इस मानसून सत्र में लोकसभा में 15 और राज्‍यसभा में 14 विधेयक पारित हुए


संसद का मानसून सत्र, 2016 गत 18 जुलाई (सोमवार) को शुरू हुआ था, जबकि इसका समापन 12 अगस्‍त, 2016 को हुआ। 26 दिनों की इस अवधि के दौरान सदन   की 20 बैठकें हुईं।

वस्‍तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति से जुड़े हर लेन-देन पर वस्‍तु एवं सेवा कर लगाने के लिए संविधान में आवश्‍यक प्रावधान करने हेतु संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2016 संसद में पारित हो गया, जो एक ऐतिहासिक विधेयक है। वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों द्वारा वसूले जा रहे अनेक अप्रत्‍यक्ष करों का स्‍थान लेगा और इसका उद्देश्‍य करों के व्‍यापक असर को खत्‍म करना एवं वस्‍तुओं और सेवाओं के लिए एक साझा राष्‍ट्रीय बाजार सुलभ कराना है।

सत्र के दौरान वर्ष 2016-17 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयक पर लोकसभा में चर्चा हुई और ये पारित हुए।

मानसून सत्र के दौरान अध्‍यादेशों अर्थात भारतीय चिकित्‍सा परिषद (संशोधन) अध्‍यादेश, 2016 और दंत चिकित्‍सक (संशोधन) अध्‍यादेश, 2016 का स्‍थान लेने वाले दो विधेयकों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा हुई और ये पारित हुए।

औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) विधेयक, 2013 को राज्यसभा में वापस ले लिया गया। 

मानसून सत्र के दौरान 15 विधेयक (लोकसभा में 14 और राज्‍यसभा में 1) पेश किये गये। सत्र के दौरान लोकसभा में 15 विधेयक और राज्‍यसभा में 14 विधेयक पारित हुए।
    
लोकसभा की उत्‍पादकता 110.84 प्रतिशत और राज्‍यसभा की उत्‍पादकता 99.54 प्रतिशत रही।  

16वीं लोकसभा के 9वें सत्र और राज्‍यसभा के 240वें सत्र (मानसून सत्र, 2016) के दौरान संपन्‍न किये गये विधायी कार्य:

I - लोकसभा में पेश किये गये विधेयक:

1. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2016
2. दंत चिकित्‍सक (संशोधन) विधेयक, 2016
3. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्‍थान (संशोधन) विधेयक, 2016
4. प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
5. उच्च न्यायालय (नाम परिवर्तन) विधेयक, 2016
6. नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016
7. लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2016
8. ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2016
9. विनियोग (संख्‍या 3) विधेयक, 2016
10. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2016
11. कर्मचारी का मुआवजा (संशोधन) विधेयक, 2016
12. मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016
13. कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2016
14. कारखाना (संशोधन) विधेयक, 2016

II- लोकसभा में पारित विधेयक:

1. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2016
2. दंत चिकित्‍सक (संशोधन) विधेयक, 2016
3. * भारतीय न्यास (संशोधन) विधेयक, 2016
4. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विज्ञान शिक्षा व अनुसंधान संस्‍थान (संशोधन) विधेयक, 2016
5. प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
6. बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक, 2016
7. लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2016
8. बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2016
9. प्रतिभूति ब्याज प्रवर्तन एवं ऋण वसूली कानून और विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016
10. संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2016
11. विनियोग (संख्‍या 3) विधेयक, 2016
12. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2016
13. कर्मचारी का मुआवजा (संशोधन) विधेयक, 2016
14. कारखाना (संशोधन) विधेयक, 2016
15. कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2016
* संशोधन (संशोधनों) पर सहमति

III- राज्‍यसभा में पेश किये गये विधेयक:

1.      मातृत्‍व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016

IV- राज्यसभा में पारित विधेयक:

1. जैव प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्रीय केंद्र, 2016
2. बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक, 2016
3. प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक, 2016
4. लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2016
5. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2016
6. दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक, 2016
7. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
8. प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
9. बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2016
10. संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2016
11. मानसिक स्वास्थ्य देखभाल विधेयक, 2013
12. प्रतिभूति ब्याज प्रवर्तन एवं ऋण वसूली कानून व विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016
13. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय ((संशोधन) विधेयक, 2016
14. मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक, 2016

