बाल श्रम संशोधन विधेयक के बारे में संगठनों की टिप्‍पणियां बेबुनियाद: श्रम मंत्रालय


बाल श्रम संशोधन विधेयक के बारे में कुछ संगठनों की टिप्‍पणियां बेबुनियाद हैं : श्रम मंत्रालय का दावा 


मूलभूत कानून में बच्‍चों को परिवार के उद्यमों में कार्य करने की अनुमति थी, इसकी संभावनाओं को अब बहुत हद तक सीमित किया गया

संशोधित विधेयक, मूलभूत कानून के विपरीत बच्‍चों के स्‍कूल जाने और शिक्षा प्राप्‍त करने के अधिकार को सुनिश्चित करने की मांग करता है

14-18वर्ष के किशोरों को भी अब संरक्षण मिलेगा, मूलभूत कानून में ऐसा नहीं था

संशोधन विधेयक बच्‍चों को काम पर रखने के मामले में ज्‍यादा प्रतिबंधात्‍मक और उल्‍लंघनों के दंड की दृष्टि से ज्‍यादा कठोर है


श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इस सप्‍ताह मंगलवार को संसद द्वारा पारित किए गए बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2016 के कुछ प्रावधानों के बारे में कुछ संगठनों की टिप्‍पणियों पर गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की है। मंत्रालय ने कहा है कि ऐसी टिप्‍पणियां निराधार हैं और मूलभूत बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) कानून 1986 और संशोधन विधेयक, 2016 के प्रावधानों और प्रभावों को बिना समझे की गयी हैं और गुमराह करने वाली हैं।          

मंत्रालय ने दावा किया है कि संशोधन विधेयक के बारे में गरीब बच्‍चों की स्‍कूली पढ़ाई और शिक्षा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने जैसी टिप्‍पणियों की गयी है, जबकि इसके विपरीत यह मूलभूत कानून के दोषपूर्ण प्रावधानों को सुधारते हुए 14 साल से कम आयु के बच्‍चों के शिक्षा के अधिकार के संरक्षण की मांग करता है। इसके  अलावा संशोधन विधेयक 2016 में पहली बार 14-18 साल की उम्र वाले किशारों के संरक्षण का भी प्रावधान किया गया है।

इस मामले में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का वक्‍तव्‍य निम्‍नलिखित है:-

‘‘इस सप्‍ताह संसद द्वारा पारित किए गए बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2016 के कुछ प्रावधानों के बारे में कुछ संगठनों द्वारा मी‍डिया में की गई टिप्‍पणियां सच्‍चाई से कोसों दूर हैं और मूलभूत बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) कानून 1986 और संशोधन विधेयक, 2016 के प्रावधानों और प्रभावों की अधूरी समझ पर आधारित हैं।

2. इन टिप्‍पणियों से यह आभास हो रहा है जैसे संशोधन विधेयक, 2016 ने ही पहली बार परिवार के उद्यमों में 14 साल के कम आयु के बच्‍चों को काम पर रखने की अनुमति दी है, और 1986 के मूलभूत कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था, इस प्रकार यह संशोधन विधेयक बच्‍चों की स्‍कूली पढ़ाई और शिक्षा पर प्रतिकूल असर डाल रहा है। जबकि वास्‍तविकता यह है कि 1986 के मूलभूत कानून की धारा (3) जहां एक ओर, केवल कुछ व्‍यवसायों में बच्‍चों के काम करने पर प्रतिबंध लगाती है, वहीं दूसरी ओर, इस बात का स्‍पष्‍ट प्रावधान करती है कि ‘इस धारा का कोई भी अंश ऐसी किसी कार्यशाला, या सरकार द्वारा स्‍थापित, अथवा सहायता प्राप्‍त या मान्‍यता प्राप्‍त किसी भी ऐसे स्‍कूल पर लागू नहीं होगा, जहां कोई भी प्रक्रिया पदाधिकारी (स्‍वामी) द्वारा अपने परिवार की सहायता से कार्यान्वित की जाएगी।’ इससे साबित होता है कि 1986 का मूलभूत कानून बच्‍चों को परिवार के सभी प्रकार के उद्यमों में बिना किसी रोक टोक काम पर लगाने अथवा शामिल करने की स्‍पष्‍ट रूप से अनुमति देता है। 

3. मूलभूत कानून में बच्‍चों को जोखिम भरे व्‍यवसायों सहित परिवार के उद्यमों में, यहां तक कि स्‍कूल के घंटों के दौरान काम पर लगाने अथवा शामिल करने पर रोक लगाने वाला कोई भी प्रावधान नहीं था। इसके विपरीत, जहां एक ओर 1986 के मूलभूत कानून की (धारा 7) 14 साल से कम आयु के बच्‍चों को शाम 7 बजे से सुबह 8 बजे तक काम पर नहीं लगाने का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख करती है, वहीं पारिवारिक उद्यमों और स्‍कूलों को इस प्रावधान को लागू करने से छूट प्रदान करती है। 1986 के मूलभूत कानून के प्रावधानों के साथ यह छूट, स्‍कूल के घंटों का उल्‍लेख किए बिना बच्‍चों को परिवार के उद्यमों में शामिल करने की व्‍यापक अनुमति प्रदान करती है, और इसमें बच्‍चों की स्‍कूली पढ़ाई, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को गंभीर रूप से प्रभावित करते हुए उन्‍हें परिवार के उद्यमों में चौबीसों घंटे कार्य करने की अनुमति प्रदान करने की क्षमता है।

