सरकार जूट उत्पादों को बढ़ावा देकर और लोगों को अपने रोजमर्रा जीवन में इनके उपयोग के लिए प्रोत्साहित करके प्रदूषण से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। केन्द्रीय कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने यह बात कही।
आज कोलकाता में ‘जूट विविधीकरण पर राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का उद्घाटन करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि कैरी बैग के साथ-साथ पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, पॉलीथीन और अन्य सिंथेटिक सामग्री के विपरीत जूट स्वाभाविक तरीके से सड़नशील, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक, गैर-प्रदूषणकारी एवं गैर-विषाक्त है। श्री गंगवार ने बताया कि जूट की खेती एवं जूट आधारित उद्योग पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में एक प्रमुख कृषि-आर्थिक गतिविधि है, जो जूट की खेती करने वाले 40 लाख से अधिक परिवारों, 3.70 लाख औद्योगिक कामगारों और विकेन्द्रीकृत जूट क्षेत्र में काम करने वाले 2 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
मंत्री महोदय ने कहा कि 95 फीसदी जूट, जो अपनी बहुमुखी क्षमता और पर्यावरण अनुकूल के गुण की बदौलत ‘गोल्डन फाइबर’ के नाम से लोकप्रिय है, का उपयोग खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए टाट के बोरे तैयार करने में किया जाता है। जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम के तहत इसे अनिवार्य माना जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार अब जूट के उपयोग में विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है, ताकि इससे शॉपिंग बैग, कार्यालय फोल्डर, दीवार के पर्दे, होल्डर, स्टेशनरी, उपहार, हस्तशिल्प सामान, सजावटी और फैशन के सामान, जूते, कपड़े एवं कठपुतलियां, घर के सजावटी सामान, फ्रेम्स, कालीन, आसन एवं पर्दे, हस्तशिल्प, वाटर बोतल होल्डर, पाउच बैग, हैंड बैग इत्यादि तैयार किए जा सकें।
मंत्री महोदय ने कहा कि उनके मंत्रालय ने जूट विविधीकरण के प्रयासों को ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के साथ जोड़ने के लिए अन्य मंत्रालयों, बैंकों और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है।
शहरी विकास, आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो के अलावा श्रीमती रश्मि वर्मा, सचिव, कपड़ा और अध्यक्ष, राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने भी इस संगोष्ठी को संबोधित किया।
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