V- संसद के दोनों सदनों में पारित विधेयक:

1. जैव प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्रीय केंद्र, 2016
2. प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक, 2015
3. भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक, 2016
4. दंत चिकित्सक (संशोधन) विधेयक, 2016
5. भारतीय न्यास (संशोधन) विधेयक, 2016
6. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी, विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
7. प्रौद्योगिकी संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2016
8. बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक, 2016
9. लोकपाल और लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक, 2016
10. बेनामी लेन-देन (निषेध) संशोधन विधेयक, 2016
11. संविधान (122वां संशोधन) विधेयक, 2016
12. प्रतिभूति ब्याज प्रवर्तन एवं ऋण वसूली कानून व विविध प्रावधान (संशोधन) विधेयक, 2016
13. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2016
14. # कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2016
15. # विनियोग (संख्या 3) विधेयक, 2016

# ये विधेयक लोकसभा में पारित हो गए और राज्यसभा में इस सदन की सिफारिशों के लिए भेजे गए। राज्यसभा में इनकी प्राप्ति की तिथि से लेकर 14 दिनों की अवधि के अंदर इन विधेयकों को लोकसभा को वापस लौटाए जाने की संभावना नहीं है।

कार्पोरेट सामाजिक दायित्व और निरंतरता पर दिशा-निर्देश


पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) द्वारा भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की अवधारणा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के निरंतर प्रयासों के चलते इसे देश भर में तेजी से अपनाया गया है। डीपीई ने समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी कर और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंधन के साथ नियमित बातचीत कर इसे लागू करने में सफलता प्राप्त की है। डीपीई ने अप्रैल, 2010 में सीएसआर पर पहले दिशा-निर्देश जारी कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपने लाभ में से एक निर्धारित प्रतिशत को सीएसआर गतिविधियों के लिए रखने संबंधी दिशा-निर्देश बनाया था। इसके बाद डीपीई ने कंपनियों द्वारा स्वैच्छिक रूप से सीएसआर को जिम्मेदारी भरे व्यवसाय के रूप में अपनाने का प्रयास किया। सभी अंशधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद डीपीई ने सीएसआर और निरंतरता पर एक अप्रैल, 2013 से प्रभावी संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें विश्व स्तर पर चल रहे सर्वोत्तम प्रयासों को जहां सम्मिलित किया गया, वहीं घरेलू सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं पर ध्यान केन्द्रित रखा गया। परिणामस्वरूप डीपीई दिशा-निर्देशों का प्रयोगकर्ताओं, अंशधारकों और सीएसआर विशेषज्ञों ने स्वागत किया, वहीं अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रशंसा हुई और सार्वजनिक उपक्रम विभाग को अंतर्राष्ट्रीय श्रोताओं के सामने अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित भी किया गया।

कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्वों और निरंतरता पर सार्वजनिक उपक्रम विभाग के दिशा-निर्देशों में समावेशी विकास, पिछड़े क्षेत्रों का विकास, समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों की उन्नति, महिलाओं के सशक्तीकरण, पर्यावरणीय निरंतरता और पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा बचाने वाली तकनीक और निरंतरता विकास के सभी विस्तृत पहलू सम्मिलित हैं। डीपीई दिशा-निर्देशों के द्वारा सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। हालांकि इसका प्रभाव जानने के लिए कोई विस्तृत अध्ययन नहीं किया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंधन द्वारा सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के तहत व्यवसाय करने, जिससे कि निरंतर विकास को बल मिले, संबंधी सुधार देखे गए हैं।

