#AYUSH और #USP के बीच औषधियों की गुणवत्ता के लिए समझौता हुआ

 

आयुष मंत्रालय के अधीनस्थ भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी के औषधकोश आयोग और अमरीका फॉर्माकोपिएल कन्वेंशन ने आज नई दिल्ली में परम्परागत औषधि और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान, विकास और विज्ञान आधारित मापदंडों को बढ़ावा देने के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए सहमति के पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों के बीच हुए इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य परम्परागत दवाइयों और वनस्पति पूरक आहार की गुणवत्ता और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। साथ ही इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों और वैश्विक स्तर पर मिलकर जन-स्वास्थ्य में बेहतरी लाना है। 

इस सहमति के पत्र पर भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी के औषधकोश आयोग के निदेशक डॉ. राजीव कुमार शर्मा और यू.एस. फॉर्माकोपिएल कन्वेंशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ. के.वी सुरेन्द्रनाथ ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव श्री अजीत मोहन शरण, आयुष मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री अनिल गनेरीवाला, श्री अनुराग श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव आयुष, वैश्विक स्वास्थ्य केन्द्र, यू.एस. नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूड, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और दक्षिण एशियाई कार्यक्रम के निदेशक डॉ. प्रीथा राजारमन और अमरीकी दूतावास से वैश्विक मामलों के कार्यालय, स्वास्थ्य और जन-सेवाओं के विभाग में सलाहकार डॉ. विद नुकाला मौजूद थे। 

1. परम्परागत औषधि/जड़ी-बुटी और वनस्पति पूरक आहार उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर जागरूकता बढ़ाना भी सहमति पत्र के उद्देश्यों में शामिल है। 

2. परम्परागत दवाइयों और वनस्पति आहार की उपलब्धता को बढ़ाकर जरूरतमंद लोगों तक इसकी पहुंच बनाना। 

भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी का औषधकोश आयोग आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था है जिसका मुख्य कार्य आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी के अंतरगत इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के लिए औषधकोश मापदंडों को विकसित करना है। 

वहीं, यू.एस. फॉर्माकोपिएल कन्वेशन (यूएसपी) एक वैश्विक स्वास्थ्य संगठन है, जोकि जन मापदंडों द्वारा जीवन को बेहतर बनाने का काम करता है और इस तरह का कार्यक्रम चलाता है, जिससे कि दवाइयों और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, सुरक्षा और फायदा सुनिश्चित हो सके। 

इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव श्री अजीत मोहन शरण ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक समझौता है, जिससे परम्परागत औषधियों के क्षेत्र में सहयोग और अधिक बढ़ेगा। 

एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा ने डायरेक्टर जनरल एयर का कार्यभार संभाला



दिसंबर 1981 में एयर मार्शल हरजीत सिंह अरोड़ा एवीएसएम भारतीय वायुसेना में लड़ाकु जहाज के पायलट के तौर पर तैनात किए गए थे। उनका मिग-21, मिग-29 और भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर समेत दूसरे तरह के एयरक्राफ्ट उड़ाने का 2600 घंटे का अनुभव रहा है। एच एस अरोड़ा टैक्टिक्स एंड एयर कॉम्बैटडेवलपमेंट इस्टेबिलिशमेंट (टीएसीडीई) में डायरेक्टिंग स्टाफ और डायरेक्टरेट ऑफ एयर स्टाफ इंस्पेक्शन (डीएएसआई) में फ्लाइंग इंस्पेक्टर के तौर पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं। 

2006 से 2009 के बीच वो प्रतिनियुक्ति पर थाइलैंड के बैंकॉक में भारतीय दूतावास के साथ भी संलग्न रहे हैं। 

वे 45 स्क्वैड्रन ‘द फ्लाइंग डैगर’ को विंग कमांडर की हैसियत से कमांड कर चुके हैं साथ ही एडीडीसी कैडर में ग्रुप कैप्टन और 33 एसयू ‘द स्कैनर्स’ के स्टेशन कमांडर के रूप में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। वे पंजाब के अदमपुर एयरफोर्स स्टेशन पर एयर कमोडोर की हैसियत से काम कर चुके हैं। एयर वायस मार्शल रहते हुए पश्चिमी एयर कमांड और पूर्वी एयर कमांड के हेडक्वार्टर पर एयर डिफेंस कमांडर रह चुके हैं। 

एच एस अरोड़ा डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज और नेशनल डिफेंस कॉलेज से टैक्टिक्स और एयर कॉम्बैट डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट में मेरिटोरियस ग्रेजुएट रहे हैं। रक्षा और रणनीतिक कौशल में एमफिल की उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं। 

