काले धन के खिलाफ सबसे बड़ी मुहिम चलाने से पहले सरकार के सामने इस चीज पर नजर रखने की चुनौती थी कि ब्लैक मनी जमा वाले इसे व्हाइट में तबदील न कर पांए। इस मुश्किल को हल किया भारत कि उस एजेंसी ने जो ऐसे हर ट्रांजेक्शन पर नजर रखती है। देश की 'फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट', ही वो ऐजेंसी है जो देश में ही नहीं, विदेशों से होने वाले काले धन के लेन देन का भी पूरा ब्यौरा रखती है।
2004 में बनाई की गई फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट का असली काम होता है देश की दूसरी एजेंसियों से तालमेल बनाकर ब्लैक मनी पर कड़ी नजर रखना। नोटबंदी के फैसले से पहले इसी यूनिट ने बैंकों पर नजर रखने के लिए एक बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। एजेंसी ने सबसे पहले 'फिनेक्स' (एफआईएनईएक्स) नाम के अपने सर्वर को अपग्रेड किया। सर्वर की कई बार डेटा टेस्टिंग की गई, जिसके बाद इसे देश के सभी बैंकों से जोड़ा गया ताकि हर एक लेन-देन पर नजर रखी जा सके।
देश का हर बैंक इस यूनिट और उसके सिस्टम से जुड़ा हुआ है और आपके खाते की हर एंट्री इस फिनेक्स में भी दर्ज होती है। यही कारण है कि नए नोट बदलने और बैंकों में रुपये जमा कराने की 50 दिन की मियाद खत्म होने के बाद, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के इसी सर्वर के सहारे सरकार उन लोगों पर शिकंजा कसेगी जिन्होंने अपने काले धन को सफेद किया है। 30 दिसंबर के बाद सरकार की जांच एजेंसियों के साथ, फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, फिनेक्स सर्वर में दर्ज आंकड़ों का आंकलन करेगी। इसके बाद इनकम टैक्स और काले धन के खिलाफ कार्रवाई करने वाली दूसरी एजेंसियां अपनी कार्रवाई शुरू करेंगी।
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