर अमल के वक्‍त हम अपने भविष्‍य के प्रति कटिबद्धता को भी ध्‍यान में रखते हैं।

अगर हम महज विकल्‍पों को थोपने के बजाय किफायती समाधान की पेशकश करेंगे तो हमें सफलता मिलने की सम्‍भावना बढ़ जाएगी। इसके लिए और ज्‍यादा संसाधनों एवं बेहतर तकनीक की जरूरत है।

यही कारण है कि हमने स्‍वच्‍छ ऊर्जा विकसित करने के लिए वैश्‍विक स्तर पर सार्वजनिक कदम उठाने का आह्वान किया है। इसके मद्देनजर भुखमरी की समस्या एवं तरह-तरह की बीमारियों से निपटने के लिए हमें विगत प्रयासों से सबक लेना चाहिए।

भारत की प्रगति 1.25 अरब लोगों की नियति है।

लेकिन, मानव समुदाय के छठवें हिस्‍से को मिलने वाली सफलता भी इस दुनिया के लिए काफी महत्‍वपूर्ण साबित होगी।

यह एक ऐसी दुनिया होगी जहां गरीबी का कहर कम होगा और शिशुओं के बचने की संभावना कहीं ज्‍यादा रहेगी। इसी तरह बटियों के पास अवसरों का सम्‍बल होगा।

  और इसके साथ ही 800 मिलियन सशक्त एवं काबिल लोगों का एक विशाल वैश्‍विक संसाधन होगा।

भारत वैश्‍विक अर्थव्‍यवस्‍था के लिए स्‍थिरता का एक महत्‍वपूर्ण ठिकाना और इसके विकास का एक इंजन होगा।

इन सबसे भी ज्‍यादा, एक समृद्ध भारत विश्‍व में शांति एवं स्‍थिरता की एक बड़ी ताकत साबित होगा। 

हमने यह देखा है कि समृद्धि शांति की गारंटी नहीं है। मैं यह बात दोहराता हूं कि समृद्धि शांति की गारंटी नहीं है। हालांकि, भारत दुनिया को एक परिवार के रूप में देखता है और हम इसमें उन मूल्‍यों को समाहित करने की कामना रखते हैं जो हमारे राष्‍ट्र को परिभाषित करता है।

एक-दूसरे पर निर्भर हमारी दुनिया को पहले से कहीं ज्‍यादा मजबूत अंतर्राष्‍ट्रीय साझेदारियों की सख्‍त जरूरत है। 

और कुछ साझेदारियों में इतनी संभावनाएं हैं कि वे हमारी तरह हमारी दुनिया को नया आकार दे सकती हैं।

हमें केवल अपने सहयोग के इतिहास पर नजरें दौड़ाने की जरूरत है। हमने मिलजुल कर भारत में हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्‍त किया है। हमने अंतरिक्ष में सहयोग किया है। हमने आईआईटी और आईआईएम की स्‍थापना के लिए भागीदारी की है। हमने डिजिटल युग को आकार देने में मदद की है।

हमारे इंजीनियर, वैज्ञानिक और डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किफायती चिकित्सा उपकरण और बच्चों के लिए नए टीके विकसित कर रहे हैं।

हमारे इन दोनों देशों के 90 से भी ज्यादा संस्थान जैव ईंधन और सौर ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा की कम खपत सुनिश्चित करने के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं। 

अमेरिकी कंपनियां भारत को उन्नत कौशल एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरित कर रही हैं और भारतीयों द्वारा अमेरिकी कारोबार में नई जान फूंकी जा रही है।

भारत की आईटी कंपनियां अमेरिका में ज्यादा कौशल वाली नौकरियां सृजित कर रही हैं और इसके साथ ही अमेरिकी कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में टिकने में मददगार साबित हो रही हैं। भारत की आईटी कंपनियों ने अमेरिका के अनुभवी सैनिकों को नए सिरे से जिन्दगी संवारने में मदद दी है।