4. इस विपरीत, संशोधन विधेयक, 2016 स्‍पष्‍ट रूप से 14 साल से कम आयु के बच्‍चों को काम पर रखे जाने पर समग्र और पूर्ण रूप से प्रति‍बंध लगाता है। हालांकि देश में मौजूद सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और विश्‍व के बहुत से हिस्‍सों में बच्‍चों द्वारा अपने परिवार के उद्यमों में सहायता करने की प्रचलित पद्धतियों पर गौर करते हुए, संशोधन विेधेयक इस बात का प्रावधान करता है कि बच्‍चे केवल गैर-जोखिमपूर्ण व्‍यवसायों में ही अपने परिवार की सहायता कर सकते हैं और वह भी केवल स्‍कूल की छुट्टी होने के बाद या छुट्टियों के समय, इस प्रकार यह विधेयक परिवार के उद्यमों में बच्‍चों को काम पर लगाए जाने को सीमित करता है। यह संशोधन विधेयक स्‍पष्‍ट रूप से बच्‍चों की स्‍कूली पढ़ाई को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के प्रावधानों के अनुरूप सुनिश्चित करता है। इसमें यह सुनिश्चित करने का पूरा ध्‍यान रखा गया है कि यह सहायता बच्‍चे की शिक्षा की कीमत पर न हो।

5. जहां एक ओर, मूलभूत कानून बच्‍चों को कुछ विशेष प्रकार के व्‍यवसायों में काम पर लगाने पर प्रतिबंध लगाता है, वहीं संशोधन विधेयक इन्‍हें सभी प्रकार के व्‍यवसायों में काम पर लगाने पर प्रति‍बंध लगाता है।

6.  शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने सहित 14 साल से कम आयु के बच्‍चों के हितों की रक्षा से आगे बढ़ते हुए, संशोधन विधेयक, 2016 में जोखिम भरे व्‍यवसायों में 14-18 साल की उम्र वाले किशारों को काम पर रखने पर प्रतिबंध लगाते हुए पहली बार उनके संरक्षण का प्रावधान किया गया है और केवल कुछ ही व्‍यवसायों में उन्‍हें शामिल करने की अनुमति दी जाएगी, जिन्‍हें यथा समय निर्दिष्‍ट किया जाएगा।

7. मूलभूत कानून के विपरीत, संशोधन विधेयक, 2016 को लागू करने के लिए बहुत कठोर प्रावधान किए गए हैं। बच्‍चों के अधिकारों के किसी भी तरह के उल्‍लंघन को संज्ञेय अपराध बनाया गया है, जिसके अंतर्गत उल्‍लंघन के आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है, जबकि मूलभूत कानून में इस तरह का उल्‍लंघन असंज्ञेय अपराध है, जिसके अंतर्गत आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए मेजिस्‍ट्रेट की अनुमति प्राप्‍त करना अनिवार्य है। संशोधित कानून के प्रावधानों को लागू करने का उत्‍तरदायित्‍व जिला कलेक्‍टरों को सौंपा गया है, जबकि मूलभूत कानून में इसे केवल निरीक्षकों पर छोड़ दिया गया है। नए कानून में कैद की अवधि और जुर्माने को दोगुना करते हुए कड़े दंड का प्रस्‍ताव किया गया है।

8.जोखिमपूर्ण व्‍यवसायों/प्रक्रियाओं की सूची के बारे में, यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि मूलभूत कानून में उल्लिखित 18 व्‍यवसाय और 65 प्रक्रियाएं जोखिमपूर्ण पद्धतियों की सूची नहीं है, बल्कि कुछ खास व्‍यवसायों/प्रक्रियाओं की केवल एक श्रेणी भर है, जिसमें बच्‍चों को काम रखना प्रति‍बंधित है। इसके विपरीत, संशोधन विधेयक, 14 साल से कम आयु के बच्‍चों के लिए प्रतिबंध की संभावनाओं समस्‍त व्‍यवसायों/प्रक्रियाओं तक का विस्‍तार करता है। किशोरों के संदर्भ में, संशोधन विधेयक जोखिमपूर्ण व्‍यवसायों/प्रक्रियाओं की 3 व्‍यापक श्रेणियों की सूची की ओर इंगित करता है, जिनका यथासमय विस्‍तार/प्रसार किया जाएगा।

9. जहां एक ओर मूलभूत कानून में प्रतिबंधित रोजगार से मुक्‍त कराए गए बच्‍चों के पुनर्वास के लिए कोई प्रावधान नहीं था, वहीं संशोधित विधेयक विशेष तौर पर बच्‍चों और किशोरों के लाभ के लिए पुनर्वास कोष का प्रावधान करता है। इस कोष को भेजी गयी रकम में उल्‍लंघन करने वालों से वसूला गया जुर्माना और 15000/ रुपये प्रति बालक और किशोर, राज्‍यों का योगदान शामिल होगा और इसका उपयोग शिक्षा सहित उनके कल्‍याण के लिए उपयोग में लाया जाएगा।

10. इस प्रकार संशोधन विधेयक, 2016 के प्रावधान 14 साल से कम आयु के बच्‍चों और 14-18 वर्ष की आयु वाले किशारों के ‘शिक्षा का अधिकार’ सहित हितों की रक्षा हेतु ज्‍यादा केंद्रित, सख्‍त और कठोर बनाए गए हैं। ऐसी टिप्‍पणियां 1986 के मूलभूत कानून और संशोधन विधेयक, 2016 के प्रावधानों और प्रभावों को पूरी तरह समझे बिना की गयी हैं, ऐसी टिप्‍पणियां जनता को गुमराह कर सकती हैं और इन्‍हें नजरंदाज किए जाने की जरूरत है।

मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पढ़िए कहाँ नियुक्तियों को मंजूरी दी


1. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के शुल्क आयोग की सदस्य सचिव श्रीमती स्मिता चुघ, आईएएस (झारखंड : 80) के उक्त पद को सचिव के पद के समकक्ष उन्नत करके उनकी नियुक्ति उसी पद पर किये जाने को मंजूरी दी है। 

2. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव श्री भानु प्रताप शर्मा, आईएएस (बिहार : 81) की नियुक्ति कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव के पद पर किये जाने को मंजूरी दी है। वे श्री संजय कोठारी का स्थान लेंगे, जो सेवानिवृत्त हो गये हैं। 3. इस समय अपने संवर्ग में मौजूद श्री राकेश श्रीवास्तव, आईएएस (राजस्थान : 81) को श्री ए.के. मंगोत्रा के स्थान पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। 

4. जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संवर्धन मंत्रालय के विशेष सचिव श्री अमरजीत सिंह, आईएएस (गुजरात : 82) को तुरंत प्रभाव से इसी मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर नियुक्त किया गया है। वे इसी मंत्रालय के वर्तमान सचिव श्री शशि शेखर के सेवानिवृत्त होने पर सचिव का पदभार संभालेंगे। 

5. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के विशेष सचिव श्री दिनेश सिंह, आईएएस (उत्तर प्रदेश : 82) को तुरंत प्रभाव से ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विकास विभाग में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर नियुक्त किया गया है। वे मंत्रालय के इसी विभाग के वर्तमान सचिव श्री वी. एस. मदान के सेवानिवृत्त होने पर सचिव का पदभार संभालेंगे। 

6. कोयला मंत्रालय के विशेष सचिव डॉ. अमरेन्द्र कुमार दुबे, आईएएस (केरल : 82) को तुरंत प्रभाव से युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय के युवा मामलों के विभाग में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर नियुक्त किया गया है। वे मंत्रालय के इसी विभाग के वर्तमान सचिव श्री राजीव गुप्ता के सेवानिवृत्त होने पर सचिव का पदभार संभालेंगे। 

7. इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सचिव श्रीमती अरुणा शर्मा, आईएएस (मध्य प्रदेश : 82) को इस्पात मंत्रालय में सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। वे श्रीमती अरुणा सुंदरराजन का स्थान लेंगी, जिन्हें इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। 

8. इस समय अपने संवर्ग में मौजूद श्रीमती लता कृष्णा राव, आईएएस (कर्नाटक : 82) को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। श्रीमती अनिता अग्निहोत्री के सेवानिवृत्त होने पर इस पद पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी गई है। 

9. इस्पात मंत्रालय की सचिव श्रीमती अरुणा सुंदरराजन, आईएएस (केरल : 82) को इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। इस मंत्रालय की वर्तमान सचिव श्रीमती अरुणा शर्मा को इस्पात मंत्रालय का सचिव बनाया गया है। 

10. नागरिक उड्डयन मंत्रालय की नागरिक उड्डयन महानिदेशक श्रीमती एम. सत्यवती, आईएएस (एजीएमयूटी : 82) को तुरंत प्रभाव से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर नियुक्त किया गया है। वे मंत्रालय के वर्तमान सचिव श्री शंकर अग्रवाल के सेवानिवृत्त होने पर सचिव का पदभार संभालेंगी। 

11. लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी, मसूरी के निदेशक श्री राजीव कपूर, आईएएस (उत्तर प्रदेश : 83) के उक्त पद को सचिव के पद के समकक्ष उन्नत करके उनकी नियुक्ति उसी पद पर किये जाने को मंजूरी दी है। 

12. ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव श्री अमरजीत सिन्हा, आईएएस (बिहार : 83) को श्री जे. के. महापात्रा के सेवानिवृत्त होने पर इसी मंत्रालय के सचिव के पद पर नियुक्ति को मंजूरी दी गई है। 

13. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर सचिव श्री सी. के. मिश्रा, आईएएस (बिहार : 83) को इसी मंत्रालय के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। पहले इस पद पर श्री बी. पी. शर्मा काम कर रहे थे, जिनकी नियुक्ति कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव के पद पर की गई है। 

14. गृह मंत्रालय के अपर सचिव श्री बी. के. प्रसाद, आईएएस (तमिलनाडु : 83) को श्री एच. के. दाश के स्थान पर 2 वर्षों की अवधि के लिए राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू आयोग के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। 

15. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर सचिव श्री एन. एस. कांग, आईएएस (पंजाब : 83) को राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के सचिव एवं महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अपर सचिव एवं महानिदेशक के पद को सचिव स्तर तक उन्नत करके की गई है। 

हिंदी के प्रयोग से बढ़ता है देश का सम्मान : जुएल ओराम


जनजातीय कार्य मंत्रालय की राजभाषा सलाहकार समि‍ति‍ की बैठक 

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने कहा है कि‍ हिंदी के प्रयोग से हमारा ही नहीं बल्‍कि‍ देश का भी सम्मान बढ़ता है। हिंदी तो प्रेम की भाषा है, मिलाप की भाषा है और हमें हिंदी के साथ—साथ अन्य आदिवासी भाषाओं के साथ भी संवाद करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह बात कल नई दि‍ल्‍ली में आयोजित केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की राजभाषा सलाहकार समिति की बैठक में कही। उन्‍होंने राजभाषा में काम के नि‍यमि‍त नि‍रीक्षण और कार्यान्‍वयन समि‍ति‍ की नि‍यमि‍त बैठक आयोजि‍त करने पर जोर दि‍या ताकि‍ राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ाया जा सके। श्री ओराम ने कहा कि‍ आम लोगों के साथ संवाद में हिंदी और अन्‍य क्षेत्रीय भाषाओं के अधि‍कतम प्रयोग से हम मंत्रालय की गति‍वि‍धि‍यों की जानकारी और सुगमता से उन तक पहुँचा सकेंगे। मंत्री महोदय ने यह भी सुझाव दि‍या कि‍ यदि‍ हिंदी के प्रयोग से संबंधि‍त रि‍क्‍त पदों को नि‍यमि‍त आधार पर तुरंत भरना संभव न हो तो संवि‍दा आधार पर कार्मि‍क रखे जाने पर वि‍चार कि‍या जाए।

