भारत और जापान के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता 1 अक्टूबर 2016 से प्रभावी होगा। इस अतिरिक्त सामाजिक सुरक्षा समझौता के प्रभावी हाने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा समझौतों की संख्या 16 हो जाएगी। विदेश मंत्रालय के साथ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), जो कि सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए बातचीत और समापन का सक्षम प्राधिकरण भी है, ने समझौते को प्रभाव में लाने के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली है। भारत और जापान के बीच 16 नवंबर, 2012 को टोकियो में सामाजिक सुरक्षा समझौता हुआ था।
अन्य देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता, विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशवरों और कुशल श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए किया जाता है। भारत सरकार ने अब तक 19 देशों से सामाजिक सुरक्षा समझौता किया है जिसमें 15 देशों के साथ यह प्रभाव में है।
1 अक्टूबर, 2016 से भारत और जापान के बीच व्यापक सामाजिक सुरक्षा समझौता के प्रभाव में आने के साथ ही मुनाफे पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, लागत कम होने से विदेशों में कारोबार करने वाली भारतीय और जापानी कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति भी बदलेगी। इस समझौते से भारत में काम कर रहे जापानी और जापान में काम कर रहे भारतीय लोगों को लाभ होगा। यह समझौता जापानी कंपनियों को भारत को निर्माण में निवेश स्थल के रूप में विचार करने हेतु भी मदद करेगा। इसके अलावा, 27-28 जुलाई, 2016 को हैदाराबाद में ब्रिक्स सेकेन्ड इम्पलॉयमेंट वर्किंग ग्रुप की बैठक होगी। इस मंच की योजना ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता प्रवेश कराने हेतु आवश्यक कदम उठाने के लिए एक संकल्प पास करने के लिए प्रोत्साहित करना है क्योंकि ब्रिक्स देशों ने अन्य देशों से व्यक्तिगत रूप से सामाजिक सुरक्षा समझौता पहले से कर रखा है। ब्रिक्स देशों के बीच कुछ सालों में व्यापार संबंध बढ़ा है और इन देशों के महत्वपूर्ण उद्योग और प्रतिष्ठान निवेश कर रहे हैं।
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