अरविंद केजरीवाल जी के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास एक दस रुपये का पेन खरीदने का भी अधिकार नही है लेकिन करोड़ों के मुआवज़ा से लेकर फ्लैट इत्यादि देने के लिए सरकार के पास अधिकार हैं यह जानकारी RTI के अंतर्गत पूछे गए एक पत्र के जवाब मे मिली.
पहले एक नज़र घटनाओं पर डालते हैं फिर देखते हैं की दिल्ली सरकार RTI मे क्या जवाब देती है और मीडीया के सामने क्या बयान देती है:
1. पिछले साल हैदराबाद के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद दिल्ली सरकार ने मृतक के परिजनों को नौकरी की पेशकश करी थी| वेमुला का दिल्ली से कोई लेना देना नही था
2. होली के एक दिन पहले दिल्ली के विकासपुरी मे डाक्टर नारंग की हत्या होती है और "इंडियन डेंटल असोसियेशन" की माँग और भारी दबाव के चलते लगभग साढ़े तीन महीने बाद डाक्टर नारंग की विधवा को नौकरी की पेशकश की गयी
3. NDMC के क़ानूनी सलाहकार मोहम्मद मोईन ख़ान की हत्या 16 मई को होती है और 20 मई को मुख्यमंत्री खुद उनके घर जाकर 1 करोड़ मुआवज़ा की घोषणा करते हैं| रुपये के अलावा ख़ान के बीवी को नौकरी, तीनों बच्चों की पढ़ाई का खर्चा और दिल्ली मे एक फ्लैट भी सरकार की तरफ से दिया जाता है
4. केजरीवाल पंजाब जाते हैं और वादा करते हैं उनकी सरकार बनी तो की पठानकोट के शहीदों को मुआवज़ा देंगे
उपर के घटनाक्रम से कोई भी देख सकता है की मुआवज़े की राशि देने मे किस तरह भेदभाव होता है और ये अंधे के रेवड़ी की तरह बाँटी जाती है|
इसको लेकर जब RTI से जवाब माँगा गया की मुआवज़ा देने की कोई नीति है या नही तो जवाब मिला की कोई दिशा-निर्देश नही है लेकिन ये सभी फ़ैसले मंत्रिपरिषद लेती है (सवाल न. ३ का जवाब देखें)| ये वहीं मंत्रिपरिषद है जो डेंगू रोकने के नाम पर बहाना बनती है की उसके पास पेन खरीदने का अधिकार नही है लेकिन हैदराबाद के वेमुला को देने के लिए नौकरी और ख़ान के परिवार को देने के लिए 1 करोड़ रुपया, फ्लैट, नौकरी सबकुछ है क्यूंकी इससे वोटबैंक पुख़्ता होता है| वोट लेने की बेशर्मी इस कदर हावी है की पंजाब के पठानकोट मे शहीदों के लिए मुआवज़े की बात होती है लेकिन हाल हीं मे उरी मे शहीद हुए 17 जवानों के लिए श्रधांजलि के दो बोल भी नही निकलते हैं|
नीचे देखिये RTI के अंतर्गत भेजा गया पत्र और उसका जबाब :
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