प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रीमंडल ने हिंदुस्तान फर्टीलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HFCL) के वित्तिय नवीनीकरण को मंजूरी दे दी है। मंत्रीमंडल ने इसे भारत सरकार की तरफ से दिए गए 1916.14 करोड़ रुपये (31.01.2015 तक) के ऋण और उस पर लगने वाले ब्याज (31.03.2015 तक ब्याज की राशि थी 7163.35 करोड़ रुपये) को छोड़ने (माफ करने) को मंजूरी दी है। मंत्रीमंडल ने एचएफसीएल पर बिहार राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड के बकाया के निपटारे के लिए बरौनी ईकाई की एश डाइक की 56 एकड़ जमीन को स्थानांतरित करने को भी मंजूरी दे दी है।
मंत्रीमंडल की मंजूरी से एचएफसीएल को बीआईएफआर के पंजीकरण से अलग होने में मदद मिलेगी और यह इसके लिए सकारात्मक होगा। इससे एचएफसीएल के तेजी से पुनरुत्थान का रास्ता साफ होगा। यह ईकाई अभी निष्क्रिय पड़ी हुई है और जनवरी 1999 से इसका संचालन बंद है। यहां यह बताना जरूरी होगा कि देश के पूर्वी हिस्से में केवल नामरूप (असम) में दो छोटी ईकाइयों को छोड़ दें तो, यूरिया उत्पादन की कोई भी ईकाई नहीं है।
देश में यूरिया की वार्षिक खपत 320 एलएमटी है जिसमें 245 एलएमटी का उत्पादन देश में होता है जबकि बाकी आयात किया जाता है। बरौनी में नई ईकाई के लगने से बिहार, पश्चिम बंगाल व झारखंड में यूरिया की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। इससे पश्चिमी व मध्य क्षेत्रों से यूरिया ढोकर लाने के लिए रेलवे व सड़क यातायात पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा और इससे सरकारी सब्सिडी में भी बचत होगी। इस यूनिट से 400 प्रत्यक्ष और 1200 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
बरौनी ईकाई, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) द्वारा बिछायी जा रही जगदीशपुर-हल्दिया गैस पाइपलाइन के लिए भी मुख्य ईकाई के तौर पर होगी जो कि पूर्वी भारत में विकास व आर्थिक उन्नति व ढांचागत विकास के लिए काफी अहम है।
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