मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के माध्यम से परिचालन (ऑपरेशनल) तैयारियों के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित किया जा रहा है। वर्ष 2015 में रक्षा मंत्रालय का ध्यान हथियारों एवं उपकरणों की कमी को पूरा करने के लिए मेक इन इंडिया पहल के जरिए आधारभूत ढांचे का विकास और अपेक्षित क्षमता विकसित करने पर ही केंद्रित रहा।
इस वर्ष पूर्व सैनिकों के कल्याण में प्रगति और प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया पहल को पूरा करने की दिशा में रक्षा क्षेत्र में तेजी से डिजिटलीकरण देखने को मिला। इस वर्ष रक्षा कूटनीति के एक हिस्से के तौर पर भारत ने अपने पड़ोसियों और सुदूर पूर्वी देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता, नौसैन्य पोतों के दौरे और द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय युद्ध अभ्यास कर संपर्क स्थापित किया। हालांकि, अपने रक्षा ढांचे को मजबूत और ठोस बनाने के लिए मेक इन इंडिया की अवधारणा में स्पष्ट रूप से अधिग्रहण योजना का बोलबाला है। क्षमता निर्माण के साथ-साथ सशस्त्र बलों की आक्रामक क्षमताओं में तेजी लाने के लिए, अधिग्रहण के मामलों में रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने वर्ष 2015 के दौरान दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के विभिन्न महत्वपूर्ण और ऊंचे रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी।
एफडीआई सीमा में बढ़ोत्तरी:
तीव्र स्वदेशीकरण के लिए सरकार ने अगस्त 2014 में अनुमोदन के जरिए रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दी। 49 प्रतिशत से अधिक के विदेशी निवेश के प्रस्ताव पर मामले के आधार पर विचार किया जा सकता है।
- औद्योगिक लाइसेंसिंग के लिए रक्षा उत्पादों की सूची को छोटा और अधिसूचित किया गया है।
- रक्षा वस्तुओं के निर्यात को तेजी से मंजूरी के लिए सरकार ने एक रक्षा निर्यात नीति को अधिसूचित किया है।
- डीआरडीओ और रक्षा उत्पादन विभाग के जरिए उद्योग के साथ सहभागिता को सघन बनाया गया है।
भारतीय सेना
आधुनिकीकरण एवं उपकरण
- सेना घातक, चुस्त, बहुमुखी और नेटवर्क युक्त बनने के लिए निरंतर उन्नत हो रही है ताकि वह संघर्ष के सभी क्षेत्रों में कार्य करने में सक्षम हो। इस कवायद का मकसद सेना को 21वीं सदी के युद्धों की जटिलताओं और अनिश्चित चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार और सक्षम बनाना है। हालांकि आधुनिकीकरण के साथ-साथ सेना के दृष्टिकोण में मार्गदर्शन के कारक बने हुए हैं - ‘सभी समकालीन और उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए क्षमता निर्माण और सेना की परिचालन प्रभावशीलता सुनिश्चित करना।’
- क्षमता विकास की खोज में सेना इस तथ्य के प्रति सजग है कि कोई भी देश तब तक महत्वपूर्ण शक्ति बनने की अपनी आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकता जब तक कि वह अपनी सैन्य क्षमता की जरूरतों को स्वदेश में ही पूरा नहीं करने लायक नहीं हो जाता। तदनुसार, मेक इन इंडिया को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि प्रमुख खरीद स्वदेशी स्रोतों से ही की जाएं।
- तोपखाने के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने सेना के 2,900 करोड़ रुपये मूल्य की 145 बीएई एम777 अल्ट्रा-लाइट-हॉवित्जर तोपों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह सौदा विदेशी सैन्य बिक्री के तहत हुआ है लेकिन इसमें पुर्जों, रखरखाव और गोला-बारूद भारतीय प्रणाली के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।
- आकाश हथियार प्रणाली को भारतीय सेना में 05 मई, 2015 को शामिल किया गया। यह भारत में ही विकसित कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली सुपरसोनिक प्रणाली है। यह विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी जैसे कई हवाई खतरों को 25 किलोमीटर की दूरी और 20 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही घेरने में सक्षम है। यह प्रणाली एक साथ कई लक्ष्य साधने में सक्षम है और जमीन पर सेना की भेद्य ठिकानों को कम दूरी का मिसाइल कवर उपलब्ध कराती है। देश की यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया पहल की एक चमकदार अभिव्यक्ति है।
- भारतीय सेना के स्वदेशीकरण के प्रयासों के तहत सेना ने दस सार्वजनिक और निजी भारतीय कंपनियों को प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया पहल के तहत ‘भविष्य के इंफैंट्री कांबेट व्हीकल’ (एफआईसीवी) परियोजना के लिए ईओएल जारी किया है।
- एक महत्वपूर्ण ‘मेक’ परियोजना सामरिक संचार प्रणाली (टीसीएस) है। इसका मकसद युद्ध के मैदान में डटी सेना को एक नेटवर्क केंद्रित वातावरण के जरिए सूचनाएं पहुंचाना है। इसके अलावा युद्धक्षेत्र प्रबंधन प्रणाली (बीएमएस) भी है। यह सैन्य कमांडरों को सामरिक तौर पर स्थित की अपडेट जानकारी, भू-स्थानिक डेटा और लड़ाई के दौरान फार्मेशन स्तर पर आंतरिक सूचनाएं पहुंचाती है।
- मौजूदा ‘स्वदेशी खरीदो’ खरीद प्रस्ताव में अत्याधुनिक लाइट हेलीकाप्टर, मध्यम दूरी सी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली, पिनाका मल्टी बैरल राकेट प्रणाली, इंफैंट्री कांबेट वाहन बीएमपी 2/2के, एमबीटी अर्जुन टैंक, मॉड्यूलर ब्रिज प्रणाली, बालिस्टिक हैलमैट एव बुलेट प्रूफ जैकेट शामिल है।
- मौजूदा ‘खरीदो एवं स्वदेशी बनाओ’ खरीद प्रस्ताव में तोपखाने के लिए माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस), सेना की हवाई सुरक्षा में तैनात एल/70 और जेडयू-23 बंदूकों के बदले एयर डिफेंस गन, मैकेनाइज्ड बलों के लिए हल्के बख्तरबंद बहुउद्देशीय वाहन (एलएएम-वी) और टी-90 टैंकों के लिए माइन प्लग शामिल हैं।
- सरकार ने 1947 में आजादी के बाद हुए युद्धों में शहादत देने वाले रक्षाकर्मियों के सम्मान में एक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का फैसला किया है। इंडिया गेट के पास बनने वाले इस स्मारक के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा एक युद्ध संग्रहालय भी बनाया जाएगा। सारी परियोजना पांच साल के भीतर पूरी होगी।
