नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने छोटे शहरों के साधारण जन की हवाई यात्रा का सपना पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नागरिक उडड्यन मंत्री श्री पी.अशोक गजपति राजू ने आज नई दिल्ली में मंत्रालय की बहुप्रतीक्षित क्षेत्रीय कनेक्टविटी योजना “उड़ान” लॉन्च की। उड़ान क्षेत्रीय उड्डयन बाजार विकसित करने के लिए एक नवाचारी योजना है। यह बाजार आधारित व्यवस्था है जिसमें एयरलाइन्स सीटों की सब्सिडी के लिए बोली लगाएंगी। यह विश्व की अपने किस्म की पहली योजना है जो क्षेत्रीय हवाई मार्गों पर किफायती और आर्थिक रूप से व्यावहारिक उड़ाने प्रस्तुत करेंगी और इससे छोटे शहरों के साधारण व्यक्ति को किफायती दर पर हवाई सेवा की सुविधा मिलेगी।
इस अवसर पर श्री राजू ने आशा व्यक्त की कि योजना के अंतर्गत अगले वर्ष जनवरी में पहली उड़ान भरी जाएगी। उन्होंने बताया कि हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद योजना तैयार की गयी है। उन्होंने इस योजना को सफल बनाने की अपील की।
इस अवसर पर नागरिक उडड्यन राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य “उड़े देश का आम नागरिक” है। उन्होंने कहा कि यह योजना रियायत, कनेक्टविटी और विकास सुनिश्चित करती है। इसमें सभी हितधारकों का लाभ होगा। नागरिकों को रियायत, कनेक्टविटी और अधिक रोजगार मिलेंगे। केंद्र क्षेत्रीय वायु संपर्क और बाजार का विस्तार करने में सक्षम होगा। राज्य सरकारें दूर-दराज के क्षेत्रों का लाभ उठाएंगी। व्यापार बढेगा और वाणिज्य तथा पर्यटन का विकास होगा। सेवा प्रदान कर रही एयरलाइंसों के लिए नए मार्ग और अधिक यात्री मिलेंगे। यह योजना स्टार्ट-अप एयरलाइंस को नए कारोबार का अवसर प्रदान करेगी।
उड़ान योजना में सेवा रहित और क्षमता से कम सेवा वाले देश के हवाई अड्डों को वर्तमान हवाई पट्टियों तथा हवाई अड्डों का पुनर्रोद्धार कर कनेक्टविटी प्रदान करना है। यह योजना 10 वर्षों के लिए होगी।
उड़ान क्षेत्रीय कनेक्टविटी विकसित करने के लिए अनूठा बाजार आधारित मॉडल है। रूचि रखने वाली एयरलाइंस तथा हेलीकॉप्टर ऑपरेटर योजना लागू करने वाली एजेंसी को प्रस्ताव प्रस्तुत करके अभी तक संपर्क से नहीं जुड़े मार्गों पर संचालन शुरू कर सकते हैं। ऑपरेटर विभिन्न रियायतें प्राप्त करने के अतिरिक्त संभाव्यता अंतर राशि पूर्ति चाहेंगे। ऐसे सभी मार्ग प्रस्तावों को उल्टी बोली व्यवस्था के माध्यम से स्पर्धी बोली लगाने की पेशकश की जाएगी और मार्ग अधिकार उस ऑपरेटर को मिलेगा जिसकी बोली प्रति सीट न्यूनतम वीजीएफ की होगी। मूल प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले ऑपरेटर हो यदि उसकी मौलिक बोली सबसे कम बोली के 10 प्रतिशत के अंदर है तो उसे सबसे कम बोली को बराबर करने में इंकार का पहला अधिकार मिलेगा। सफल बोली लगाने वाले को तीन वर्ष की अवधि के लिए मार्ग संचालन का विशेष अधिकार प्राप्त होगा। तीन साल की अवधि के बाद यह समर्थन वापस ले लिया जाएगा क्योंकि तब तक मार्ग स्वयं में सक्षम हो जाएगा।