अमेरिका में 1,00,000 से भी ज्‍यादा भारतीय छात्र हैं और हजारों की संख्‍या में अमेरिकी छात्र भारत आते हैं। ये भविष्‍य के सहयोग की बीज डाल रहे हैं। 30 लाख भारतीय अमेरिकियों की सफलता इस सिलसिले में हमारी संभावनाओं को इंगित करती है।

हमारे कारोबारी परिचित लोकतांत्रिक महौल में करते हैं और उन्‍हें हमारे सहयोग व सद्भावना का भरोसा है।

अब हम नए क्षेत्रों जैसे कि असैन्‍य परमाणु ऊर्जा, नवीन ऊर्जा और रक्षा उपकरण में आगे बढ़ रहे हैं।

दोनों देशों का आर्थिक पुनरूत्‍थान हमें भविष्‍य में होने वाले समझौतों के प्रति काफी आशावादी बनाता है।

दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्‍ट्र के रूप में एक-दूसरे की सफलता पर हमारा बहुत कुछ विशेषकर हमारे मूल्‍य और आपसी हित दांव पर है। अकेले काम करते हुए भी हम अपने आपसी हितों को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन यदि हम साथ काम करें तो भारी सफलता प्राप्‍त करते सकते हैं।

हमारा आपसी सहयोग देश में सम्‍पन्‍नता और बाहर आर्थिक नेतृत्‍व के लिए महत्‍वपूर्ण हैं। यह हमारे समय के वैश्‍विक चुनौतियों से निपटने में मददगार होगा।

लंबे समय से भारत और अमेरिका एक-दूसरे को पूरे यूरोप और अटलांटिक में देखते रहे हैं और जब मैं पूर्व की ओर देखता हूं तो मैं अमेरिका के पश्‍चिमी तटों को देखता हूं। ये हमें यह बताता है कि हम एक समान विशाल क्षेत्र से जुड़े हैं। यह क्षेत्र बेहद गतिमान है, फिर भी कई अनसुलझे सवाल भी हैं।

इसका भविष्‍य दोनों देशों और विश्‍व की नियति के लिए महत्‍वपूर्ण होगा। हमारे संबंध भविष्‍य को एक रूप देने में अपरिहार्य होंगे। हमारे सहयोग की सुदृढ़ता में मैं वैसे विश्‍व को देखने की ज्‍यादा उम्‍मीद करता हूं जो आपसी जरूरतों और हितों के आधार पर एकजुट है।

आसानी से समझें तो भारत और अमेरिका हाथ मिलाकर इस विश्‍व को सभी के लिए बेहतर बनाएंगे। आज सुबह, अमेरिका दोनों देशों के आपसी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हमारी दोस्‍ती का दामन थामा और आज शाम भविष्‍य के प्रति साझा प्रतिबद्धता को लेकर हम दोनों साथ आ गए हैं।
राष्‍ट्रपति महोदय, आपके नेतृत्‍व में और हमारे प्रतिभाशाली लोगों की मदद से हम हमारे वायदों को ठोस कार्यों में तब्‍दील कर सकते हैं।

राष्‍ट्रपति महोदय, हमारे साथ होने के लिए धन्‍यवाद। अमेरिका और पूरे भारत से आए सभी लोगों को धन्‍यवाद।
     आपकी भागीदारी ने इस सम्‍मेलन को सार्थक बनाया।
     आप सभी को धन्‍यवाद।     

जानिये पद्म सम्‍मान 2015 की पूरी सूची

देश के उच्‍चतम नागरिक सम्‍मानों में से एक पद्म सम्‍मान तीन वर्गों – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री में दिया जाता है। ये सम्‍मान विभिन्‍न क्षेत्रों में जैसे कि कला, सामाजिक कार्य, लोक कार्यों, विज्ञान और इंजीनियरिंग,चिकित्‍सा , उद्योग और व्‍यापार, खेल, लोक सेवा आदि में दिया जाता है। ‘पद्म विभूषण’ असाधारण और उत्‍कृष्‍ट सेवा, ‘पद्म भूषण’ उच्‍चस्‍तरीय सराहनीय सेवा और ‘पद्म श्री’ विशिष्‍ट सेवा के लिए किसी भी क्षेत्र में दिए जाते हैं।