कंपनी विधेयक, 2013 में सीएसआर के विशेष प्रावधानों को सम्मिलित करने से डीपीई द्वारा इस संबंध में सभी अंशधारकों के साथ मिलकर इसका प्रचार करने और भारत जैसे विकासशील देश में इसका उचित क्रियान्वयन करने के प्रयासों का समर्थन हुआ है। कंपनी विधेयक-2013 में सभी कंपनियां जो लाभ के आधार पर आधारित मापदंडों को पूरा करती हो को सीएसआर गतिविधियों पर पिछले तीन साल के औसत शुद्ध लाभ का कम से कम दो प्रतिशत खर्च करना अनिवार्य किया गया है। भारत संभवतः ऐसा पहला देश है, जिसने कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व को अनिवार्य रूप से पूरा करने के लिए कानून बनाया है। सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम विभाग इस संबंध में अध्ययन कर सीएसआर के क्रियान्वयन को लागू करने और निरंतर विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य कर रहा है। 

कर्नाटक और हरियाणा में शहरी गरीबों के लिए 37,013 करोड़ मकान बनेंगें



कर्नाटक 1,468 करोड़ रुपये निवेश करके शहरी गरीबों के लिए 36,254 और मकानों का निर्माण करेगा 

हरियाणा 23 करोड़ रुपये की लागत से 759 मकानों का निर्माण करेगा 

आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने 1,491 करोड़ रुपये के निवेश से कर्नाटक और हरियाणा राज्यों में शहरी गरीबों के लिए 37,013 करोड़ मकानों के निर्माण को आज मंजूरी दे दी। सचिव (एचयूपीए) डॉ. नंदिता मुखर्जी की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालय केंद्रीय मंजूरी एवं निगरानी समिति ने 1,468 करोड़ रुपये के निवेश से कर्नाटक में आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गों के लिए 36,254 मकानों के निर्माण और हरियाणा में 23 करोड़ रुपये की लागत से 759 मकानों के निर्माण को मंजूरी दे दी है। 

कर्नाटक में झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की भागीदारी में किफायती आवास के तहत 8 शहरों में 12371 आवास इकाइयों का निर्माण किया जाएगा। शहर-वार मकान निर्माण विवरण यह है: गडग-3,630, बेंगलुरू (बसावनगुडी) -1699, बीदर-1500, मैसूर-1,355, बेल्लारी-1188, रायचूर-1050, विजयपुरा-1,028, पद्मनाभनगर (बेंगलुरू) -895 और बागलकोट -784। 

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभप्रद की अगुवाई वाले निर्माण घटक के तहत शहरी गरीबों के लिए कर्नाटक के 207 शहरों एवं कस्‍बों में 23883 और मकानों का निर्माण किया जाएगा। 

केन्‍द्र सरकार कर्नाटक में शहरी गरीबों के लिए इन मकानों के निर्माण हेतु कुल 558 करोड़ रुपये की सहायता मुहैया कराएगी। 

आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय ने 23 करोड़ रुपए की कुल लागत से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभप्रद की अगुवाई वाले निर्माण घटक के तहत यमुनानगर-जगाधरी की 11 झुग्‍गी बस्तियों में वहां रहने वाले लोगों द्वारा 759 मकानों के निर्माण को आज मंजूरी दे दी। केन्‍द्र सरकार इसके लिए बतौर सहायता 11 करोड़ रुपये देगी। 

इन मकानों के निर्माण से जो झुग्गी बस्तियां लाभान्वित होंगी वे हरिनगर, लाजपत नगर, मिश्रा कॉलोनी, मुखर्जी पार्क, तीर‍थ नगर, मधुबन कॉलोनी, भगीरथ कॉलोनी, जम्‍मू कॉलोनी, हमीदा कॉलोनी और बुर्ला कॉलोनी में अवस्‍थि‍त हैं। 

मोरमुगाओ पोर्ट,गोवा में यातायात संचालन में 85.64% की वृद्धि



मोरमुगाओ पोर्ट ने अप्रैल से लेकर जुलाई, 2016 तक की अवधि के दौरान यातायात संचालन में पिछले महीने की इसी अवधि की तुलना में 85.64 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की। अप्रैल से लेकर जुलाई तक की अवधि के दौरान बारह प्रमुख बंदरगाहों की औसत विकास दर 5.28 फीसदी दर्ज की गई।

