आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 9ए में भारत ने विदेशी फंडों के फंड मैनेजरों के लोकेशन में मदद के लिए 01-04-2016 से विशेष कर लगाने की व्यवस्था का प्रावधान है। इस व्यवस्था के तहत एक पात्र निवेश फंड द्वारा भारत में पात्र फंड मैनेजर के माध्यम से चलाए जा रहे काम से भारत में कारोबारी संबंध स्थापित नहीं होता और इससे भारत में फंड का अवसर साबित नहीं होता।
15-03-2016 को जारी अधिसूचना संख्या SO 1101(E) के माध्यम से अधिनियम के सैक्शन 9ए के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम आयकर अधिनियम 1961 में जोड़ दिया गया है। इन नियमों में निम्न व्यवस्थाएं हैं।
- एक पूर्व स्वीकृति व्यवस्था जिसके अंतर्गत एक फंड अपने विकल्प पर सीबीडीटी से स्वीकृति की मांग सकता है और एक बार स्वीकृति मिल जाने पर सेक्शन 9ए के लाभ से तब तक वंचित नहीं किया जा सकता जब तक सीमित परिस्थितियों के अंतर्गत स्वीकृति वापस न ले ली गई हो।
- यह देखकर कि फंड में निवेश एक संस्थागत कंपनी द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की गई है तो सदस्यों की संख्या का निर्धारण तथा फंड में भागीदारी हितनिर्धारण।
- फंड के 18वें महीने या इसके अंतिम क्लोजिंग, जो भी पहले हो, में निवेशक विविधिकरण शर्त से छूट। यह छूट फंड की चरण स्थापना तथा फंड के समाप्त होने में एक वर्ष की अवधि के लिए मान्य।
- 90 दिनों तक निवेशक विविधिकरण शर्तों को अल्पकालीक रूप से पूरा न करने के मामले में फंड की पात्रता प्रभावित नहीं करेगी।
- फंड की पात्रता पर काम का ब्यौरा देने में देरी से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, बशर्ते विलंब की अवधि 90 दिनों से अधिक न हो।
- यदि फंड प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 26 प्रतिशत वोटिंग अधिकार है तो किसी कंपनी द्वारा कारोबार चलाने में फंड का नियंत्रण और प्रबंधन समझा जाएगा।
अधिसूचना संख्या SO 1101(E) दिनांक 15-3-2016 आयकर विभाग की वेबसाइट www.incometaxindia.gov.in. पर उपलब्ध है।
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