हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार, कालाधन, आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के उद्देश्य से पांच सौ व एक हजार रूपए के नोटों को वैध मुद्रा के रूप में चलन समाप्त करने का जो निर्णय लिया गया है वह ऐतिहासिक, साहसिक और राष्ट्रहित में लिया गया निर्णय है।
ऐसे फैसले वे ही लोग करते है जो राजनीति केवल सरकार बनाने के लिए नही करते बल्कि राजनीति समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए करते है।
स्वाभाविक रूप से इस फैसले के परिणामस्वरूप भ्रष्टाचारियों और आतंकवादियों के आर्थिक स्रोतों पर लगाम लगेगी तथा राजनीति एवं प्रशासनिक काम-काज में शुचिता बढ़ेगी।
इस फैसले से थोड़े समय के लिए जो कुछ भी कठिनाई अनुभव हो रही है इस हेतु सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ हर स्तर से प्रयत्नशील है। अतः शीघ्र ही स्थितियां सहज और सामान्य हो जाएगी।
परन्तु देश की जनता ने जिस तरीके से राष्ट्रहित में लिए गए इस फैसले का स्वागत किया है, सहयोग और संबल प्रदान किया है वह निश्चित रूप से अभिनंदनीय है।
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