- गुड़गांव के पास बिनोला में भारतीय राष्ट्रीय रक्षा यूनिवर्सिटी (आईएनडीयू) के निर्माण का काम तेज गति से चल रहा है। इसके 2018 से शुरू हो जाने की उम्मीद है।
सेना की आधुनिकीकरण की पहल:
- प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया पहल के तहत सैन्य कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया और संचार नेटवर्क को पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है। आर्मी रिकॉर्ड ऑफिसर्स प्रॉसेस ऑटोमिशन (एआरपीएएन) 2.0 नाम की एक विशेष सॉफ्टवेयर प्रणाली हाल ही में लांच की गई है। इसके जरिए 12 लाख से ज्यादा जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) और सैनिक अपने सर्विस रिकॉर्ड और रोजगार संबंधी जानकारी ऑनलाइन देख सकेंगे।
- पहली जुलाई, 2015 से सेना में भर्ती को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। अधिकारियों, जेसीओ और अन्य रैंकों के चयन के लिए भर्ती महानिदेशालय ने www.joinindianarmy.nic.in नाम से एक नई वेबासइट लांच की है। इसके जरिए भारत में कहीं से भी कोई भी अभ्यर्थी सेना में कैरियर से संबंधित सूचनाएं प्राप्त कर सकता है और अपनी पसंद के आधार पर ऑनलाइन आवेदन कर सकता है।
- 16 अक्टूबर 2015 को रक्षा मंत्री ने भारतीय सेना के निजी क्लाउड का भी उद्घाटन किया। यह भारतीय सेना के डेटा सेंटर की बुनियादी सुविधाओं की शुरुआत है। इसमें एक केंद्रीय डेटा सेंटर, दिल्ली के पास एक डेटा केंद्र और महत्वपूर्ण डेटा की नकल के लिए आपदा रिकवरी साइट भी है। इसके अलावा एक डिजी-लॉकर भी है, जो सेना की सभी इकाइयों के लिए एक सुरक्षित और एक्सक्लूसिव भंडारण स्थान (स्टोरेज स्पेस) प्रदान करता है। इस समर्पित डेटा नेटवर्क को वॉटरमार्किंग और डिजिटल हस्ताक्षर जैसी सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ शुरू किया गया है। यह साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि यह सीडी/डीवीडी और अलग से लगाए जा सकने वाले उपकरणों पर डेटा की सॉफ्ट कॉपी ले जाने के चलन पर नियंत्रण करता है।
सीमा पर स्थिति:
- सेना की परिचालन तैयारियों में सुधार और तेजी से सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में कमी देखने को मिली है। वर्ष 2012 में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ की 264 वारदात हुईं। वर्ष 2014 में यह संख्या घटकर 221 हो गई। इस साल 30 सितंबर तक घुसपैठ के 92 प्रयास हुए हैं और सुरक्षा बलों ने 37 आतंकवादियों को मार गिराया है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन पर भी भारतीय सेना ने नियंत्रण किया है। वर्ष 2014 के मुकाबले इसमें कमी देखने को मिली है। इसी तरह भारत और चीन के बीच लगातार हो रही सीमा वार्ताओं से उत्तरी सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई है।
संयुक्त युद्ध अभ्यास
ऑपरेशन ‘हैंड इन हैंड’
- 12 से 22 अक्टूबर, 2015 के बीच चीन के कनमिंग में भारतीय और चीनी सेना ने बटालियन स्तर का संयुक्त अभ्यास किया। ऑपरेशन ‘हैंड इन हैंड’ में आतंकवाद से मुकाबले और ‘आपदा राहत एवं मानवीय सहायता’ का अभ्यास किया गया। इसमें हिस्सा ले रहे दोनों ओर के सैनिकों को संयुक्त प्रशिक्षण दिया गया और उन्होंने मिश्रित समूहों में एक-दूसरे से व्यक्तिगत कौशल (बॉक्सिंग, शुरूआती पर्वतारोहण और शूटिंग), विस्तृत युद्ध कौशल (बाधा पार करना, सघन शारीरिक प्रशिक्षण, विध्वंस करना और प्रतिरोधक गोलीबारी) और विशेष तौर पर आतंकवाद से मुकाबले की स्थिति में ईकाई/उप ईकाई रणनीति सीखी। भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के उद्देश्य से 21-22 अक्टूबर को एक संयुक्त अभ्यास किया गया।
अभ्यास इंद्र-2015
- 08 से 18 नवंबर, 2015 के बीच महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास इंद्र-2015 किया गया। इस अभ्यास के अंतिम चरण में दोनों देशों के संयुक्त समूहों ने संयुक्त राष्ट्र के तहत एक तीसरे देश की सरकार को उसके अर्ध-शहरी इलाके में सशस्त्र आतंकवादियों से लड़ने में सहयोग किया।
युद्ध अभ्यास-2015
- अमेरिका के ज्वाइंट बेस लेविस मैकॉर्ड में 09 से 23 सितंबर, 2015 के बीच भारत और अमेरिका ने संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास-2015’ में हिस्सा लिया। इस युद्ध अभ्यास में एक इंफेंट्री सब-यूनिट को भारतीय सेना के मुख्यालय साथ लाया गया और संयुक्त प्रशिक्षण के दौरान ऐसी ही सहभागिता अमेरिकी सेना की भी रही। इस अभ्यास से संयुक्त राष्ट्र के अधीन दोनों देशों के सैनिकों को शहरी क्षेत्रों में सैन्य कार्रवाई के दौरान अपने अनुभवों को साझा करने का आदर्श अवसर मिला।
1965 भारत-पाक युद्ध स्वर्ण जयंती समारोह
- सेना के संयुक्त प्रयास से 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसका आयोजन राष्ट्र के सामूहिक संकल्प और सशस्त्र बलों की वीरता एवं बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से किया गया था। स्मृति कार्यक्रमों की शुरुआत 28 अगस्त 2015 से हुई। इन समारोहों का मुख्य आकर्षण इंडिया गेट लॉन में लगी प्रदर्शनी ‘शौर्यांजलि’ रही। इसे शुरुआत में 15 से 20 सितंबर तक प्रदर्शित करने की योजना थी लेकिन जनता द्वारा मिली जबरदस्त प्रतिक्रिया को देखते हुए प्रदर्शनी को 27 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया। इस प्रदर्शनी में युद्ध के मुख्य दृश्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया साथ ही युद्ध के दौरान विभिन्न सेनाओं की भूमिका और सेवाओं को भी प्रदर्शित किया गया।
- 20 सितंबर 2015 को इंडिया गेट के लॉन में 1965 के भारत-पाक युद्ध की स्वर्णिम जयंती के अवसर पर एक आनंदोत्सव (कार्निवाल) ‘इंद्रधनुष’ भी आयोजित किया गया। इसमें भारत की विजय का जश्न मनाया गया और सभी के साथ इस कामयाबी का आनंद लिया गया। कार्निवाल के दौरान सेना की विभिन्न रेजीमेंटों ने मार्शल आर्ट जैसी कला का प्रदर्शन किया।
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 22 सितंबर को अमर जवान ज्योति पर जाकर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की और सेवानिवृत्त योद्धाओं (वॉर वेटरर्न्स) से बातचीत की। 1965 की भारत-पाक युद्ध से जुड़े समारोहों के तहत राष्ट्रपति ने भी इसी दिन राष्ट्रपति भवन में सेवानिवृत्त योद्धाओं से चाय पर मुलाकात की। जनता की मांग पर युद्ध प्रदर्शनी 27 सितंबर तक जारी रही।
