वित्त मंत्रालय ने पीएसबी के सभी एमडी एवं सीईओ/सीएमडी, आईबीए के अध्यक्ष को एक पत्र के माध्यम से निर्देश दिया कि देश की सभी बैंक शाखाओं को पुराने एवं नए करेंसी नोटों में नकदी जमा को सही तरीके से प्रदर्शित करने के लिए सावधान कर दिया जाए और ग्राहकों को इसके बारे में सूचित किया जाए ; इस बारे में क्या कार्रवाई की गई, उसकी रिपोर्ट 16.12.2016 तक दी जाए
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने अपने वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों (पीएसबी) एवं भारतीय बैंकर एसोसिएशन (आईबीए) को कहा है कि वे इसे शत प्रतिशत (100 फीसदी) सुनिश्चित करें कि नई करेंसी की जमाएं ग्राहकों के प्रतिपन्नों (काउंटफ्वॉयल) में समुचित तरीके से प्रदर्शित हो। डीएफएस ने पीएसबी के सभी प्रबंध निदेशकों (एमडी) एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)/ अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी), आईबीए के अध्यक्ष को संबोधित एक पत्र में कहा है कि एसबीएन एवं नॉन-एसबीएन, जैसा भी मामला हो, से संबंधित रिकॉर्डों का बैंक रिकॉर्ड में एवं ग्राहकों के रिकॉर्ड दोनों में ही, रखरखाव अनिवार्य है। पत्र में यह भी कहा गया कि हालांकि अधिकांश बैंक ग्राहकों को सही जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं, फिर भी यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसा बिना किसी विफलता के शत प्रतिशत मामलों में हो, देश की सभी बैंक शाखाओं को सावधान कर दिया जाए कि वे पुराने एवं नए करेंसी नोटों में नकदी जमा को सही तरीके से प्रदर्शित करें और ग्राहकों को इसके बारे में सूचित करें।
मंत्रालय ने पीएसबी के सभी एमडी एवं सीईओ/सीएमडी, आईबीए के अध्यक्ष को कहा है कि इसका पालन निष्ठापूर्वक किया जाना चाहिए और इस बारे में किसी भी विचलन को रोका जाना चाहिए और अगर ऐसी बात सामने आती है तो इस पर तत्काल और दृढ़तापूर्वक कार्रवाई होनी चाहिए।
पत्र में आगे कहा गया है कि आम लोगों को शिक्षित बनाने के लिए बैंकों को अपनी संबंधित बैंक शाखाओं में प्रमुखता से एक चिह्न (स्थानीय भाषा समेत) प्रदर्शित करनी चाहिए और ग्राहकों से डिपोजिट स्लिप भरने और सुस्पष्ट तरीके से पुराने एवं नए करेंसी नोटों की जानकारी देने का आग्रह करना चाहिए।
डीएफएस ने पीएसबी के सभी एमडी एवं सीईओ/सीएमडी, आईबीए के अध्यक्ष को इस पर तत्काल विचार करने को कहा है और इस बारे में क्या कार्रवाई की गई, उसकी रिपोर्ट 16.12.2016 तक देने को कहा है।
मंत्रालय ने विमुद्रीकरण के बाद, विशेष रूप से, जब पुरानी करेंसी स्वीकार की जा रही थी और 24 नवंबर, 2016 तक, जब एक निर्दिष्ट सीमा तक पुरानी करेंसी के नोट बदलने की अनुमति दी गई थी, बैंकों द्वारा निभाई गई भूमिका की भी सराहना की।
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