केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने असम सरकार से खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन में तेजी लाने की अपील की है जिससे कि राज्य की लगभग 84 फीसदी ग्रामीण एवं 60 फीसदी शहरी आबादी को तीन रूपये प्रति किलोग्राम चावल एवं दो रूपये प्रति किलोग्राम गेहूं प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य में इस अधिनियम के क्रियान्वयन में देरी आई क्योंकि इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक लाभार्थियों के रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन राज्य ने नहीं किया था। आखिरकार, असम में दिसंबर से यह कानून अमल में आया और अब राज्य के 2.52 करोड से भी अधिक लोगों को सब्सिडीप्राप्त खाद्यानों का लाभ प्राप्त होगा। श्री पासवान आज गुवाहाटी में राष्ट्रीय जांच गृह के आधिकारिक भवन का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
श्री पासवान ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को अनिवार्य रूप से खाद्यान प्राप्त हो जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने कहा कि इसीलिए केंद्र सरकार ने लाभार्थियों को खाद्यान प्राप्त न होने की स्थिति में खाद्य सुरक्षा भत्तों की अदायगी के लिए नियमों को अधिसूचित किया है। केंद्र सरकार ने राज्यों द्वारा खाद्यानों के संचालन एवं उन्हें लाने ले जाने पर आने वाली लागत तथा डीलरों के मार्जिन का 50 प्रतिशत (पहाडी एवं दुर्गम स्थानों के लिए 75 फीसदी) साझा करने का भी फैसला किया है जिससे कि इसका बोझ लाभार्थियों पर न पडे और उन्हें एक रूपये प्रति किलो मोटे अनाज, दो रूपये किलो गेहूं एवं तीन रूपये किलो चावल प्राप्त हो सके।
मंत्री महोदय ने कहा कि प्रणाली को अधिक पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए खाद्यानों के ऑनलाइन आवंटन को 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्रियान्वित किया गया है। लगभग 71,000 एफपीएस को ‘प्वांइट ऑफ सेल’ उपकरणों को स्थापित करने के द्वारा ऑटोमेट किया गया है। 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में टॉल फ्री हेल्प लाइनों को स्थापित किया गया है तथा सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऑनलाइन शिकायत निवारण को क्रियान्वित किया गया है। टीपीडीएस के सभी संचालनों को प्रदर्शित करने के लिए 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में पारदर्शी पोर्टल लांच किया गया है।
चाय बगान के मजदूरों के लिए सब्सिडीप्राप्त खाद्यानों की मांग का समर्थन करते हुए श्री पासवान ने कहा कि इस भारी सब्सिडीप्राप्त खाद्यानों का लाभ चाय बगान के मजदूरों को भी मिलना चाहिए जिन्हें इससे पहले पीडीएस का प्रत्यक्ष लाभ नहीं प्राप्त हो रहा था क्योंकि खाद्यानों का थोक आवंटन केवल केवल चाय बगान के प्रबंधन के लिए ही किया जा रहा था। यही वजह है कि-
• पहली बार चाय बगान के मजदूरों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान प्राप्त करने का हकदार बनाया गया है। 17.97 लाख चाय बगान मजदूरों ने एनएफएसए के तहत खाद्यान प्राप्त करना प्रारंभ कर दिया है।
• चाय बगान के मजदूरों के बीच वितरण के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार को 12,590 लाख टन का मासिक आवंटन किया जा रहा है।
• चाय बगान के मजदूर अब एनएफएसए के तहत हकदारियां तथा पारंपरिक तरीके से प्रति परिवार 32.56 किलोग्राम खाद्यान भी प्राप्त कर रहे हैं।
केंद्रीय खाद्य मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर उनके मंत्रालय के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। लुमडिंग से बदरपुर तक आमान परिवर्तन के कारण रेल रास्ते में आई बाधा के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में मल्टी-मॉडल परिवहन के उपयोग के द्वारा खाद्यान्नों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई थी। क्षेत्र में 20,000 एमटी खाद्यान का भंडारण सृजित करने के अतिरिक्त प्रत्येक महीने सडकों के जरिये 80,000 एमटी खाद्यान की आवाजाही की गई। प्लान स्कीम के तहत पूर्वोत्तर में 62,650 एमटी खाद्यान की भंडारण क्षमता का सृजन किया गया है।
मंत्री महोदय द्वारा उद्घाटित नया भवन सिविल इंजीनियरिंग एवं कैमिकल सामग्रियों की जांच करने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में स्थित उद्योग की मांगों की पूर्ति के लिए गुवाहाटी में राष्ट्रीय जांच गृह का उन्नयन किया जाएगा
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