पंजाब प्रदेश कांग्रेस इलैक्शन कमेटी की बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन पर विचार-विमर्श करने हेतु बुलाई गई बैठक में आज कई पार्टी नेताओं ने कांग्रेस के ‘अकालीकरण’ के खिलाफ आवाज बुलंद की।
कांग्रेस के 2 पूर्व अध्यक्षों प्रताप सिंह बाजवा व शमशेर सिंह दूलो (दोनों एम.पी.) ने कहा कि ए.आई.सी.सी. ने अपने जयपुर सैशन में एक प्रस्ताव पारित कर यह निर्धारित कर रखा है कि जो कोई भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होगा उसे 3 वर्ष के लिए कोई ओहदा नहीं दिया जाएगा लेकिन हाल ही में कई लोग अकाली दल से कांग्रेस में शामिल हुए हैं और उन्हें कोई न कोई ओहदा या टिकट देने का प्रयास किया गया है।
इस सिलसिले में हंसराज हंस, इंद्रबीर सिंह बुलारिया तथा सरवन सिंह फिल्लौर का जिक्र किया गया। उनका कहना था कि कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा यह भी देखने में आया है कि अन्य पाॢटयों से आने वाले नेता कांग्रेस में ज्यादा देर टिकते नहीं। इस संदर्भ में जोङ्क्षगद्र पाल जैन, अरविंद खन्ना तथा जीत महेंद्र सिंह सिद्धू की मिसाल दी गई।
चौधरी संतोख सिंह एम.पी. ने कहा कि उनके संसदीय हलके से एक व्यक्ति को कांग्रेस में उन्हें विश्वास में लिए बिना ही शामिल कर लिया गया है। कांग्रेस के एक अन्य पूर्व अध्यक्ष मोहिन्द्र सिंह के.पी. ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करवाई। ब्रह्म महिंद्रा, अश्विनी सेखड़ी तथा मनीष तिवाड़ी ने कहा कि पार्टी को हिंदू वोटों को कंसोलिडेट करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हिंदू समुदाय कांग्रेस पार्टी से टूट रहा है और उसका झुकाव भाजपा की ओर बढ़ रहा है।
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