समिति की बैठक में सदस्य एवं पत्रकार योगेश भारद्वाज ने कहा की सरकार के अधिकारी यदि फाइलों पर टि‍प्‍पणी लि‍खते समय हिंदी का प्रयोग करें तो इससे मंत्रालय के निर्णय को समझने में आसानी होगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि‍ इस समिति की बैठक यदि‍ जनजातीय क्षेत्रों में आयोजित हो तो इससे आदिवासी भाषाओं को भी समझने में आसानी होगी। मंत्री महोदय ने यह आश्‍वासन भी दि‍या कि‍ आगे से  समिति की बैठक साल में कम से कम दो बार अवश्‍य आयोजि‍त होगी। एक अन्‍य सदस्‍य रीता दुबे के इस सुझाव पर की मंत्रालय हिंदी पर गोष्‍ठि‍यां आयोजि‍त करे, मंत्री महोदय ने अपनी सहमती व्यक्त की। एक सदस्‍य का सुझाव था कि‍ मंत्रालय में हिंदी की पुस्‍तकों की खरीद का प्रति‍शत बढ़ाया जाए। एक अन्‍य सदस्‍य ने मंत्रालय से हिंदी में एक पत्रि‍का नि‍कालने का सुझाव दि‍या। बैठक में मौजूद अन्‍य सदस्‍यों राजीव गुप्ता, अरुण जैमिनी, सिंकदर यादव, हरीश कुमार मलि‍क और हरेश कुमार टॉक आदि ने भी अपने महत्‍वपूर्ण सुझाव दिए।

बैठक में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्री जसवंत सिंह भाभोर और सचिव डॉ श्‍याम अग्रवाल समेत कई वरि‍ष्‍ठ अधि‍कारी मौजूद थे।

गांधी हत्या के पीछे लॉर्ड माउंटबॅटन आैर नेहरू : डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी


मॉनसून सत्र में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने महात्मा गांधी की हत्या का मामला उठाते हुए कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। तत्कालीन नेहरू सरकार पर निशाना साधते हुए स्वामी ने गांधी की हत्या को लेकर कांग्रेस से तीन प्रश्न पूछे। उन्होंने गांधी के पोस्टमॉर्टम की कोई जानकारी नहीं होने को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि, गांधी को आरएसएस ने नहीं अंग्रेजों ने मारा था।

स्वामी ने राज्यसभा में गांधी जी की हत्या का मुद्दा उठाते हुए तीन सवाल किए। स्वामी ने पूछा कि, ‘गांधी जी पर कितनी गोलियां दागी गर्इ, इसके बारे में किसी को कुछ पता है ? उनके पार्थि‍व शरीर का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं हुआ, इसकी जानकारी नहीं है ? और जब गोली लगी थी तो गांधी जी को अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया और फिर बिरला हाउस में क्यों लिटाया गया ?’

स्वामी ने आगे कहा कि, वह 15 अगस्त के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और महात्मा गांधी की हत्या पर तथ्य सामने रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘जब काँग्रेस सरकार थी, तब हमने राष्ट्रपति को भी लिखा था। हमने कहा था कि, गांधी को ब्रिटिश लोगों ने मारा था। उन्होंने कहा कि, कुछ ऐसी जानकारियां है कि माउंटबेटन और जवाहर लाल नेहरू दोनों का यह षड्यंत्र था।

स्वामी ने आगे कहा कि, उन्होंने नेशनल आर्काइव से गांधी जी के बारे में जानकारी ली है, जिसके बाद ही ये प्रश्न उठे हैं। उन्होंने कहा कि, ‘हमारे पास सरदार पटेल की एक चिट्टी है, जिसमें पटेल ने जवाहर लाल नेहरू को लिखा था कि गांधी की हत्या में अारएसएस का कोई हाथ नहीं है’।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अपना 10 वां स्थापना दिवस समारोह मनाया


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आज अपनी स्थापना की 10 वीं वर्षगांठ के अवसर पर समारोह का आयोजन किया गया। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज नई दिल्ली, के विज्ञान भवन में आयोजित स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर अगले 15 वर्षों के लिए (2030 तक) विजन और रणनीति दस्तावेज़ जारी किया। 

डॉ हर्षवर्धन ने मंत्रालय की उत्कृष्ट उपलब्धियों और वैज्ञानिकों की उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए सराहना की, क्योंकि उनके कार्य का आम आदमी के जीवन में कई तरह से प्रभाव पड़ता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री, श्री वाई.एस. चौधरी ने अपने संबोधन में मंत्रालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए मंत्रालय और वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी। इसरो के अध्यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार ने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। 