अप्रैल से लेकर जुलाई, 2016 तक की अवधि के दौरान प्रमुख बंदरगाहों पर कुल मिलाकर 212.78 मीट्रिक टन यातायात का संचालन किया गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 202.11 मीट्रिक टन यातायात का संचालन किया गया था। छह बंदरगाहों अर्थात् पारादीप, विशाखापत्तनम, वी.ओ. चिदंबरनार, कोचीन, मोरमुगाओ और कांडला बंदरगाहों ने सकारात्मक वृद्धि दर्ज की।

पढ़िए जम्‍मू-कश्‍मीर पर राजनाथ सिंह का राज्‍यसभा में पूरा वक्‍तव्‍य



माननीय सभापति महोदय, 

कश्‍मीर घाटी में उत्‍पन्‍न स्‍थिति के संबंध में मैंने दिनांक 18 जुलाई को इस सदन को अवगत कराया था। 

तत्‍पश्‍चात् 23 एवं 24 जुलाई को मैंने श्रीनगर और अनंतनाग का दौरा किया। लगभग 30 विभिन्‍न प्रतिनिधिमंडलों से बातचीत की, जिनमें सब्‍जी-फल उत्‍पादक, नौका चालक, विभिन्‍न समुदाय के संगठन, विकास मंचों के प्रतिनिधि, युवा उद्यमी वर्ग के लोग, Chamber of Commerce,कार्यरत एवं सेवानिवृत्‍त सरकारी कर्मी एवं पर्यटन व्‍यवसायी शामिल हैं। 

माननीय मुख्‍यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल तथा सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों से मिलकर मैंने स्‍थिति का जायजा लिया। 

राजनीतिक आकलन हेतु मैं करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी मिला। लेकिन कांग्रेस पार्टी ने मुझसे मिलने से इंकार किया, जिससे दुर्भाग्‍यवश उनके प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिल सका। 

दिनांक 8 अगस्‍त को जम्‍मू-कश्‍मीर की माननीय मुख्‍यमंत्री से दिल्‍ली में पुन: चर्चा भी हुई। 

कश्‍मीर घाटी में उत्‍पन्‍न स्‍थिति के बारे में जो आशंकाएं व्‍यक्‍त की गई हैं और कदाचित वे आशंकाएं माननीय सदस्‍यों को भी होंगी, उन पर मैं कुछ कहना चाहूंगा। दिनांक 9 जुलाई से लगातार चल रहे कर्फ्यू से आम जनता को राशन आदि नहीं मिल रहा है, यह एक आशंका है। मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍यों को बताना चाहूंगा कि कश्‍मीर घाटी में कोई Blanket कर्फ्यू नहीं है। विभिन्‍न जिलों में, कतिपय स्‍थानों पर आवश्‍यकतानुसार कर्फ्यू लगाया गया है, और स्‍थिति में सुधार होने पर उसको हटाने अथवा उसमें ढील की कार्रवाई की गई है। हां, हो सकता है कि स्‍थिति अगर पुन: खराब हुई तो कर्फ्यू पुन: लगाया गया हो। 

वास्‍तव में, अगर आम जनता को असुविधा हुई है, तो वह पाकिस्‍तान से प्रेरित अलगाववादी नेताओं द्वारा दिनांक 9 जुलाई से निरंतर, बिना किसी Break के, हड़ताल का आह्वान है। इससे, जिन शहरों, या जिन स्‍थानों में, कर्फ्यू नहीं भी होता है, वहां भय से बाजार नहीं खुल पाते हैं। अत: वास्‍तव में, अपनी स्‍वार्थ पूर्ति के लिए, अपने आपको Relevant रखने की दृष्‍टि से, आम जनता को असुविधा पहुंचाने का प्रयास अलगाववादी नेताओं ने किया है। और मैं निश्‍चितता के साथ कह सकता हूं कि यह पाकिस्‍तान से प्रेरित है। हड़ताल का कार्यक्रम रावलपिंडी में तय होता है, श्रीनगर में नहीं। 

अलगाववादियों की इस अमानवीय Strategy के बावजूद, यह कहना होगा कि राज्‍य सरकार ने आम जनता की सुविधा हेतु जो कार्य किया है, वह सराहनीय है। 