प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी समारोह
- भारतीय सेना ने प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने वाले 15 लाख भारतीय सैनिकों की याद में नई दिल्ली में 10 मार्च से 14 मार्च के बीच प्रथम विश्व युद्ध का शताब्दी समारोह आयोजित किया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत के 74000 से अधिक सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। संयोग से 10 मार्च 1915 को ब्रिटेन ने फ्रांस के आर्तोइस क्षेत्र पर आक्रमण किया था। इस युद्ध को न्यूवे चैपल के युद्ध के नाम से जाना जाता है। इसमें भारतीय कॉर्प्स की गढ़वाल बिग्रेड और मेरठ डिवीजन ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2014 से 2018 तक की अवधि को प्रथम विश्व युद्ध की सौवीं बरसी के रूप में मनाया जा रहा है।
भारतीय नौसेना
- अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी पनडुब्बी क्षमता को मजबूत करने का फैसला किया है। इसके लिए डीएसी ने प्रोजेक्ट 75 (आई) के तहत छह और पारंपरिक पनडुब्बियों के अधिग्रहण के अनुरोध प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की लागत 80,000 करोड़ रुपये के लगभग है। इस कार्यक्रम के तहत विदेशी सहयोग से भारत में छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण की योजना है।
- नौसेना की आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सरकार ने 12 माइन काउंटर मेशर्ज वेसल्स (एमसीएमवी) की खरीद का फैसला किया है। इसके लिए आवश्यकता की समझौता (एओएन) जारी कर दिया गया है और विदेश में टीओटी के साथ मामले की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को नामजद किया गया है।
- सरकार ने नौसेना में 16 मल्टी-रोल हेलीकाप्टर (एमआरएच) शामिल करने का फैसला किया है। यह हवाई पनडुब्बी रोधी युद्ध (एयर एंटी-सबमरीन वारफेयर) क्षमता में बने अंतर को काफी हद तक पूरा करेगा। इस पहल के अलावा 28 कामोव हेलीकाप्टरों की बड़ी मरम्मत/मिड लाइफ अपग्रेडेशन (एमआर/एमएलयू) को आगे बढ़ाया गया है।
- 15बी गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत परियोजना के पहले पोत आईएनएस विशाखापत्तनम का 20 अप्रैल 2015 को मझगांव डाक लिमिटेड, मुंबई में जलावतरण कर दिया गया।
- नौ मई 2015 को समुद्री राज्य गुजरात की मुख्यमंत्री द्वारा पोरबंदर में भारतीय नौसेना के नवीनतम प्रतिष्ठान सरदार पटेल को कमीशन किया गया।
- प्रोजेक्ट-28 के तहत पनडुब्बी रोधी जंगी पोतों की श्रृंखला के चौथे युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती का 19 मई 2015 को रक्षा राज्य मंत्री ने जीआरएसई में जलावतरण किया। प्रोजेक्ट-28 के तहत निर्मित इन चार स्वदेशी पोतों को नई दिल्ली में नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा डिजाइन किया गया है। यह नौसेना के डिजाइनरों की बहुप्रशंसित विरासत का गवाह है।
- तटीय रक्षा क्षमता को विस्तार देते हुए नौसेना उपप्रमुख ने 30 जून 2015 को तीन फॉलो-ऑन वॉटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट्स आईएनएस तारमुगली. आईएनएस तिलांचांग और आईएनएस तिहायु का गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में एक समारोह में जलावतरण किया।
- कारवार 'प्रोजेक्ट सागर बर्ड' के पहले चरण का काम समय पर प्रारंभ और पूरा हुआ। इस कार्यक्रम के तहत रक्षा मंत्री ने नौ सितंबर 2015 को आईएनएस वर्जकोश को कमीशन किया। यह कर्नाटक के कारवार में भारतीय नौसेना का नवीनतम प्रतिष्ठान है।
- मेक इन इंडिया पहल ते तहत 29 सितंबर 2015 को तीन इंटरमीडिएट सपोर्ट वेसल (आईएसवी) टी-48, टी-49 और टी-50 को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया। 14 आईएसवी मेसर्स एसएचएम शिपकेयर, ठाणे द्वारा स्वदेश में तैयार किए गए हैं। वहीं चार का निर्माण मेसर्स एडीएसबी और पांच का निर्माण मेसर्स रोडमैन पॉलीशिप ने किया है।
- मुंबई के नेवी डॉकयार्ड में 30 सितंबर 2015 को रक्षा मंत्री ने स्वदेश में ही डिजाइन और निर्मित प्रोजेक्ट 15 ए (कोलकाता श्रेणी) के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर आईएनएस कोच्चि को नौसेना में कमीशन किया। इस पोत को ‘नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स’ बताया जा रहा है क्योंकि यह अत्याधुनिक डिजिटल नेटवर्क से लैस है।
- एआईएसडीएन सूचना का प्रमुख मार्ग है जिस पर सभी सेंसरों और हथियारों का डेटा ले लाया जाता है। सीएमएस का प्रयोग स्वदेशी डेटा-लिंक प्रणाली का उपयोग करने वाले अन्य प्लेटफार्मों से जानकारी को एकीकृत करने और समुद्री क्षेत्र में चौकसी प्रदान करने के लिए किया जाता है। मिश्रित विद्युत आपूर्ति प्रबंधन को एपीएमएस और रिमोट कंट्रोल का प्रय़ोग करके पूरा किया जाता है और मशीनरी की निगरानी एसीएस के माध्यम से की जाती है।
- स्कॉर्पियन क्लास पनडुब्बी आईएनएस, 'कालवरी' के पहले जहाज पंटून से अलग होने के साथ मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) ने एक और मील का स्थापित किया और 28 नवंबर 2015 को नौसेना डॉकयार्ड से इसे रवाना किया गया। तत्पश्चात् 29 अक्टूबर 2015 को आईएनएस 'कालवारी' को वापस मझगांव डॉक लिमिटेड शिपबिल्डर्स में लाया गया।
- तमिलनाडु के वायु स्टेशन राजाली अराकोणम में भारतीय नौसेना में लंबी दूरी के समुद्री टोही के आठ बोईंग पी-8I शामिल करने के साथ साथ पनडुब्बी रोधी युद्ध विमान शामिल किये गये। (पहला विमान मई 2013 और अंतिम 2015 के मध्य में शामिल हुआ) रक्षा मंत्री ने 13 नवंबर 2015 को औपचारिक रूप से स्क्वाड्रन राष्ट्र को समर्पित किया। पी-8I एयरक्राफ्ट बोइंग 737-800 (एनजी) एयरफ्रेम पर आधारित है जो अमेरिकी नौसेना के पी-8 ए पोजीडॉन का भारतीय नौसेना संस्करण है। समुद्री टोही, पनडुब्बी विरोधी कार्रवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया मिशन के लिए एयरक्राफ्ट विदेशी और स्वदेशी, दोनों सेंसरों से सुसज्जित है।