विमान सेवा में चयनित एयरलाइन ऑपरेटर को न्यूनतम 9 और अधिकतम 40 उडान सीटें सब्सिडी दरों पर देनी होंगी और हैलीकॉप्टर के लिए न्यूनतम 5 और अधिकतम 13 सीटें सब्सिडी दर पर देनी होंगी। ऐसे प्रत्येक मार्ग पर विमान सेवा की गति प्रतिसप्ताह न्यूनतम 3 और अधिकतम 7 प्रस्थान सेवा होगी। आर्थिक और विमान की उपयोग क्षमता को हासिल करने के लिए योजना के तहत मार्ग नेटवर्कों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
विमान से 500 किलोमीटर की एक घंटे की यात्रा तथा हैलीकॉप्टर से 30 मिनट की यात्रा के लिए किराये की सीमा 2,500 रूपये होगी।
इसे हासिल करने का जरिया होगा (1) केंद्र व राज्य सरकारों और एयरपोर्ट ऑपरेटरों से मिली रियायतों के रूप में एक वित्तीय प्रोत्साहन, और (2) ऐसे हवाई हड्डों से संचालन शुरू करने में दिलचस्पी रखने वाली विमान सेवाओं के लिए व्यवहार्यता अंतर राशि ताकि यात्री किरायों को सस्ता रखा जा सके।
• घटे हुए उत्पाद शुल्क, सेवा कर, नॉन-आरसीएस (उड़ान) सीटों के बदले एएसकेएम के लेने-देने की अनुमति और आरसीएस (उड़ान) हवाई अड्डों पर कोड साझा करने के लचीलेपन के रूप में केंद्र सरकार छूट प्रदान करेगी।
• राज्य सरकारों को एटीएफ पर मूल्य वर्धित कर यानी वैट 1 प्रतिशत या उससे भी करना होगा। इसके साथ ही उन्हें सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करवानी होंगी। उन्हें बिजली, पानी और अन्य सुविधाएं काफी रियायती दरों पर प्रदान करनी होंगी।
• रूट नैविगेशन के सुविधा शुल्क पर छूट के साथ हवाई अड्डा संचालक, लैंडिंग और पार्किंग प्रभार और टर्मिनल नैविगेशन लैंडिग प्रभार नहीं लागू करेंगे। इस योजना के अंतर्गत व्यवहार्यता अंतर राशि की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक क्षेत्रीय संपर्क कोष बनाया जाएगा। कुछ घरेलू उड़ानों पर प्रति प्रस्थान आरसीएफ कर लागू किया जाएगा।
भागीदार राज्य सरकारें (इनमें पूर्वोत्तर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल नहीं हैं जिनका योगदान 10 प्रतिशत होगा) इस कोष के लिए 20 प्रतिशत हिस्से का योगदान देंगी। संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए इस योजना के तहत आवंटन देश के पांच भौगोलिक क्षेत्रों में समान रूप किया जाएगा। वेक्षेत्रहैं- उत्तर, पश्चिम, दक्षिण, पूर्व और उत्तर-पूर्व।
इस योजना के अंतर्गत राज्यों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उड़ान योजना का संचालन जिन हवाई अड्डों से शुरू किया जाएगा उनका चयन राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श करके और उनकी रियायतों की पुष्टि के बाद ही किया जाएगा। यह याद किया जाए कि अधिकांश राज्यों की यह मांग लंबे समय से रही है कि बेकार हवाई अड्डों का पुनरुद्धार हो और गैर-सेवावालेहवाई अड्डों पर संचालन शुरू किया जाए और उड़ान योजना के जरिए मोटे तौर पर इसे संबोधित किया जाएगा।
देश के भीतरी प्रदेशों में पर्यटन और रोजगार निर्माण को प्रमुख गति देने का काम उड़ान करेगी। हैलीकॉप्टरों और छोटे विमानों को लाने के माध्यम से ऐसा लग रहा है कि काफी दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों और देश के अन्य क्षेत्रों में यात्रा में लगने वाला समय काफी घट जाएगा।
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