उदाहरणार्थ, इस अवधि में राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा स्‍कीम के तहत लगभग 95 प्रतिशत अनाज का वितरण हुआ है। औसतन बांटे जाने वाली करीब 48 हजार क्विंटल चीनी की तुलना में लगभग 34 हजार क्‍विंटल का वितरण हो चुका है। इस अवधि में लगभग 3 लाख 10 हजार LPG Cylinders का विक्रय भी हो चुका है। 

माननीय सभापति महोदय, घाटी में सभी आवश्‍यक वस्‍तुओं का स्‍टॉक भी उपलब्‍ध है। उदाहरणार्थ, श्रीनगर में करीब 23 सौ क्‍विंटल चीनी उपलब्‍ध है। विभिन्‍न Petroleum Companies के पास 18 दिन का एलपीजी स्‍टॉक तथा 19 दिनों के लिए पेट्रोल और 32 दिनों के लिए मिट्टी का तेल भी उपलब्‍ध है। 

इसी प्रकार, घाटी में आम तौर पर उपलब्‍ध फल-सब्‍जी का भी क्रय-विक्रय राज्‍य सरकार समय-समय पर कर्फ्यू में ढील देकर सुनिश्‍चित कर चुकी है। इसी प्रकार तड़के दूध का वितरण भी कराया गया है। दिनांक 14 जुलाई से लेकर 8 अगस्त तक की अवधि के दौरान आवश्‍यक वस्‍तुओं, फल-सब्‍जी आदि लेकर 5,600 ट्रक घाटी में पहुंच चुके हैं। 

मैं यह नहीं कह सकता कि घाटी की जनता बिल्‍कुल आम जीवन बसर कर रही है। हड़ताल से आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियां बंद हैं, जिससे कई वर्गों की आमदनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। लेकिन जो स्‍थिति घाटी में कुछ Vested interest और Misguided elements ने पैदा की है, उस स्‍थिति में जो भी आम जनता की सुविधा के लिए किया जा सकता है, वह राज्‍य सरकार ने किया है, और कर रही है। 

दूसरी आशंका यह व्‍यक्‍त की जाती है कि पर्याप्‍त चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध नहीं है। कश्‍मीर में हो रही हिंसा में 2656 मरीज विभिन्‍न अस्‍पताल पहुंचे, जिनमें से 2564 को इलाज के बाद Discharge किया जा चुका है। अब करीब 100 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 51 ऐसे हैं जिनकी आंखों में चोटें आई हैं। दुर्भाग्‍यवश Stone pelting से करीब 100 Ambulances क्षतिग्रस्‍त होने के बावजूद, इस अवधि में 400 से अधिक Ambulances कार्यशील रहीं

इस अवधि में करीब 5 लाख सामान्‍य मरीजों का भी OPD में इलाज किया गया, जिनमें से करीब 33 हजार Indoor Patients थे। लगभग 8 हजार छोटी-बड़ी Surgeries इस अवधि में की गई हैं और जहां आवश्‍यक हुआ है, मरीजों को दिल्‍ली में भी इलाज हेतु लाया गया है। दिल्‍ली के AIIMS तथा मुम्‍बई के आदित्‍य ज्‍योति अस्‍पताल के Eye-Surgery करने वाले दल श्रीनगर होकर आए, और उन्‍होंने वहां चल रहे इलाज पर अपनी संतुष्‍टि व्‍यक्‍त की है। 

माननीय सभापति महोदय, पेलेट गन्‍स की चर्चा पिछली बार इस सदन में हो चुकी है। जैसा कि मैंने पहले बताया, इस Weapon को 2010 में Non-lethal मानकर Introduce किया गया था। जैसा कि मैंने लोकसभा में आश्‍वस्‍त किया था, अन्‍य Viable Non-lethal Technologies की संभावनाओं पर गौर करने हेतु मैंने वरिष्‍ठ अधिकारियों की एक Committee गठित कर दी है। 