- 2015 का कमांडरों का संयुक्त सम्मेलन एक परिचालन माहौल में आईएनएस विक्रमादित्य पर आयोजित किया गया। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दिशा-निर्देश पर किया गया था। सम्मेलन के दौरान लगभग 30 जहाजों, 05 पनडुब्बियों और 60 विमानों द्वारा शक्ति प्रदर्शन किया गया।
आगे का मार्ग:
20 जुलाई, 2015 को भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (आईएनआईपी): 2015-30, की रिलीज के साथ भारतीय नौसेना ने अपने क्षेत्रीय मित्रों और भागीदारों की क्षमता को बढ़ाने तथा समुद्री पड़ोसियों के सुरक्षा प्रदाताओं के लिए एक बिल्डर की नौसेना के रूप में खुद को स्थापित करने हेतु अपनी संस्था का एक नोटिस दिया। इसके अलावा, यह सर्वविदित है कि भारतीय अनुसंधान और विकास तथा विनिर्माण में गंभीर खामियों हैं। जैसे आईएनआईपी के 5 संचालक (1) सैन्य विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वसनीय अनुसंधान और विकास की कमी, (2) अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र के बीच अपर्याप्त एककीकरण, (3) उपयोगकर्ताओं डिजाइनरों और निर्माताओं के बीच एकीकृत दृष्टिकोण का अभाव, (4) अर्थव्यवस्थाओं में दृष्टिकोण कमी के कारण वाणिज्यिक अन-उपलब्धता और (5) प्रौद्योगिकी रहित व्यवस्थाओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से नौसेना की रणनीति में दिखाई देता है।
संयुक्त अभ्यास
भारत-फ्रांस नौसेना अभ्यास वरूण- 2015
- भारत-फ्रांस नौसेना अभ्यास (वरूण) का 14वां संस्करण 23 अप्रैल से 02 मई 2015 तक अपतटीय गोवा में संचालित किया गया, जिसमें बंदरगाह और समुद्री चरण दोनों शामिल थे। फ्रांसीसी नौसेना का प्रतिनिधित्व विमान वाहक चार्ल्स डी गॉल, दो विध्वंसक शेवेलियार पॉल और जीन डे वाइन्ने, पुन: आपूर्ति टैंकर मीयूज और एक समद्री पेट्रोल विमान एटलांटिक 2 ने किया। विमान वाहक चार्ल्स डी गॉले के माध्यम से अपने युद्धक विमान रफाल एम, युद्धक विमान सुपर इटेनडार्ड, ई2सी हॉक एडब्ल्यूएसीएस और हेलिकॉप्टर्स डॉफिन और एलाउट्टे 3 को ले जाया गया। भारतीय पक्ष की ओर से विमान वाहक आईएनएस विराट, विध्वंसक आईएनएस मुंबई, स्ट्रेल्थ फ्रिगेट आईएनएस तरकश, निर्देशित मिसाईल फ्रिगेट आईएनएस गोमती, पुन: आपूर्ति टैंकर आईएनएस टीपक, पनडुब्बी आईएनएस शंकुल और लंबी दूरी के समुद्री टोही पी-8 के साथ त्वरित गति से हमला करने की क्षमता में सक्षम कुछ विमान और सीकिंग 42 बी और चेतक हेलिकॉप्टरों ने भाग लिया।
सिमबैक्स- 2015
पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर, रीयर एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह की कमान के अंतर्गत भारतीय नौसेना का पूर्वी दस्ता दक्षिणी हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में तैनाती के लिए संचालन में था। इस तैनाती के एक अंग के तहत, स्वदेश में निर्मित निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट, आईएनएस सतपुड़ा और नवीनतम और स्वदेश में निर्मिति पनडुब्बी-रोधी युद्धक जलपोत 18 मई, 2015 को सिंगापुर पहुँचे। इन युद्धपोतों ने आईएमडीईएक्स-15 में भाग लिया और इसके पश्चात 23 से 26 मई, 2015 को सिंगापुर नौसेना के साथ द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास सिमबैक्स-15 में में भागीदारी की।
ऑसिनडेक्स अभ्यास- 2015
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच उद्घाटन द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ऑसिनडेक्स-15 का संचालन 11 से 19 सितम्बर, 2015 के बीच भारत के पूर्वी अपतटीय समुद्री क्षेत्र में किया गया। इस अभ्यास का संयुक्त रूप से उद्घाटन विशाखापत्तनम में आईएनएस शिवालिक पर रॉयल ऑस्ट्रेलियन नौसेना (आरएएन) के नौसेना प्रमुख की क्षमता रीयर एडमिरल जोनाथन मीड और पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर, रीयर एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह द्वारा किया गया। अभ्यास का शुभारंभ पेशेवर वार्तालापों के साथ व्यवहारिक प्रदर्शनों और बंदरगाह चरण के साथ हुआ। इसके बाद समुद्री अभ्यास के तहत बेड़े के युद्धाभ्यास, बंदूकों से निशानेबाजी के साथ-साथ समन्वित पनडुब्बी अभ्यासों के प्रदर्शन शामिल किये गये। तत्पश्चात अभ्यास में क्षेत्रीय, संयुक्त और सम्मिलित अभियान जैसे मानवीय सहायता और आपदा राहत को संचालित करने के संदर्भ में दोनों नौसेनाओं की क्षमता में वृद्धि की गई।
मालाबार अभ्यास- 2015
मालाबार अभ्यास के 19वें सत्र का संचालन बंगाल की खाड़ी में 14 से 19 अक्टूबर, 2015 को किया गया। भारतीय नौसेना और अमरीकी नौसेना के साथ इस अभ्यास में जापान मेरीटाईम सैल्फ डिफेन्स फोर्सेस (जेएमएसडीएफ) ने भी भाग लिया। मालबार- 15 के अंतर्गत व्यापक स्तर के पेशेवर वार्तालाप और समुद्री चरण के दौरान संचालनगत गतिविधियों की विविध श्रेणियों को शामिल किया गया। भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व एक स्वदेश में निर्मित युद्धकपोत आईएनएस शिवालिक, आईएनएस रणविजय, आईएनएस बेतवा और बेड़े को सहायता पहुँचाने वाला एक युद्धपोत आईएनएस शक्ति और एक पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज ने किया। इसके अलावा, एलआरएम पेट्रोल विमान पी81 और कुछ अभिन्न रोटरी विंग हेलिकॉप्टर्स ने भी इस त्रिपक्षीय अभ्यास में भाग लिया। अमरीकी नौसेना का प्रतिनिधित्व अमरीकी नौसेना के जापान के योकोसुका में तैनात 7वें बेड़े की कैरियर टास्क फोर्स (सीटीएफ) 70 के युद्धपोतों के द्वारा किया गया। निमित्ज़ श्रेणी के एक वायुयान वाहक यूएसएस थियोडोर रॉसवैल्ट, टाईकॉनडेरोगा श्रेणी के क्रूजर यूएसएस नॉरमेडी और फ्रीडम श्रेणी के लिट्टोरल युद्धक पोत यूएसएस फोर्ट वर्थ ने भी सीटीएफ में भाग लिया। परमाणु क्षमता से सम्पन्न पनडुब्बी यूएसएस सिटी ऑफ कॉरपस के अतिरिक्त, चिरिटी, एफ18 विमान और लंबी दूरी के समुद्री पेट्रोल विमान पी8ए ने भी इस अभ्यास में भाग लिया। जेएमएसडीएफ को अभिन्न हेलिकॉप्टर एसएच 60के साथ एक मिसाइल विध्वंसक जेएस फ्यूजुकी के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस त्रिपक्षीय अभ्यास ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण नौसेनाओं के बीच नौसेना सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आईएनडीआरए-नौसेना-2015