मौसम विज्ञान, महासागर विकास और परिचालन भूकम्प विज्ञान संबंधी गतिविधियों को एक छत के नीचे लाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वर्ष 2006 में स्थापना की गई थी। इस प्रयास का एकमात्र उद्देश्य मौसम, जलवायु और विभिन्न प्राकृतिक खतरों के पूर्वानुमान में सुधार के लिए पृथ्वी प्रणाली की प्रक्रियाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं का समग्र रूप से समाधान करना था। यह मंत्रालय समाज के सामाजिक-आर्थिक हितों के लिए सतत रूप से समुद्रीय संसाधनों का अन्वेषण और दोहन करने की दिशा में प्रौद्योगिकी के विकास के लिए परस्पर रूप से जिम्मेदार है। मंत्रालय का मिशन मौसम, प्राकृतिक खतरों, जलवायु, महासागर और तटीय स्थिति, भूकम्प विज्ञान के लिए सेवाएं उपलब्ध कराना और समुद्रीय जीवन और निर्जीव संसाधनों तथा ध्रुवीय क्षेत्रों का अन्वेषण करना है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंप संबंधी सेवाओं की गुणवत्ता में वायुमंडलीय, तटीय और महासागरीय अवलोकनों, सर्वेक्षणों, भूभौतिकीय अवलोकनों, ध्रुवीय अनुसंधान, पर्याप्त मॉडलिंग रणनीति का विकास, अत्याधुनिक अनुसंधान के आयोजन और मानव संसाधन विकास में निवेश के क्षेत्र में हुए क्रमबद्ध प्रयासों के कारण सुधार हुआ है। देश को उच्च गुणवत्ता की सेवाओं और आर्थिक और सामाजिक हितों में योगदान करने में समर्थ बनाकर विश्व नेता बनाने की दिशा में इन पहलों को और तेज करने की काफी गुंजाइश है। इस अवसर पर उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, युवा वैज्ञानिकों और स्कूली के बच्चों को योग्यता प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।

मोदी सरकार का स्वदेश दर्शन और प्रसाद में 2333 करोड़ रुपए का निवेश


स्वदेश दर्शन और प्रसाद के तहत परियोजनाओं के लिए पिछले 18 महीनों में 2333 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत 

पर्यटन मंत्रालय ने पिछले 18 महीनों में, पर्यटन मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं- स्वदेश दर्शन और प्रसाद के तहत 2333 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं में पर्यटक सुविधा केंद्रों, सड़क के किनारे सुविधाएं, पार्किंग, सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण, रोशनी व्यवस्था, ध्वनि और प्रकाश शो और थीम पार्कों सहित पर्यटक सुविधाओं पर विशेष ध्यान देते हुए पर्यटक स्थलों के विश्व स्तरीय ढांचागत विकास की परिकल्पना की गई है। 

राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी, इन योजनाओं का संचालन के लिए शीर्ष समिति) की संस्कृति एवं पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में कल एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजनाओं के मिशन निदेशकों द्वारा स्थिति की जानकारी दी गई। डॉ. शर्मा ने उचित समन्वय और देश में बुनियादी ढांचे के उचित विकास के लिए केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ योजनाओं के कन्वर्जेंस की जरूरत पर जोर दिया।

इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन सचिव श्री विनोद जुत्शी ने विभिन्न सर्किटों के तहत पहचान किए गए स्थलों के साथ उचित रेल, सड़क और वायुयान संपर्क की जरूरत पर बल दिया। 

अमरावती, कामाख्या मंदिर, पटना साहिब, पटना, विष्णुपद गया, श्री जगन्नाथ पुरी, अमृतसर, अजमेर-पुष्कर, वाराणसी, मथुरा-वृंदावन, केदारनाथ धाम उत्तराखंड में 11 परियोजनाओं के लिए अभी तक प्रसाद योजना के तहत 284.53 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। इन परियोजनाओं में वाराणसी नदी क्रूज और द्वारका के लिए 36.96 करोड़ रुपए लागत की दो परियोजनाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा वाराणसी के घाटों पर लेजर शो और कांचीपुरम तथा वेल्लनकन्नी की परियोजनाएं मंत्रालय के विचाराधीन हैं।. 

बौद्ध सर्किट, पारिस्थितिकी पर्यटन सर्किट, वन्य जीवन, हिमालय, आध्यात्मिक, पूर्वोत्तर भारत, आदिवासी, कृष्ण, ग्रामीण, तटीय, विरासत, रेगिस्तान, रामायण सर्किटों की पहचान की गई है ताकि ऐसे स्थानों को देखने में विशेष दिलचस्पी रखने वाले देसी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके। स्वदेश दर्शन पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की एक मिशन मोड परियोजना है। जनवरी 2015 से आज की तारीख तक 25 परियोजनाओं के लिए 2048 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। इन परियोजनाओं में उत्तराखंड, तेलंगाना और केरल राज्यों में पारिस्थितिकी पर्यटन सर्किट, नगालैंड, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, में जनजातीय सर्किट, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पुड्डुचेरी, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गोवा में तटीय सर्किट, बिहार और मध्य प्रदेश में बौद्ध सर्किट, जम्मू-कश्मीर में हिमालय सर्किट, राजस्थान में रेगिस्तान सर्किट, मध्य प्रदेश और असम में वन्य जीवन सर्किट, अरुणाचल, सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा में पूर्वोत्तर भारत सर्किट स्वदेश दर्शन के तहत शामिल हैं।

पांच पैन इंडिया मेगा सर्किटों की भी पहचान की गई है, जिनके नाम रामायण-कृष्ण बौद्ध मेगा सर्किट, हिमालय एवं साहसिक, विश्व धरोहर, तटीय और वन्य जीवन सर्किट की स्वदेश दर्शन के तहत विकास के लिए पहचान की गई है ताकि भारत का बौद्ध भूमि तथा आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन के गंतव्य के रूप में उचित प्रदर्शन किया जा सके।

