केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल ने आज दुबई में आयोजित गलफूड, 2016 में भारतीय पेवेलियन का उद्घाटन किया। श्रीमती बादल ने इस मौके पर मेले का दौरा किया और वहां प्रदर्शनी लगाने वाले भारतीयों से बातचीत की। उन्होंने उन्हें गलफूड, 2014 के मंच का इस्तेमाल विदेशी निवेशकों से गठबंधन के लिए करने को कहा और इस बात की अपील की कि वे भारत से पश्चिमी बाजारों में खाद्य उत्पाद के निर्यात में तेजी लाएं। उनके साथ उद्यमियों का एक दल भी था। इनमें मेगा फूड पार्क, कोल्ड चेन्स, ऑल इंडिया फूड प्रोसेसर्स एसोसिएशन, चैंबर ऑफ कॉमर्स से जुड़े उद्यमी और राज्य सरकार के प्रतिनिधि शामिल थे।
बाद में गलफूड, 2016 के खाद्य और पेय कारोबार फोरम में मुख्य भाषण देते हुए श्रीमती बादल ने इस प्रदर्शनी के आयोजकों और भारतीय खाद्य उद्योग की प्रशंसा की। श्रीमती बादल ने खाद्य और पेय सेक्टर में नए रुझानों और नवाचारों को प्रदर्शित करने के लिए आयोजकों को धन्यवाद दिया।
श्रीमती बादल ने कहा कि भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐतिहासिक रूप से आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात भारतीय निर्यात के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा बड़ा कारोबारी साझीदार है। दोनों के बीच सालाना कारोबार 60 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है।
उन्होंने बताया कि भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एक उभरता हुआ क्षेत्र है और इसमें प्रगति की अपार संभावना है। इस उद्योग में मूल्य संवर्धन की अनंत संभावनाएं हैं इसलिए यह तेज तरक्की वाले सेक्टर के तौर पर उभरा है। इसमें महंगाई को नियंत्रित करने की क्षमता है और यह किसानों को अच्छी कीमत दिलाने की क्षमता रखता है।
श्रीमती बादल ने उद्यमियों के दल को बताया कि भारत एक बेहद संभावनाशील बाजार है और इसकी 1.2 अरब की आबादी इसे एक विशाल बाजार में तब्दील कर देती है। भारत में लोगों की क्रयशक्ति बढ़ रही है। यहां कच्चे माल की कमी नहीं है। यहां युवा और कुशल श्रम शक्ति सहज रूप से उपलब्ध है। भारत सरकार इस सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए तरह-तरह की सहूलियत और प्रोत्साहन दे रही है। भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम मेक इन इंडिया के तहत कारोबार सुगम बनाने के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री अपने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाना चाहते हैं।
श्रीमती बादल ने कहा कि भारत की ओर संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात की जाने वाली चीजों में खाद्य आइटम प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि भारत खाद्यान्न, फल, सब्जी और दूध के उत्पादन में काफी आगे है लेकिन इसके बाद बुनियादी ढांचे की कमी है वहीं संयुक्त अरब अमीरात के पास सरप्लस फंड और टेक्नोलॉजी है। संयुक्त अरब अमीरात खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा कर सकता है लेकिन उसके पास कच्चे माल की कमी है। यह दोनों के लिए फायदे की बात है।
भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में अपार संभावनाएं हैं, जिनका संयुक्त अरब अमीरात के निवेशक लाभ उठा सकते हैं। दोनों देशों के बीच खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सहयोग की अपार संभावनाए हैं। संयुक्त अरब अमीरात के निवेशक भारत आ सकते हैं और यहां भारत में खाद्य उत्पादों का उत्पादन कर सकते हैं। यह उनकी जरूरत और निर्यात दोनों के लिए अच्छा रहेगा।
माननीय मंत्री महोदया ने कहा कि भारत में खाद्य नियामक व्यवस्था अब लाइसेंस से रजिस्ट्रेशन व्यवस्था की ओर बढ़ रही है ताकि देश में कारोबार करना आसान हो। भारत सरकार देश में निवेश के लिए सुविधा प्रदान करने और इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में निवेश को बढ़ावा दे रही है और ताकि भारत में कारोबार शुरू करने वाले व्यवसायियों और उद्यमियों को इस दिशा में आसान और पारदर्शी माहौल मिल सके। इससे निवेशकों को भारत में निवेश करने में आसानी हो सकेगी।
श्रीमती बादल ने इस दिशा में भारतीय बाजार की खूबियों का जिक्र किया और निवेश को बढ़ावा देने वाली नीतियों की जानकारी दी। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात समेत दुनिया भर के निवेशकों से भारत के खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में निवेश करने की अपील की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत के मेगा फूड पार्कों, कोल्ड चेनों और दूसरे खाद्य प्रसंस्करण और संवर्धन इकाइयों और श्रृंखलाओँ में निवेश कर सकते हैं। इन इलाकों में यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। वे इसमें निवेश कर भारत के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्रम का लाभ ले सकते हैं।
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