भारत-रूसी द्विपक्षीय अभ्यास आईएनडीआरए नौसेना 2015 का आंठवा संस्करण 7 से 12 दिसम्बर, 2015 के बीच बंगाल की खाड़ी में विशाखापत्तनम के अपतटीय समुद्री क्षेत्र में संचालित किया गया। इस अभ्यास के दायरे में बंदरगाह चरण के दौरान व्यापक स्तर की पेशेवर वार्ताएं और समुद्र में संचालन गतिविधियों के विविध आयाम शामिल थे। अभ्यास के दौरान, भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश में निर्मित एक युद्धकपोत- आईएनएस सहयाद्री, एक निर्देशित मिसाइल विध्वंसक-आईएनएस रणविजय और बेड़े की सहायता के लिए एक सहायक पोत-आईएनएस शक्ति के साथ-साथ एक पनडुब्बी आईएनएस सिंधुवीर, लंबी दूरी के समुद्री पेट्रोल वायुयान पी81, डॉर्नियर कम दूरी के पेट्रोल वायुयान, हॉक अत्याधुनिक जैट प्रशिक्षक और अन्य अभिन्न रोटेरी विंग हेलिकॉप्टरों के द्वारा किया गया। द रशियन फैडरेशन नौसेना का प्रतिनिधित्व प्रशांत बेड़े के चार युद्धपोतों के द्वारा किया गया। इस अभ्यास से आपसी विश्वास और आपसी संचालन को भविष्य में और मज़बूत बनाने के साथ-साथ दोनों नौसेनाओं के बीच सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को साझा करने में भी मदद मिली।
भारतीय वायुसेना
- भारतीय नौसेना (आईएएफ) अपनी दीर्घकालीन अवधि की परिप्रेक्ष्य योजना के अनुसार अपनी कार्यप्रणालियों को आधुनिक बना रही है। वायुसेना का मुख्य ध्यान रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ स्वदेशी विनिर्माण और विकास को प्रोत्साहन देते हुए ‘’मेक इन इंडिया’’ पर है। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में क्षमता संवर्द्धन के अंग के तहत मौजूदा हथियार प्लेटफॉर्मो और सहायक प्रणाली के उन्नयन के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
- वर्तमान में जारी आधुनिकीकरण योजनाओं के समूचे विस्तार में युद्धक विमान, परिवहन विमान, हेलिकॉप्टर, युद्धक सहायता परिसम्मपत्ति और वायु रक्षा नेटवर्क के साथ-साथ भारतीय वायु सेना की क्षमताओं में वृद्धि शामिल है। निर्बाध अभियानों के लिए समूचे युद्ध क्षेत्र की दृश्यता में वृद्धि को सुनिश्चित करते हुए नेट केन्द्रित, साइबर सुरक्षा इस क्षमता संवर्द्धन के अंग हैं। परिचालन क्षमता को अधिकतम करने के लिए, भारतीय वायुसेना अत्याधुनिक और कुशल संचालन एवं तकनीकी बुनियादी ढांचे का भी निर्माण कर रही है।
अभियान
अधिग्रहण और उन्नयन
एलसीए –हल्के लड़ाकू विमान तेजस को वैमानिकी विकास एजेंसी बेंगलुरू द्वारा डिजाईन विकसित किया गया है। एलसीए की प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) को 2013 में हासिल किया गया था। आईओसी विन्यास में विमानों के उत्पादन की पहली श्रृंखला जनवरी, 2015 में भारतीय वायु सेना को सौंपी गई थी।
मिराज-2000 में सुधार
मिराज-2000 विमान में रडार, हवाई जहाज, इलैक्ट्रॉनिक शूट, हथियार, एक आधुनिक कोकपिट की अग्रिम मानकों के सुधार के लिए भारतीय वायु सेना को अनुबंधित किया गया। इस बहुयामी लड़ाकू विमान में आधुनिक संचालन प्रणालियों का विकास किया गया। एक मिराज-2000 को इसकी परिचालन क्षमता का परीक्षण, गति विशेषता की जांच के लिए यमुना एक्सप्रेसवे पर उतारा गया।
मिग-29 में सुधार
बेस मरम्मत डिपो में मिग-29 विमान की श्रृंखला में उन्नयन का कार्य वर्तमान में चल रहा है।
राफेल विमान
भारत सरकार ने भारत और फ्रांसीसी सरकार के मध्य अंतर सरकारी समझौते के माध्यम से 36 राफेल विमान खरीदने का फैसला किया है।
सी-17 ग्लोब मास्टर - ।।।
जून, 2011 में संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ 10 सी-17 विमानों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए जिन्हें सितंबर, 2013 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया। इसी वर्ष के भीतर सभी विमान भारत के सुपुर्द कर दिए गए जो वायु सेना में परिचालन कर रहे हैं।
एएन-32 में सुधार
एएन-32 का बेड़ा 1984 से 1991 के बीच भारतीय सेना में शुरू किया गया। टोटल टैक्निकल लाईफ एक्सटेंशन (टीटीएलई)/री-एक्यूपमेंट परियोजना पर वर्तमान में कीव, यूक्रेन में काम चल रहा है। और सर्वोत्तम बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) कानपुर में है। यह परियोजना विमानों की अवधि में 15 साल का इजाफा करने के साथ इसके परिचालन क्षमता और सुरक्षा में भी विस्तार करेगी।
अटैक हेलिकॉप्टर
सितंबर, 2015 में 64 ई अपाचे हमलावर हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। इन हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी जुलाई, 2019 से प्रारंभ हो जाएगी। लड़ाकू विमानों का प्रयोग एनटी टैंक गाइडेड मिशाईल, बगावत विरोधी अभियानों दुश्मन के हवाई हमलों, मानव रहित वाहन, निराकरण संचालन और बचाव अभियानों के लिए किया जाएगा। अटैक हेलिकॉप्टर सुरक्षात्मक अद्वितीय क्षमता प्रदान करते हैं, यह क्षमता उत्तरी सीमाओं की उंची चोटियों वाले पहाड़ियों के लिए जरूरी है।
हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर (एचएलएच)
सितंबर, 2015 में चिनूक सीएच 47 एफ (आई) हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर (एचएलएच) की खरीद के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी चरणबद्ध तरीके से शुरू होगी। सशस्त्र बलों में आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता और आपदा राहत मिशन शुरू करने और सामरिक और रणनीतिक एयर लिफ्ट मिशन के लिए एचएलएच की आवश्यकता जरूरी है। पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए एचएलएच बहुत ही आवश्यक है। इस हेलिकॉप्टर के माध्यम से भारी समान और निर्माण उपकरणों को पहुंचाया जा सकता है।
पिलाटस इंडस्क्शनः भारत सरकार और स्विस कंपनी के बीच 24 मई, 2012 में हुए बीटीए खरीद समझौते के क्रम में एम/एस पिलाटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड ने अक्टूबर 2015 में आईएएफ को सभी बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट (बीटीए)- पीसी-7 एमके 2 की डिलिवरी पूरी की। इन एयरक्राफ्ट को फिलहाल एबी-इनीशियो पायलट ट्रेनिंग में इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि आगे इन एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल स्टेज-2 फ्लाइंग ट्रेनिंग में भी किए जाने की योजना है। अपनी तरह के इस अनूठे एयरक्राफ्ट से नए नियुक्त पायलटों को युद्ध के दौरान उड़ान के वास्ते तैयार करने में मदद मिल रही है।