माननीय सभापति महोदय, दिनांक 18 जुलाई को, जब इस सम्‍माननीय सदन में इस मुद्दे पर पहले चर्चा हुई थी, तब वर्तमान Agitation में 567 घटनाएं हो चुकी थीं। इन घटनाओं में 33 Civilians की एवं 01 सुरक्षाकर्मी की मृत्‍यु हुई थी। 1948 Civilians तथा 1739 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। तत्‍पश्‍चात्, दिनांक 08 अगस्‍त तक, 451 घटनाएं और हो चुकी हैं। इनमें 10 Civilians और 01 सुरक्षाकर्मी की मृत्‍यु हुई है। 1408 Civilians और 2776 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। 

माननीय सभापति, कश्‍मीर भारत का ताज है। हमने आजादी धर्मनिरपेक्षता और Equality for all के आधार पर जीती है और इन्‍हीं को हमारे संविधान का केंद्र बिंदु बनाया है। हमारे नापाक पड़ोसी से भिन्‍न, हमारा समाज एकता और समानता की आधारशिला पर खड़ा है। कश्‍मीरियों के लिए हमारा दिल उतना ही धड़कता है, जितना कि उड़ीसा या असम के लिए, तमिलनाडु या केरल के लिए, गुजरात या राजस्‍थान के लिए। हमारे मन में न कोई भेद है, न भाव। मानवता हमारी भारतीयता की पहचान है। हमारे घर के किसी भी सदस्‍य को कोई शिकायत हो, तो हम उसको मिल-बैठकर सुलझा सकते हैं, और सुलझाना चाहते हैं। बातचीत हेतु हमारे दरवाजे भारत के हर नागरिक के लिए हमेशा खुले हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री जी ने कल कहा, अन्‍य बच्‍चों के माफिक कश्‍मीरी बच्‍चों के हाथ में पत्‍थर नहीं, किताबें होनी चाहिए, कलम होनी चाहिए, Bat-ball होना चाहिए। ऐसा हम अपनी ईमानदारी से, अपने Good Intent से, अपनी मेहनत से और आपसी बातचीत से सुनिश्‍चित करेंगे। 

कुछ हफ्ता-दो हफ्ता पूर्व पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा था कि उनको उस दिन का इंतजार है, जब कश्‍मीर उनका होगा। मैं उनको, और उनके पीछे असली पावर रखने वालों को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि उनके लिए यह इंतजार अनन्‍त होगा। कश्‍मीर हमारा था, हमारा है और हमारा रहेगा। पाकिस्‍तान तो क्‍या, दुनिया की कोई भी ताकत कश्‍मीर को भारत से अलग नहीं कर सकती है। 

माननीय सभापति महोदय, पाकिस्‍तान द्वारा बार-बार कहा जाता है कि भारत और पाकिस्‍तान के बीच कश्‍मीर एक Issue है। मैं जिम्‍मेदारी से वही बात कहना चाहूंगा, जो कि 22 फरवरी, 1994 को इस संसद ने एक आवाज़ से कहा था- कश्‍मीर का मुद्दा सिर्फ एक है, और वह है PoK की वापसी। उस वापसी तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। इस संसद के 1994 Resolution की पूर्ति करके ही रहेंगे। 

जम्‍मू-कश्‍मीर की स्थिति पर प्रस्‍ताव राज्‍य सभा में पारित


यह सदन कश्मीर घाटी में लम्बे समय से चली आ रही अशांति, हिंसा और कर्फ्यू की स्थिति के प्रति अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करता है। यह सदन बिगड़ती हुई स्थिति के कारण होने वाली मौतों तथा घायल लोगों के प्रति गहरी संवेदना और चिंता व्यक्त करता है। इस सदन का दृढ़ और सुविचारित मत है कि जहां एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता, वहीं दूसरी ओर यह भी अनिवार्य है कि सामान्य स्थिति और शांति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों की वेदनाएं दूर की जा सकें। 

यह सदन जम्मू-कश्मीर में समाज के सभी वर्गों से पुरज़ोर अपील करता है कि वे तत्काल सामान्य स्थिति की बहाली और सौहार्द कायम करने के लिए कार्य करें। यह सदन, सर्वसम्मति से लोगों, विशेषकर युवाओं में विश्वास पैदा करने का संकल्प लेता है।

