राजस्व
विभाग ने विकास एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय किए:
छोटे करदाताओं एवं छोटे व्यवसाय एवं व्यावसायियों को राहत देने के लिए
कदम उठाए
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने विकास एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं:
क. नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कंपनी कर दरों को घटाकर 25 प्रतिशत करना।
ख. निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आवास क्षेत्र के लिए कर लाभों को विस्तारित करना।
ग. तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी एवं शुल्कों पर कर की दरों को 25 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत करना।
घ. स्टार्ट अप इंडिया के लिए कर रियायत।
ठीक इसी प्रकार, राजस्व विभाग ने छोटे करदाताओं एवं छोटे व्यवसाय एवं व्यावसायियों को राहत देने के लिए कदम उठाए हैं :
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 80 (सी) के तहत छूट की सीमा को सालाना एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर दिया गया है, जोकि एनपीएस को अतिरिक्त पचास हजार रुपये के योगदान का विषय होगा। इसके अतिरिक्त, छोटे व्यावसायों के लिए प्रकल्पित कराधान क्षेत्र के दायरे को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक कर दिया गया है। प्रकल्पित कराधान लाभ अब व्यावसायों के लिए 50,00,000 रुपये के टर्नओवर तक उपलब्ध है।
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने विकास एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं:
क. नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कंपनी कर दरों को घटाकर 25 प्रतिशत करना।
ख. निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आवास क्षेत्र के लिए कर लाभों को विस्तारित करना।
ग. तकनीकी सेवाओं के लिए रॉयल्टी एवं शुल्कों पर कर की दरों को 25 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत करना।
घ. स्टार्ट अप इंडिया के लिए कर रियायत।
ठीक इसी प्रकार, राजस्व विभाग ने छोटे करदाताओं एवं छोटे व्यवसाय एवं व्यावसायियों को राहत देने के लिए कदम उठाए हैं :
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 80 (सी) के तहत छूट की सीमा को सालाना एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये सालाना कर दिया गया है, जोकि एनपीएस को अतिरिक्त पचास हजार रुपये के योगदान का विषय होगा। इसके अतिरिक्त, छोटे व्यावसायों के लिए प्रकल्पित कराधान क्षेत्र के दायरे को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक कर दिया गया है। प्रकल्पित कराधान लाभ अब व्यावसायों के लिए 50,00,000 रुपये के टर्नओवर तक उपलब्ध है।
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