माइक्रोलाइटः माइक्रोलाइट्स की आपूर्ति के लिए अक्टूबर 2015 में पीपीस्ट्रेल, स्लोवेनिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इनकी डिलिवरी अक्टूबर 2016 से शुरू होगी और अक्टूबर 2020 तक पूरी हो जाएगी। इसे आईएएफ में उड़ान क्षेत्रों में बर्ड संबंधी गतिविधियों के निगरानी के माध्यम से सुरक्षा बढ़ाने और बर्ड्स पर नियंत्रण के उपायों को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
एयर डिफेंस नेटवर्क
एयर डिफेंस रडारः भारत आसमान में मौजूदा एयर डिफेंस रडार व्यवस्था को मजबूत देने, कई नए सेंसर्स को आईएएफ में शामिल किया जा रहा है। हाल में इस दिशा में की गईं पहल निम्नलिखित हैं:
एमपीआरः इजरायल से लिए गए मध्यम क्षमता के रडारों को शामिल किया गया है। इन रडारों ने 80 के दशक की तकनीक की जगह ली है।
एलएलटीआरः सीमा पर निचले स्तर के रडार की कमी को दूर करने के लिए नए लो लेवल ट्रांसपोर्टेबिल रडारों (एलएलटीआर) को आईएफ में शामिल किया जा रहा है, जिन्हें फ्रांस की एम/एस थेल्स से तकनीक के हस्तांतरण के साथ लिया गया है। एम/एस बीईएल अपनी तरह के इन अनूठे रडारों का सीमित संख्या में भारत में उत्पादन करेगी। ये रडार गतिशील हैं और जरूरत के मुताबिक इन्हें कहीं भी तैनात किया जा सकता है।
एलएलएलडब्ल्यूआरः लो लेवल लाइट वेट रडार्स (एलएलएलडब्ल्यूआर) को हमारी मोबाइल ऑब्जर्वेशन फ्लाइट्स (एमओएफ) को इलेक्ट्रॉनिक आई उपलब्ध कराने के वास्ते शामिल किया जा रहा है। ये रडार निचले स्तर की एरियल चुनौतियों को स्कैन करता है और पूर्व चेतावनी जारी करता है।
मिसाइल सिस्टम्स
आकाश मिसाइल सिस्टमः आईएएफ अपनी इनवेंट्री में आकाश मिसाइल सिस्टम (एएमएस) को शामिल करने की प्रक्रिया में है। इसके लिए 10 जुलाई 2015 को एयर फोर्स स्टेशन ग्वालियर में एक औपचारिक समारोह का आयोजन हुआ था।
हारपूनः हारपून एंटी-शिप ऑपरेशन मिसाइलों और उससे जुड़े उपकरणों की खरीद के लिए अगस्त 2010 में समझौता हुआ था। इन हथियारों की ढुलाई और डिलिवरी के लिए एयरक्रू को प्रशिक्षण देने का काम पूरा हो गया है। इन हथियारों के शामिल होने से समुद्र में बढ़ती चुनौतियों का सामना करने में आईएएफ को मदद मिलेगी और समुद्र में भारतीय नौसेना में उसके परिचालन को ज्यादा समर्थन दिया जा सकेगा।
एमआईसीए एयर टू एयर मिसाइलः अपग्रेड किए गए मिराज-2000 एयरक्राफ्ट के लिए हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल एमआईसीए की डिलिवरी शुरू हो गई है और इन मिसाइलों की डिलिवरी से मिराज-2000 की एक सक्षम प्लेटफॉर्म के रूप में क्षमताएं बढ़ेंगी।
एसपीआईसीई-2000 बमः आईएएफ ने फोर्टीफाइड (fortified) और भूमिगत कमांड सेंटर्स के खिलाफ इस्तेमाल के वास्ते ज्यादा सटीक और पहुंच वाले प्रिसीसन गाइडेड बम खरीदे हैं। इस हथियार का परीक्षण किया जा चुका है और इसकी क्षमताओंकी आईएफ की फायरिंग रेंज में भी पुष्टि हुई है।
इंडीजिनस पिचोरा कॉम्बैट सिमुलेटर (आईपीसीएस)
पिचोरा मिसाइल सिस्टम आईएएफ के एयर डिफेंस सेटअप के लिहाज से एक बेहद अहम तत्व है। इस सिस्टम को राष्ट्रीय महत्व की संपत्तियों की रक्षा के वास्ते 1974 से 1989 के दौरान रूस से खरीदा गया था। इसे मिसाइल कॉम्बैट क्रू को प्रशिक्षण देने के वास्ते सिमुलेटर के साथ उपलब्ध कराया गय है। पिचोरा सिस्टम, ओईएम द्वारा तय सीमा से ज्यादा अवधि तक अस्तित्व में है। हालांकि नए सिस्टम को शामिल किए जाने में देरी के चलते इस सिस्टम को अभी बरकरार रखा गया है। कम विश्वसनीय प्रदर्शन और ओईएम से प्रोडक्ट सपोर्ट में कमी के कारण पिचोरा सिस्टम को ज्यादा समय तक इस्तेमाल करना चुनौतीपूर्ण है।
- ज्यादा अवधि तक इस्तेमाल के क्रम में आईएएफ ने कॉम्बैट क्रू के प्रशिक्षण के लिए पिचोरा कॉम्बैट सिमुलेटर का स्वदेशी क्लास रूम वर्जन तैयार किया गया है। सिमुलेटर को 2.3 लाख रुपए की लागत से स्वदेशी स्तर पर तैयार किया गया है, जबकि वेंडर ने इसके लिए 55 लाख रुपये की लागत क्वोट की थी। भारत के प्रधानमंत्री ने 8 अक्टूबर 2015 को सिमुलेटर के स्वदेशीकरण के वास्ते उत्कृष्टता प्रमाण पत्र दिया था।
मीटरोलॉजी
प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया ‘सर्टिफिकेट ऑफ एक्सीलेंस’ पुरस्कारः मौसम की मौजूदा जानकारी का महत्व और इस्तेमाल उसकी मुद्रा और ऑपरेटर्स और नीति निर्धारकों को रियल टाइम आधार पर उसकी उपलब्धता में निहित होता है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए मौसम विभाग ने एक ऑनलाइन पोर्टल –मौसम ऑनलाइन (एमओएल) की योजना बनाई और उसे लागू किया। इसका एक मात्र उद्देश्य मौसम की सही भविष्यवाणी करना है, जिससे कमांडरों और ऑपरेटरों को हवाई परिचालन की योजना बनाने और उन्हें लागू करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने 8 अक्टूबर, 2015 को 83वें वायु सेना दिवस के मौके पर हुए एक समाहोर में मौसम विभाग के निदेशक को एक सर्टिफिकेट फॉर एक्सीलेंस इन इनोवेशन भी प्रदान किया था।
संयुक्त योजना और परिचालन
भारत-अमेरिका संयुक्त अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’, भारत-ब्रिटेन संयुक्त अभ्यास ‘अजेय वैरियर’, भारत-चीन संयुक्त अभ्यास ‘हाथ में हाथ’, भारत-थाईलैंड संयुक्त प्रशिक्षण ‘अभ्यास मैत्री’, भारत-मालदीव संयुक्त प्रशिक्षण ‘अभ्यास एकुवेरियन’ संयुक्त अभ्यास रहे, जो भारतीय सेना अपनी वायुसेना संपत्तियों के साथ इस साल पहले ही मित्र देशों के साथ कर चुकी है।
आईएएफ और सिविल अथॉरिटीज के बीच सहयोग
मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) परिचालन