अब्‍दुल कलाम राष्‍ट्रीय स्‍मारक की आधारशिला रखी गई


तमिलनाडु के रामेश्‍वरम में स्थित पीकारम्‍भु में पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्‍दुल कलाम राष्‍ट्रीय स्‍मारक की आधारशिला रखी गई। केन्‍द्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर और केन्‍द्रीय शहरी विकास और सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री एम वेंकैया नायडू ने संयुक्‍त रूप से इस राष्‍ट्रीय स्‍मारक की आधारशीला रखी। दोनों केन्‍द्रीय मंत्रियों ने पूर्व राष्‍ट्रपति की पहली पुण्‍य तिथि के अवसर पर उन्‍हें श्रद्ध सुमन अर्पित किए। साथ ही मंत्रियों ने डॉ. कलाम की प्रतिमा का अनावरण भी किया। 

इस आधारशिला समारोह में सड़क परिवहन, राजमार्ग और शिपिंग राज्‍य मंत्री श्री पी. राधाकृष्‍णन, रक्षा राज्‍य मंत्री डॉ. सुभाष रामाराव भामरे, तमिलनाडु सरकार में श्रम मंत्री डॉ. नीलोफर कफील, तमिलनाडु के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. एम मनिकंदन तथा रामनाथपुरम के सांसद श्री अनवहार राजहा भी उपस्थित थे। इस समारोह के दौरान डॉ. कलाम के जीवन पर एक विशेष प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया गया। 

शेयरों से प्राप्‍त राशि के निर्धारण के लिए मसौदा नियम तैयार हुए

शेयरों के संदर्भ में कंपनी को प्राप्‍त राशि के निर्धारण का तरीका तय करने के लिए मसौदा नियम तैयार किये गये (आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115 क्‍यूए) 

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115 क्‍यूए के तहत कंपनी द्वारा गैर सूचीबद्ध शेयरों के बायबैक (वापस खरीदना) से जुड़ी वितरित आय पर 20 फीसदी की दर से अतिरिक्‍त आयकर लगाया जाता है। 

वित्‍त अधिनियम, 2016 में 1 जून, 2016 से ‘वितरित आय’ की परिभाषा को संशोधित किया गया है, जिसका मतलब यह है कि शेयरों के बायबैक के लिए कंपनी द्वारा अदा की जाने वाली राशि को उस रकम में से घटा दिया जाएगा, जो कंपनी को इन शेयरों को जारी करने के दौरान प्राप्‍त हुई थी। इसका निर्धारण तय किये गये तरीके से किया जा सकता है।

इस संबंध में कंपनी को विभिन्‍न परिस्थितियों में अपने शेयरों के उपयोग से प्राप्‍त होने वाली धनराशि के निर्धारण के लिए मसौदा नियम तैयार कर लिये गये हैं और उन्‍हें वित्‍त मंत्रालय की वेबसाइट (www.finmin.nic.in)  और आयकर विभाग की वेबसाइट (www.incometaxindia.gov.in)  पर अपलोड कर दिया गया है, ताकि हितधारकों एवं आम जनता की टिप्‍पणियां प्राप्‍त हो सकें।    

मसौदा नियमों पर टिप्‍पणियों एवं सुझावों को 31 जुलाई, 2016 तक इलेक्‍ट्रॉनिक ढंग से ईमेल पता  ustpl1@nic.in पर भेजा जा सकता है।

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री का आत्मीय भाषण



उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव, 

राष्ट्रपति जी के कार्यकाल का आज चार वर्ष पूर्ण होने पर मैं आदर्णीय राष्ट्रपति जी को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अभिनन्दन करता हूं, शुभकामनाएं देता हूं। आपके चार साल के कार्यकाल में अधिक समय मुझे आपके साथ प्रधानरूपमंत्री के रूप में कार्य करने सौभाग्य मिला। मैं दिल्ली की दुनिया में नया था। ये सारा माहौल मेरे लिये नया था। ऐसे समय राष्ट्रपति जी ने एक Guardian की तरह एक Mentor की तरह बहुत से विषयों पर मुझे उंगली पकड़ कर चलाया। ऐसा सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है, जो मुझे मिला है। 

आज यहां कई ग्रंथों का लोकार्पण हुआ है। मैं किताब नहीं कह रहा हूं ग्रंथ कह रहा हूं। मैं ग्रंथ इसलिए कह रहा हूं कि इनमें वो चीजें समाहित हैं, जो कल्पना के दायरे से नहीं इतिहास के झरोखे से निकली हुई है। और जो चीजें इतिहास के झरोखे से निकलती है। वे आने वाले पीढ़ियों के मन-मंदिर में एक अमिट छाया छोड़कर के जाती है। और उस अर्थ में ये जो प्रकाशन है, वो प्रकाशन इतिहास का हिस्सा बनने जा रहा है। मैं इस कार्य के लिए राष्ट्रपति जी को और उनकी पूरी Team को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 