यह सम्‍मान प्रत्‍येक वर्ष आम तौर पर मार्च या अप्रैल में राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्‍य समारोह में राष्‍ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। इस वर्ष राष्‍ट्रपति ने 104 लोगों को पद्म सम्‍मान दिए जाने की मंजूरी दी है, जिसकी सूची नीचे दी गई है। सूची में 9 पद्म विभूषण, 20 पद्म भूषण और 75 पद्म श्री पाने वालों के नाम हैं:-

सूची में 17 महिलाएं हैं। चार लोगों को यह सम्‍मान मरणोपरांत दिया गया। सूची में 17 विदेशी, अप्रवासी भारतीय और भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं।   

    

 पद्म विभूषण


क्र.सं.
पुरस्‍कार विजेताओं के नाम
क्षेत्र
राज्‍य/निवासी

1.                  
एल. के. अडवाणी
लोक सेवा
गुजरात
2.                  
श्री अमिताभ बच्‍चन
कला
महाराष्‍ट्र
3.                  
श्री प्रकाश सिंह बादल
लोक सेवा
पंजाब
4.                  
डॉ. डी. वीरेन्‍द्र हेगड़े
सामाजिक कार्य
कर्नाटक
5.                  
श्री मोहम्‍मद यूसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार
कला
महाराष्‍ट्र
6.                  
श्री जगतगुरू रमानंदाचार्य स्‍वामी रामभद्राचार्य
अन्‍य
उत्‍तर प्रदेश
7.                  
प्रो. मलुर रामास्‍वामी श्रीनिवासन
विज्ञान और इंजीनियरिंग
तमिलनाडु
8.                  
श्री कोट्टायन के. वेनुगोपाल
लोक सेवा
दिल्‍ली
9.       
श्री करीम अल हुसैनी आगा खान (विदेशी)
व्‍यापार एवं उद्योग
फ्रांस/यूके

पद्म भूषण

1.                  
श्री जाहनु बरूआ

कला
असम
2.                  
डॉ. विजय भाटकर

विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
महाराष्‍ट्र
3.                  
श्री स्‍वप्‍न दास गुप्‍ता
साहित्‍य एवं शिक्षा
दिल्‍ली
4.                  
स्‍वामी सत्‍यामित्रानंद गिरि
अन्‍य
उत्‍तर प्रदेश
5.                  
श्री एन. गोपालस्‍वामी
लोक सेवा
तमिलनाडु
6.                  
डॉ. सुभाष सी. कश्‍यप
लोक सेवा
दिल्‍ली
7.                  
डॉ. (पंडित) गोकुलोत्‍सवजी महाराज
कला
मध्‍य प्रदेश
8.                  
डॉ. अम्‍बरीश मित्‍तल
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
9.                  
श्रीमती सुधा रघुनाथन
कला
तमिलनाडु
10.              
श्री हरीश साल्‍वे
लोक सेवा
दिल्‍ली
11.              
डॉ. अशोक सेठ
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
12.              
श्री रजत शर्मा
साहित्‍स एवं शिक्षा
दिल्‍ली
13.              
श्री सतपाल
खेल
दिल्‍ली
14.              
श्री शिवाकुमार स्‍वामी
अन्‍य
कर्नाटक
15.              
डॉ. खड़ग सिंह वाल्‍दिया
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
कर्नाटक
16.   
प्रो. मंजुल भार्गव
(अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
 अमेरिका
17.   
श्री डेविड फ्रावले  (वामदेव)
(विदेशी)
अन्‍य
 अमेरिका
18.   
श्री बिल गेट्स
(विदेशी)
सामाजिक कार्य
 अमेरिका
19.   
श्रीमती मेलिंडा गेट्स
 (विदेशी)
सामाजिक कार्य
अमेरिका
20.   
श्री सैचिरो मिसुमी
(विदेशी)
अन्‍य
 जापान