ओपी राहतः भारत सरकार को युद्ध के चलते यमन जैसे देशों से लगभग 4,000 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को निकालने की जरूरत महसूस हुई। एमईए, आईएएफ, भारतीय नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रयास से भारतीय नागरिकों को कई स्थानों से निकाला गया। जहां भारतीय नौसेना के जहाज यमन के बंदरगाह शहर डिजीबाउटी से नागरिकों को लेकर आए और वायु सेना नागरिकों को साना से डिजीबाउटी तक लेकर आई, वहीं आईएएफ ने भारतीय नागरिकों को डिजीबाउटी से कोच्चि और मुंबई लाने के लिए अपने तीन सी-17 एयरक्राफ्ट लगा दिए थे। आईएएफ के एयरक्राफ्टों ने नागरिकों को लाने के लिए कुल 11 ट्रिप कीं, जिनके माध्यम से 2,096 भारतीय नागरिकों को निकालने में कामयाबी मिली।
ओपी मैत्रीः 25 अप्रैल, 2015 को नेपाल में एक भूकंप आया। इसके बाद भारत ने विदेशी धरती पर सबसे बड़ा आपदा राहत परिचालन शुरू किया और भारत सरकार को सहयोग व राहत उपलब्ध कराई। कुल 1,636 सॉर्टीज (sorties), लगभग 836 घंटों की उड़ान के जरिये हवाई माध्यम से 780 हताहतों (126 विदेशी नागरिकों सहित) को निकाला गया और कई भूकंप प्रभावित क्षेत्रों से 5,188 कर्मचारी निकाले गए।
- हेलिकॉप्टरः कुल 24 हेलिकॉप्टर उतार दिए गए, जिसमें 741 घंटों में 1,572 सॉर्टीज की गईं। इनके माध्यम के 5,188 पीड़ितों, 780 शवों को निकाला गया। राहत एवं पुनर्वास के कामों में 1,488 सैनिक लगाए गए और 733 टन वजन एयरलिफ्ट किया गया।
- म्यामांर में बाढ़ राहत परिचालनः 6-7 अगस्त 2015 को एमओडी द्वारा लगाए गए आईएएफ के सी-17 और सी-130जे एयरक्राफ्ट ने दिल्ली से म्यामांर के कलय और मंडालय तक लगभग 104 टन राहत सामग्री एयरलिफ्ट की। सी-17 और सी-130 जे एयरक्राफ्ट मंडालय और कलय तक क्रमशः 48 टन और 10 टन वजन लेकर गए। इसके अलावा गुवाहाटी से 46 टन वजन ले जाने के लिए एक अन्य सी-17 एयरक्राफ्ट को इस्तेमाल किया गया था; जिसे बाद में तीन शटल्स में सी-130 जे एयरक्राफ्ट के माध्यम से कलय को ले जाया गया।
अन्य देशों के साथ रक्षा सहयोग
अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग के तहत आईएएफ एयर स्टाफ वार्ताओं, पेशेवरों की यात्राओं, खेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कई मित्र देशों के साथ जुड़ी रही है।
इंद्रधनुष-4: भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय सहयोग के तहत अभ्यास इंद्रधनुष-4 आरएएफ बेस, ब्रिज नॉर्टन और हनिंगटन में 21-30 जुलाई 2015 के बीच संपन्न हुआ। इस अभ्यास में आईएएफके 190 कर्मचारियों ने भाग लिया। इसमें आईएएफ के सुखोई-30एमकेआई, सी-130जे, सी-17, आईएल-78 एयरक्राफ्टों और गरुड़ ने हिस्सा लिया।
संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (जेएमटी)-15
सिंगापुर एयर फोर्स के साथ एक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण (जेएमटी-15) 2-22 नवंबर 2015 के बीच एएफ स्टेशन कलईकुंडा में हुआ था। आरएसएएफ ने इसमें अपने 6 एक्स एफ-16 सी/डी एयरक्राफ्ट उतार दिए। द्विपक्षीय अभ्यास दो सप्ताह के लिए 23 नवंबर 2015 तक सुखोई-30 एमकेआई के साथ संपन्न हुआ।
महिलाओं का सशक्तिकरण और कल्याण
बड़े नीतिगत फैसले
सरकार ने आईएएफ की सभी शाखाओं और इकाइयों के लिए योग्य बनाकर महिलाओं को शामिल किए जाने को मंजूरी दे दी। महिलाओं को पुरुषों के समान क्यूआर के रूप में चुना गया। इसके अलावा लिंगभेद को खत्म करते हुए परमानेंट कमीशन देने के वास्ते महिलाओं और पुरुषों दोनों शॉर्ट सर्विस कमीशन पर एक समान क्यूआर लागू कर दिया गया। 15 नवंबर 2015 तक आईएएफ में 348 महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन मिल गया था।
डीआरडीओ
- 2015 में टैक्टिकल वीपन सिस्टम के क्षेत्र में डीआरडीओ ने मल्टी टारगे, मल्टी डायरेक्शनल क्षमता वाले मीडियम रेंज के एयर डिफेंस सिस्टम आकाश मिसाइल का उत्पादन शुरू किया और उसे शामिल किया।
- हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल अस्त्र सु-30 कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के साथ टारगेट पर मार करने में सक्षम है। मिग-29, सु-30 और भारत के अपने तेजस एयरक्राफ्ट में लगाने के लिए डिजाइन की गई अस्त्र कई सफल परीक्षणों से गुजर चुकी है।
- सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को जमीन, हवा, समुद्र और उप-समुद्री प्लेटफॉर्म से लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो एक अहम वीपन सिस्टम है। नौसेना के 10 जहाजों में इस अचूक हथियार ब्रह्मोस को तैनात किया गया है और सेना की दो रेजीमेंट के पास यह मिसाइल है। पानी के भीतर से लॉन्च किए जाने वाले वर्जन का सफल परीक्षण हो चुका है। हाल में ब्रह्मोस का भारतीय नौसेना के नए नवेले डिस्ट्रॉयर आईएनएस कोच्चि से सफल परीक्षण किया गया था।
- हेलिना, एक टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल को डायरेक्ट और टॉप अटैक मोड के साथ हल्के उन्नत हेलिकॉप्टर एएलएच में लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। भविष्य के हथियारों को पराजित करने के लिए डिजाइन की गई यह मिसाइल अभी परीक्षण के दौर से गुजर रही है।
- भारत का पहला हल्का मल्टी-रोड सुपरसोनिक कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस चौथी पीढ़ी का फाइटर एयरक्राफ्ट है और यह एयरक्राफ्ट 2,500 से ज्यादा टेकऑफ और लैंडिंग कर चुका है। भारतीय वायुसेना के एक फायर पावर डिमॉन्सट्रेशन ‘आयरन फर्स्ट’ में भी इसका प्रदर्शन किया गया था।
- एलसीए तेजस को 29 दिसंबर 2013 को शुरुआती परिचालनगत मंजूरी मिली थी और यह अंतिम मंजूरी की ओर बढ़ रहा है। एलसीए तेजस को शुरुआती परिचालनगत मंजूरी मिलने से उत्साहित एलसीए नेवी ने अप्रैल 2012 की अपनी पहली उड़ान के बाद अपनी उड़ानों का परीक्षण शुरू कर दिया है।
- डीआरडीओ की तकनीक क्षमता स्वदेशी वीपन लोकेटिंग रडार (डब्ल्यूएलआर) के विकास, उत्पादन और उसके स्वीकार के जाने के बाद खासी बढ़ गई है।
- स्वातिः स्वाति एक उच्च स्तर का गतिशील रडार सिस्टम है, जो एक फेंस डिटेक्शन मोड के साथ परिचालन करती है और शेल्स, मोर्टार और रॉकेटों का तेजी से डिटेक्शन सुनिश्चित करता है।
- एक विश्वसनीय इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम्स (आईईडब्ल्यूएस) को स्थापित करने के क्रम में डीआरडीओ ने हिमशक्ति के विकास में एक बड़ी सफलता हासिल की। शामिल करने से पहले किसी भी ईडब्ल्यू सिस्टम के लिए फील्ड इवैल्युएशन एंड ट्रायल्स को पहली बार वास्तविक तैनाती क्षेत्र में कराया गया।
