विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक एवं अनुसंधान विभाग के राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) ने मलेरिया के उपचार के लिए आयुष-64 और मधुमेह के उपचार के लिए आयुष-82 नामक आयुर्वेदिक दवाओं को बाजार में उतारने के लिए मैसर्स डाबर इंडिया लिमिटेड के साथ एक लाइसेंस-समझौता किया है।
इन दोनों दवाओं को आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी) मंत्रालय की स्वायत्तशासी संस्था केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) ने विकसित किया है। उक्त लाइसेंस समझौते पर एनआरडीसी की तरफ से डॉ. एच. पुरुषोत्तम और डाबर इंडिया लिमिटेड की तरफ से वहां के स्वास्थ्य सुविधा अनुसंधान प्रमुख डॉ. जेएलएन शास्त्री ने हस्ताक्षर किए।
दोनों समझौतों पर हस्ताक्षर होने के समय विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के वैज्ञानिक (एफ) और एनआरडीसी बोर्ड के निदेशक श्री बी.एन. सरकार तथा एनआरडीसी और डाबर के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समझौतों का आदान-प्रदान आयुष राज्य मंत्री श्री श्रीपद यस्सो नायक और आयुष सचिव श्री अजित एम.शरण की उपस्थिति में हुआ। उल्लेखनीय है कि प्रौद्योगिकी लाइसेंस एजेंसी ने अब तक सीसीआरएएस द्वारा विकसित 10 प्रौद्योगिकियों का लाइसेंस भारत में 30 से अधिक कंपनियों को दिया है।
देश में महामारी के रूप में फैलने वाले मलेरिया के प्रभावशाली उपचार के लिए सीसीआरएस द्वारा विकसित आयुर्वेदिक दवा आयुष-64 बहुत कारगर है। उल्लेखनीय है कि प्राचीन समय से आयुर्वेद के वैद्य इसका विषम ज्वर के रूप में उल्लेख करते रहे हैं। यह दवा कई तरह की जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है और इसकी विस्तृत फार्माकॉलॉजिकल, टॉक्सिकॉलॉजिकल और क्लीनिकल जांच की गई है।
मधुमेह की दवा आयुष-82 को भी सीसीआरएएस ने विभिन्न जडि़यों के मिश्रण से तैयार किया है। ये दोनों दवाएं मलेरिया और मधुमेह के उपचार के लिए लाखों लोगों को सहायता देगी।
Labels:
#NRDC
,
दवा उद्योग
,
स्वास्थ