 पद्म श्री
1.       
डॉ. मंजुला अनागनी
चिकित्‍सा
तेलंगना
2.                  
श्री एस. अरुणन
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
कर्नाटक
3.                  
सुश्री कन्‍याकुमारी अवसरला
कला
तमिलनाडु
4.       
डॉ. बेट्टिना शारदा बाउमर
साहित्‍य एवं शिक्षा
जम्‍मू एवं कश्‍मीर
5.                  
श्री नरेश बेदी
कला
दिल्‍ली
6.                  
श्री अशोक भगत
सामाजिक कार्य
झारखंड
7.                  
श्री संजय लीला भंसाली
कला
महाराष्‍ट्र
8.                  
डॉ. लक्ष्‍मी नंदन बोरा
साहित्‍य एवं शिक्षा
असम
9.                  
डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी
साहित्‍य एवं शिक्षा
मध्‍य प्रदेश
10.              
प्रो. (डॉ.) योगेश कुमार चावला
चिकित्‍सा
चंडीगढ़
11.              
श्रीमती जयाकुमारी चिक्‍कला
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
12.              
श्री बिबेक देवरॉय
साहित्‍य एवं शिक्षा
दिल्‍ली
13.              
डॉ. सरूंगबम बिमोला कुमारी देवी
चिकित्‍सा
मणिपुर
14.              
डॉ. अशोक गुलाटी
 लोक सेवा
दिल्‍ली
15.              
डॉ. रणदीप गुलेरिया
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
16.              
डॉ. के. पी. हरिदास
चिकित्‍सा
केरल
17.              
श्री राहुल जैन
कला
दिल्‍ली
18.              
श्री रवीन्‍द्र जैन
कला
महाराष्‍ट्र
19.              
डॉ. सुनील जोगी
साहित्‍य एवं शिक्षा
दिल्‍ली
20.              
श्री प्रसून जोशी
कला
महाराष्‍ट्र
21.              
डॉ. प्रफुल्‍ल कार
कला
ओडिशा
22.              
सुश्री सबा अंजुम
खेल
छत्‍तीसगढ़
23.              
श्रीमती उषाकिरण खॉं
साहित्‍य एवं शिक्षा
बिहार
24.              
डॉ. राजेश कोटेचा
चिकित्‍सा
राजस्‍थान
25.              
प्रो. अलका कृपलानी
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
26.              
डॉ. हर्ष कुमार
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
27.              
श्री नारायण पुरूषोत्‍तम माल्‍या  
साहित्‍य एवं शिक्षा
केरल
28.              
श्री लेमबर्ट मसकरेंहस
साहित्‍य एवं शिक्षा
गोवा
29.              
डॉ. (श्रीमती) जनक पल्‍ता मेकगिल्‍लीगन
सामाजिक कार्य
मध्‍य प्रदेश
30.              
श्री वीरेंद्र राज मेहता
सामाजिक कार्य
दिल्‍ली
31.              
श्री तारक मेहता
कला
गुजरात
32.              
श्री नील हर्बर्ट नोंगकिनरिह
कला
मेघालय
33.              
श्री चेवंग नोर्फेल
अन्‍य
जम्‍मू और कश्‍मीर
34.              
श्री टी. वी. मोहनदास पाई
व्‍यापार एवं उद्योग
कर्नाटक
35.              
डॉ. तेजस पटेल
चिकित्‍सा
गुजरात
36.              
श्री जादव मोलाई पेयंग
अन्‍य
असम
37.              
श्रीमती बिमला पोद्दार
अन्‍य
उत्‍तर प्रदेश
38.              
डॉ. एन. प्रभाकर
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
दिल्‍ली
39.              
डॉ. प्रहलाद
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
महाराष्‍ट्र
40.              