अभी Museum देखने का सौभाग्य मिला। श्रीमान घोष का इतना उत्साह था कि अगर ओमिता ने रोका न होता तो शायद हम रात को ग्यारह बजे यहां आते। और आपमें से जिसको भी इस Museum को देखने का समय मिले। मैं आग्रह करूंगा पूरा दिन निकालकर के आइए, इतनी बारीकियां हैं। इतनी विविधता है। और इतिहास को पुनर्जीवित करने का एक अद्भुत प्रयास है। ये ऐसा Museum है, जहां इतिहास, कला, कल्पना शक्ति और Technology ये चारों का मिलन है और इसलिए जो भी इससे जुड़ेगा। वो इन चारों के माध्यम से इतिहास को जी सकता है। सिर्फ इतिहास को जान सकता है, ऐसा नहीं, वो कुछ पल के लिए इतिहास को जी सकता है। और इस अर्थ में मैं समझता हूं की जिस वैज्ञानिक तरीके से, जिस Research के साथ और जो कलात्मक रूप से उसका Presentation किया है, उसके लिए श्रीमान घोष और उनकी पूरी Team को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और उनका अभिनन्दन करता हूं। 

राष्ट्रपति जी ने भारत के जीवन में तो बहुत बड़ा योगदान दिया है। एक लंबा कार्यकाल रहा है उनका सार्वजनिक जीवन का। लेकिन चार साल की अल्पावधि में आपने राष्ट्रपति भवन को भी बहुत कुछ दिया है। एक प्रकार से राष्ट्रपति भवन सामान्य मानव, को इतिहास को और भारत के सर्वोच्च स्थान को एक प्रकार से उन्होंने मिलन बिन्दू बनाया है। और ये हमने आपमें आपका बहुत बड़ा योगदान इस परिसर के संदर्भ में मैं देखता हूं। और सबसे बड़ी खुशी की बात यह है, मेरा राजनीतिक Background अलग है। राष्ट्रपति जी का राजनीतिक Background अलग है। लेकिन लोकतंत्र में भिन्न विचार प्रभावों से पले बड़े व्यक्ति भी किस प्रकार से कंधे से कंधा मिलाकर के काम कर सकते हैं। ये राष्ट्रपति जी के पास रह कर के हर पल हम अनुभव कर सकते हैं। 

भारत सरकार की जितनी योजनाएं हैं। कई राज्य ऐसे होंगे, जिनको शायद भारत सरकार की कुछ योजनाएं लागू करने में या लागू किये तो, बोलने में थोड़ा झिझक रहती होगी। मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि भारत सरकार की जितनी योजनाएं, ये राष्ट्रपति भवन परिसर..ये भी एक छोटा सा गांव है। दस हाजर से ज्यादा लोग यहां रहते हैं। इस गांव के रूप में उन सारी योजनाओं को यहां लागू करने का प्रयास हुआ है। चाहे Renewable Energy की बात हो। Water conversation की बात हो। Environment related initiatives हों। हर चीज को Digital India तो यहां Digital राष्ट्रपति भवन। एक प्रकार से भारत सरकार की सारी योजनाओं को miniature रूप में यहां पर लागू करने का भरपूर प्रयास राष्ट्रपति जी ने किया है। किसी ओर व्यक्ति की दल की सरकार हो, उसके बावजूद भी उस सरकार के कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन के भी कार्यक्रम बनने चाहिए। ये ऊंचाई आदर्णीय प्रणव दा ही दिखा सकते हैं। और इसलिए मैं उनका हृदय से वंदन करता हूं। अभिनन्दन करता हूं। 

मुझे विश्वास है और इतिहास जीवन को एक जड़ी बूटी के रूप में काम आता है। जो इतिहास को भूल जाते हैं। वो एक प्रकार से जीवन के रस कस को खो देते हैं। मंदिर में जो मूर्तियां होती हैं। पत्थर से ही अलंकृत होती हैं। लेकिन सालों साल अनेक लोगों की भक्ति से वो भगवान का रूप धारण कर लेती है। ऐतिहासिक स्थानों के हर पत्थर उस पत्थर का भी अपना एक इतिहास होता है। हर पत्थर चीख – चीख कर के बीते हुए कल की बात बता करके आने वाले कल के लिए रास्ता दिखाने की ताकत रखता है। लेकिन आवश्यकता होती है। उस पत्थर को भी सुनने के लिए सामर्थ पैदा करने की। इस Museum के द्वारा पत्थर को बोलने की ताकत दी गई है। हम उसे सुनने की ताकत लें। और नई आने वाली पीढ़ी को कुछ पाने देने के लिए एक नया सार्थ प्राप्त करें। 

मैं फिर एक बार इस प्रयास के लिए सबका अभिनन्दन करता हूं। आदर्णीय राष्ट्रपति जी का फिर से एक बार चार वर्ष पूर्ण हो कर के अगले वर्ष के लिए हम सबको बहुत ही उत्तम मार्गदर्शन मिले। इसके लिए अपेक्षा करते हुए प्रेरणा के लिए आभार व्यक्त करते हुए आप सबका बहुत – बहुत धन्यवाद। 

भारत और जापान के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता अक्‍टूबर से होगा प्रभावी


भारत और जापान के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता 1 अक्‍टूबर 2016 से प्रभावी होगा। इस अतिरिक्‍त सामाजिक सुरक्षा समझौता के प्रभावी हाने के साथ ही सामाजिक सुरक्षा समझौतों की संख्‍या 16 हो जाएगी। विदेश मंत्रालय के साथ कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ), जो कि सामाजिक सुरक्षा समझौतों के लिए बातचीत और समापन का सक्षम प्राधिकरण भी है, ने समझौते को प्रभाव में लाने के लिए औपचारिकताएं पूरी कर ली है। भारत और जापान के बीच 16 नवंबर, 2012 को टोकियो में सामाजिक सुरक्षा समझौता हुआ था। 