- फायर पावर बढ़ाने के लिए लंबी रेंज वाले पिनाका एमके-2 का विकास किया गया और फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है।
- एनएसटीएल, विशाखापट्टनम में हाइड्रोडायनामिक परीक्षण इकाई सी कीपिंग एंड मैनोवरिंग बेसिन की स्थापना की गई है और रक्षा मंत्री ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। इस इकाई को नए डिजाइन किए गए जहाजों के प्रदर्शन के अनुमान के लिए मॉडल परीक्षण करने में इस्तेमाल किया जाएगा, साथ ही यहां पर विभिन्न परिस्थितियों में उनके प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा।
- मरीचः यह एक स्वदेशी तौर पर विकसित टॉरपीडो डिफेंस सिस्टम है, जो किसी टॉरपीडो हमले से किसी नेवल प्लेटफॉर्म को बचाने के लिए भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।
- टॉरपीडो लॉन्च करने और रिकवरी के वास्ते डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए आईएनएस अस्त्रआधारिणी भारतीय नौसेना ने तैनात कर दिया है। जहाज को एक यूनीक टैकामारन हुल फॉर्म में डिजाइन किया गया है, जिससे उसकी बिजली जरूरत में खासी कमी आ जाती है। यह कई तरह के टॉरपीडो को लॉन्च कर सकता है और उनका पता लगा सकता है।
- ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने के क्रम में डीआरडीओ ने स्वदेशी उत्पादन में लगे निजी और सरकारी उद्योगों के लिए तकनीक हस्तांतरण (टीओटी) और रक्षा तकनीक को समाज के वास्ते इस्तेमाल के व्यवसायीकरण के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं। डीआरडीओ ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत 57 उद्योगों को 75 लाइसेंसिंग एग्रीमेंट्स फॉर ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (एलएटीओटी) जारी किए हैं।
भारतीय तटरक्षक बल
- वर्ष के दौरान भारतीय तटरक्षक बल के जहाजों और क्राफ्ट्स ने 618.370 करोड़ रुपए का तस्करी का सामना जब्त किया
- 15 दिसंबर 2015 तक दो तस्करी के जहाज और 15 नौका जब्त की गईं और भारतीय जल क्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने पर 156 नाविकों को गिरफ्तार किया गया।
- वर्ष के दौरान 179 सर्च एंड रिसक्यू (एसएआर) मिशन चलाए गए और समुद्री इलाकों में फंसे 3,756 लोगों की जान बचाई गई।
नया आगमन (इंडक्शन)/तैनाती
- छह स्वदेश निर्मित ऑफशोर पेट्रोल वीजल्स (ओपीवी) की कड़ी में पहला आईसीजीएस ‘समर्थ’ को रक्षा मंत्री ने गोवा में 10 नवंबर, 2015 को तैनाती दी। सबसे ज्यादा उन्नत तकनीक, नैविगेशन और संचार उपकरण, सेंसरों और मशीनरी से युक्त यह ओपीवी 105 मीटर लंबा है और उसे गोवा शिपयार्ड ने बनाया है। गोवा में बेस्ड आईसीजीएस समर्थ को मुख्य रूप से इकोनॉमिक जोन की निगरानी के लिए तैनात किया गया है और उसकी अन्य जिम्मेदारियों में वेस्टर्न सीबोर्ड से भारतके सामुद्रिक हितों की रक्षा करना है।
- इस साल 8 फास्ट पेट्रोल वीसल्स (एफपीवी) की भी तैनाती हुई, जिनके नाम आईसीजीएस अमेया, अमोघ, अनघ, अंकित, अनमोल, अपूर्वा, अरिंजय और रानी दुर्गावती था।
- इसके अलावा वर्ष 2015 के दौरान तटरक्षक बलों में 12 इंटरसेप्टर बोट्स और एक पॉल्युशन कंट्रोल वीसल (पीसीवी) आईसीजीएस ‘समुद्र पावक’ को भी शामिल किया गया।
पूर्व सैनिक कल्याण
- सरकार ने सैन्य बलों के लिए बहुप्रतीक्षित ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना की घोषणा 7 नवंबर 2015 को की। ओआरओपी समान रैंक वाले और समान वर्षों की सेवाएं देने वाले रक्षा सेवा के कर्मचारियों की पेंशन की असमानता खत्म होने की उम्मीद है, जिससे सरकार पर सालाना 8,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। 14 दिसंबर 2015 को सरकार ने ओआरओपी योजना के कार्यान्वयन पर गौर करने के लिए जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी की अगुआई में एक न्यायिक समिति को नियुक्त किया था।
- 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों की घोषणा से कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में भारी बढ़ोत्तरी होगी। पहली बार आयोग ने ज्यादा जोखिम वाले कार्यो में लगे नौसेना और वायु सेना के सभी कर्मचारियों की मिलिट्री सर्विस पे (एमएसपी) और विशेष भत्तों में भारी बढ़त्तरी दी है।
- इमप्लॉईज कॉन्ट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) को और विस्तार देते हुए इसे देश के विभिन्न हिस्सों के पॉलीक्लीनिक्स और रेफरल अस्पतालों तक कर दिया गया है।
नेपाल भूकंप के पीड़ितों तक संपर्क कायम करना
नेपाल के लिए राष्ट्र के राहत प्रयासों के तहत भारतीय सेना ने 25 अप्रैल 2015 से ऑपरेशन ‘मैत्री’ लॉन्च किया था। इंजीनियर टास्क फोर्सेज ने बारपाक, बसंतपुर/भक्तपुर और जोरबाती से बचाव और पुनर्वास कार्यों की शुरुआत की थी। भारतीय सेना के पायलटों ने मुश्किलों में फंसे लोगों को निकाला, राहत सामग्री पहुंचाई और नेपाल की सेना को राहत कार्य के लिए दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचने में मदद की। सेना और वायु सेना हेलिकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों में 1,650 सॉर्टीज कीं, 994 लोगों को बचाया, 1,726 सैनिक लगाए और 747 टन सामग्री की आपूर्ति की।
भारतीय सेना के फील्ड हॉस्पिटल्स ने नेपाल में 4,690 लोगों को उपचार और दवाएं मुहैया कराईं, जिनमें 300 से ज्यादा सर्जरी भी शामिल हैं।
चेन्नई बाढ़
चेन्नई में भारी बारिश के चलते आई भयानक बाढ़ की स्थिति में राज्य सरकार की मदद के लिए भारतीय सेना 1 दिसंबर, 2015 की दोपहर को आगे आई। चेन्नई गैरिसन इनफैंट्री बटालियन और सेना की इंजीनियर एलीमेंट्स के सैनिकों ने मिलकर दो बचाव और राहत दल बनाए और तामबरम, मुदीचुर, मनीपक्कम, गुदुवांचेरो और उरापक्कम क्षेत्रो में 1 दिसंबर 2015 की शाम से ऑपरेशन शुरू कर दिया। इस दौरान मुश्किल हालात में फंसे 20,000 से ज्यादा लोगों को निकाला गया। सेना ने राज्य सरकार और कुछ एनजीओ द्वारा उपलब्ध कराए गए 1.25 लाख से ज्यादा राहत पैकेज बांटे।
इस संयुक्त ऑपरेशन ‘मदद’ में भारतीय वायुसेना और नौसेना ने भी खासा योगदान किया और मुश्किल में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में मदद की। साथ ही लोगों के बीच राहत सामग्री बांटने में भी मदद की।