डॉ. नरेन्‍द्र प्रसाद
चिकित्‍सा
बिहार
41.              
श्री राम बहादुर राय
साहित्‍य एवं शिक्षा
दिल्‍ली
42.              
सुश्री मिताली राज
खेल
तेलंगाना
43.              
श्री पी.वी. राजारमण
लोक सेवा  
तमिलनाडु
44.              
प्रो. जे. एस. राजपूत
साहित्‍य एवं शिक्षा
उत्‍तर प्रदेश
45.              
श्री कोटा निवास रॉय
कला
आंध्र प्रदेश
46.              
प्रो. बिमल रॉय
साहित्‍य एवं शिक्षा
पश्‍चिम बंगाल
47.              
श्री शेखर सेन
कला
महाराष्‍ट्र
48.              
श्री गुनवंत शाह
साहित्‍य एवं शिक्षा
गुजरात
49.              
श्री ब्रह्मदेव शर्मा (भाईजी)
साहित्‍य एवं शिक्षा
   दिल्‍ली
50.              
श्री मनु शर्मा
साहित्‍य एवं शिक्षा
उत्‍तर प्रदेश
51.              
प्रो. योग राज शर्मा
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
52.              
श्री वसंत शास्‍त्री
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
कर्नाटक
53.              
श्री एस. के. शिवकुमार
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
कर्नाटक
54.              
सुश्री पी. वी. सिंधु
खेल
तेलंगाना
55.              
श्री सरदार सिंह
खेल
हरियाणा
56.              
सुश्री अरुणिमा सिन्‍हा
खेल
उत्‍तर प्रदेश
57.              
श्री महेश राज सोनी
कला
राजस्‍थान
58.              
डॉ. निखिल टंडन
चिकित्‍सा
दिल्‍ली
59.              
श्री एच. थेग्‍तसे रिंपोचे
सामाजिक कार्य
अरूणाचल प्रदेश
60.              
डॉ. हरगोविन्‍द लक्ष्‍मीशंकर त्रिवेदी
चिकित्‍सा
गुजरात
61.   
श्री ह्वांग बाओसेंग
(विदेशी)
अन्‍य
चीन
62.   
प्रो. जेकस बलेमोन
(विदेशी)
विज्ञान एवं इंजीनियरिंग
फ्रांस
63.   
स्‍वर्गीय श्री सैयदना मोहम्‍मद बुरहानुद्दीन
(मरणोपरांत)
अन्‍य
महाराष्‍ट्र
64.   
श्री जीन- क्‍लाउड केरीये
(विदेशी)
साहित्‍य एवं शिक्षा
फ्रांस
65.   
डॉ. नंदराजन ‘’राज’’ चेट्टी
(अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
व्‍यापार एवं उद्योग  
अमेरिका
66.   
श्री जॉर्ज एल. हार्ट
(विदेशी)
अन्‍य
अमेरिका
67.   
जगत गुरु अमर्ता सूर्यानंद महा राजा
 (अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
अन्‍य
पुर्तगाल
68.   
स्‍वर्गीय श्री मीठा लाल मेहता(मरणोपरांत)
सामाजिक कार्य
राजस्‍थान
69.   
सुश्री तृप्‍ति मुखर्जी
 (अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
कला
अमेरिका
70.   
डॉ. दत्‍तात्रेयुदु नोरी
 (अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
चिकित्‍सा
अमेरिका
71.   
डॉ. रघु राम पिल्‍लारीसेट्टी
 (अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
चिकित्‍सा
अमेरिका
72.   
डॉ. सौमित्र रावत
(अप्रवासी भारतीय/भारतीय मूल)
चिकित्‍सा
यूके
73.   
प्रो. अन्‍नेट सक्‍मीदचेन 
(विदेशी)
साहित्‍य एवं शिक्षा
जर्मनी
74.   
स्‍वर्गीय श्री प्राण कुमार शर्मा उर्फ प्राण  (मरणोपरांत)
कला
दिल्‍ली
75.   
स्‍वर्गीय श्री आर. वासुदेवन(मरणोपरांत)
लोक सेवा
तमिलनाडु

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