अन्‍य देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता, विदेशों में काम कर रहे भारतीय पेशवरों और कुशल श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए किया जाता है। भारत सरकार ने अब तक 19 देशों से सामाजिक सुरक्षा समझौता किया है जिसमें 15 देशों के साथ यह प्रभाव में है। 

1 अक्‍टूबर, 2016 से भारत और जापान के बीच व्‍यापक सामाजिक सुरक्षा समझौता के प्रभाव में आने के साथ ही मुनाफे पर इसका सकारात्‍मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, लागत कम होने से विदेशों में कारोबार करने वाली भारतीय और जापानी कंपनियों की प्रतिस्‍पर्धात्‍मक स्थिति भी बदलेगी। इस समझौते से भारत में काम कर रहे जापानी और जापान में काम कर रहे भारतीय लोगों को लाभ होगा। यह समझौता जापानी कंपनियों को भारत को निर्माण में निवेश स्‍थल के रूप में विचार करने हेतु भी मदद करेगा। इसके अलावा, 27-28 जुलाई, 2016 को हैदाराबाद में ब्रिक्‍स सेकेन्‍ड इम्‍पलॉयमेंट वर्किंग ग्रुप की बैठक होगी। इस मंच की योजना ब्रिक्‍स के सदस्‍य देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता प्रवेश कराने हेतु आवश्‍यक कदम उठाने के लिए एक संकल्‍प पास करने के लिए प्रोत्‍साहित करना है क्‍योंकि ब्रिक्‍स देशों ने अन्‍य देशों से व्‍यक्तिगत रूप से सामाजिक सुरक्षा समझौता पहले से कर रखा है। ब्रिक्‍स देशों के बीच कुछ सालों में व्‍यापार संबंध बढ़ा है और इन देशों के महत्‍वपूर्ण उद्योग और प्रतिष्‍ठान निवेश कर रहे हैं। 

सरकार ने एक रूपये में #LED बल्ब बेच रही वेबसाइटो से सावधान रहने को कहा


एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने उपभोक्ताओं को वैसे नकली वेबसाइटों, जो उजाला कार्यक्रम के तहत 9 वाट के एलईडी बल्ब की बिक्री कर रहे हैं, से सतर्क रहने को कहा है। ये वेबसाइटें ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाले ईईएसएल कंपनी के उजाला कार्यक्रम के साथ संबद्ध नहीं हैं।

दो वेबसाइटें:

www.philips-led-at-10rs.in और 
pbs.twimg.com/media/CoGI9txWIAAybuk.jpg 

एक रूपये में एलईडी बल्ब उपलब्ध कराने की बात कर उपभोक्ताओं को दिग्भ्रमित कर रही है। ये कंपनियां न सिर्फ उजाला का लोगो इस्तेमाल कर रही हैं बल्कि उपभोक्ताओं को धोखा देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर का भी इस्तेमाल कर रही हैं। ईईएसएल का ऐसे वेबसाइटों से कोई संबंध नहीं है और इनपर उपलब्ध लिंक-यूआरएल से भी किसी तरह के संबंध से भी पूरी तरह इंकार करती है। ईईएसएल या प्रधानमंत्री कार्यालय इस तरह के विज्ञापनों की सामग्री को समर्थन नहीं करता है और ऐसे वेबसाइट ईईएसएल और प्रधानमंत्री कार्यालय को बदनाम करने का एक प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा ईईएसएल ने ऐसे धोखाधड़ी करने वाले साइटों के बारे में पुलिस को सूचित कर दिया है और साथ ही इनको सार्वजनिक कर प्राथमिकी दर्ज करने को भी कह रही है।

ईईएसएल के प्रबंध निदेशक श्री सौरभ कुमार के अनुसार, "हमारी टीम संगठन द्वारा बनाये गये कड़े प्रक्रियाओं के आधार पर उस दिशा में काम कर रही है। हम ऐसे सभी कदाचारों पर नजर रखे हुए हैं जो हमारे उपभोक्ताओं और उत्पादों की गुणवत्ता प्रदान करने के ईईएसएल के अच्छे प्रयासों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इस तरह की धोखाधड़ी से निपटने के लिए हम सभी कानूनी प्रक्रियाएं अपना रहे है और साथ ही मीडिया के माध्यम से विज्ञापनों और सूचनाओं के जरिए उपभोक्ताओं को भी अवगत करा रहे हैं।हम उपभोक्ताओं से भी अपील करते हैं हैं कि वो उजाला के तहत मिलने वाले एलईडी बल्ब सिर्फ अधिकृत वितरण केन्द्रों से ही खरीदें।"

सिर्फ ईईएसएल ही अपने समर्पित और अधिकृत वितरण केन्द्रों के जरिए एलईडी बल्ब बांट रही है जिसकी पूरी सूचना www.ujala.gov.in वेबसाइट पर उपलब्ध है। अगर इसमें कोई भी परिवर्तन या बदलाव होता है तो ईईएसएल इसकी सूचना अपने उपभोक्ताओं को मीडिया के माध्यम से उपलब्ध करायेगी।अगर कोई भी उपभोक्ता ईईएसएल के अधिकृत वितरण केन्द्रों के अलावा कहीं से भी एलईडी खरीदता है तो उसके लिए ईईएसएल जिम्मेवार नहीं होगा। 

ईईएसएल उपभोक्ताओं और आम लोगों से आग्रह करती है कि ऐसे किसी भी धोखे में ना आयें और इसकी सूचना ईईएसएल के ट्विटर हैंडल @ईईएसएल_इंडिया और www.facebook.com/EESLIndia पर दें। उपभोक्ता अपनी शिकायत ईमेल info@eesl.co.in के जरिए भी भेज सकते हैं।   


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