सामाजिक बुराइयों के खिलाफ महाराष्‍ट्र का भारत छोड़ो आंदोलन 2 शुरू


श्री वेंकैया नायडू ने कहा यह समय अपने स्‍वराज को सुराज में बदलने का है

केन्‍द्रीय मंत्री श्री वेंकैया नाडू की उपस्थिति में महाराष्‍ट्र सरकार ने आज भारत छोड़ो आंदोलन की प्‍लेटिनम जुबली समारोह मनाने के दौरान विभिन्‍न तरह की सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारंभ किया। इस आंदोलन की शुरुआत ऐतिहासिक अगस्‍त क्रांति मैदान, मुंबई से की गई जहां से राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो का आह्वान किया था।  

इस अवसर पर श्री नायडू ने कहा ‘ आज आजादी के 68 साल बाद राष्‍ट्र को सामाजिक बुराइयों से छुटकारा दिलाने और देश को नई  ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए लोगों को फिर वही जुनून , उत्‍साह और प्रतिबद्धता के साथ जबाव देने की जरूरत है। ‘उन्‍होंने कहा कि देश से गरीबी को पूर्ण रूप से खत्‍म करना है। सभी को शिक्षा मुहैया कराना, रोजगार का सृजन करना, कल्‍याणकारी उपायों के साथ विकास की तलाश करना ‘गरीबी छोड़ो’ अभियान का बड़ा हिस्‍सा है।इस काम में देश के सभी नागरिकों को सरकार को अपना योगदान देना चाहिए। उन्‍होंने बल देकर कहा कि अंत्‍योदय आगे का रास्‍ता है।

 श्री नायडू ने आगे कहा कि सभी मोर्चों पर देश की तेजी से तरक्‍की के लिए समाज के सभी लोगों को विकास क‍हानी का हिस्‍सा होना चाहिए चाहे वे किसी भी जाति, धर्म, क्षेत्र के हों। उन्‍होंने कहा कि संक्षेप में कहें तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नारा ‘ सबका साथ ,सबका विकास ’के पीछे यही दर्शन है। मंत्री महोदय  ने कहा कि हमें स्‍वराज से देश को सुराज में ले जाने के लिए अशिक्षा, भेद भाव, फूट,  आतंकवाद और राष्‍ट्र विरोध को भारत छोड़ो कहने की जरूरत है।

 केन्‍द्रीय मंत्री जिनके पास शहरी विकास एवं सूचना तथा प्रसारण मंत्रालय दोनों का प्रभार  है, ने बताया कि नागरिकों को राष्‍ट्रभक्ति को याद दिलाने खासकर नई पीढ़ी में इस भावना को जगाने के लिए भारत इस साल स्‍वतंत्रता दिवस को  ‘ आजादी 70 साल- जरा याद करो कुर्बानी’ के रूप में मना रहा है। ‘ सभी केंन्‍द्रीय मंत्रियों और राज्‍य के मुख्‍मंत्रियों को कहा गया है कि वे स्‍वतंत्रता संग्राम से जुड़े दो राष्‍ट्रीय प्रतिमानों के जन्‍म स्‍थल का वे दौरा करें। इनमें जालियांवाला बाग, चौरी -चौरा  साबरमति आश्रम दांडी आदि शामिल हैं।

 इसे पहले लोगों को संबोधित करते हुए महारारूट्र के मुख्‍यमंत्री श्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि स्‍वतंत्रता संग्राम में मुंबई की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है। आज फिर यह शहर दूसरा भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत कर इस दिशा में अग्रणी भूमिका में है। आज की  हमारी लड़ाई अंग्रेजों के साथ नहीं है बल्कि राष्‍ट्र में फैले भ्रष्‍टाचार, किसानों की आत्‍महत्‍या की समस्‍या, कुपोषण जल बर्बादी, आतंकवाद और सामाजिक बुराइयों से है।

 इससे पहले श्री वेंकैया नायडू ,श्री देवेंद्र फडनवीस, श्री सुधीर मुंगातिवर, श्री विनोद तावडे और अन्‍य लोगों ने अगस्‍त क्रांति मैदान में अगस्‍त क्रांति दिवस मेमोरियल पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।         

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