गुणवत्तापूर्ण सेवा को देखते हुए उन्हें 1997 में एओसी इन चार्ज से प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है। 26 जनवरी 2011 को भारत के राष्ट्रपति के हाथों अति विशिष्ट सेवा मेडल भी प्राप्त कर चुके हैं। 

एयर मार्शल एच एस अरोड़ा एवीएसएम को 22 अगस्त 2016 को डायरेक्टर जनरल एयर (ऑपरेशन) नियुक्त किया गया है। 

उनकी शादी श्रीमति बलजीत अरोड़ा से हुई है और वे दो बेटों के पिता हैं। उन्हें पढ़ना, म्यूजिक सुनना और यात्रा करना पसंद है।

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने चिकनगुनिया और डेंगू से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की


केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा द्वारा डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया बीमारियों के प्रकोप की ताजा स्थिति की उच्‍चस्‍तरीय समीक्षा किये जाने के बाद आज यहां स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय में सचिव श्री सी.के. मिश्रा ने राष्‍ट्रीय राजधानी में चिकनगुनिया और डेंगू की रोकथाम के लिए विभिन्‍न एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा करने हेतु एक बैठक आयोजित की। दिल्‍ली सरकार, दिल्‍ली नगर निगमों, एनडीएमसी और दिल्‍ली छावनी बोर्ड के प्रतिनिधि एवं वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी इस बैठक में उपस्थित थे। 

चिकनगुनिया की रोकथाम एवं इसे काबू में रखने के लिए विभिन्‍न एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा की गई। एनसीआर दिल्‍ली में चिकनगुनिया और डेंगू के मामलों की बढ़ती संख्‍या को ध्‍यान में रखते हुए सचिव (स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण) ने नगर निगमों और दिल्‍ली सरकार के अधिकारियों से अगले दो महीनों के दौरान सतर्क रहने और चिकनगुनिया की रोकथाम एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्‍यक कदम उठाने का आग्रह किया, ताकि इस स्थिति से पूरी मुस्‍तैदी के साथ निपटा जा सके तथा इसके और गंभीर रूप लेने से बचा जा सके। केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के अनुरूप श्री मिश्रा ने दिल्‍ली सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) और नगर निगमों से अपनी आईईसी संबंधी गति‍विधियों में बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने को कहा। 

स्‍वास्‍थ्‍य सचिव को इस अवसर पर यह जानकारी दी गई कि गैर प्रतिरक्षा आबादी के कारण ही दिल्‍ली में चिकनगुनिया मामलों की संख्‍या हाल में बढ़ गई है, जबकि विगत वर्षों में चिकनगुनिया के मामलों की संख्‍या अपेक्षाकृत कम थी। वेक्टर मच्छर की बहुतायत, बड़े पैमाने पर निर्माण गति‍विधियों, जल भंडारण के चलन और लोगों की बढ़ती आवाजाही के साथ-साथ लोगों का रवैया भी मौजूदा स्थिति के लिए जिम्‍मेदार है। डेंगू की तुलना में मच्‍छरों में ऊष्मायन अवधि अपेक्षाकृत छोटी रहने के कारण ही चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ जाता है। 

स्‍वास्‍थ्‍य सचिव को यह जानकारी दी गई कि दिल्‍ली में इस स्थिति पर नजर रखने के लिए मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। 

दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक ऑनलाइन पुस्तकालय का शुभारंभ

 

सुगम्य डिजिटल भारत की तरफ एक कदम आगे बढ़ते हुए ‘सुगम्य पुस्तकालय’ (दृष्टिबाधित लोगों के लिए एक ऑनलाइन पुस्तकालय) का शुभारंभ आज विधि एवं न्याय और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने किया। समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा आयोजित एक समारोह में इस पुस्तकालय की शुरूआत की गई। इस समारोह की अध्यक्षता सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने की। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर और सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर और श्री रामदास अठावले मुख्य अतिथि थे। उद्घाटन समारोह से पहले सुगम्य डिजिटल भारत पर एक पैनल परिचर्चा का आयोजन भी हुआ।

इस अवसर पर श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह सूचना और प्रौद्योगिकी का दौर है क्योंकि यह दोनों ही बड़ी शक्तियां है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से हम संपन्न और वंचितों के बीच के अंतर को खत्म करने का प्रयास कर रहे है। हमनें देश में सामान्य सेवा केन्द्रों से दिव्यांगजनो को जोड़ा है साथ है राष्ट्रीय सूचना केन्द्र दिव्यांगजनों के अनुकूल 100 सरकारी वेबसाइट बनाने की प्रक्रिया में है, जिनमें से 16 को पहले ही दिव्यांगजनों के इस्तेमाल में आसान बना दिया गया है। उन्होंने गैर-सरकारी संगठनों और नागरिकों से सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव देने के लिए ‘My Gov’ वेबसाइट इस्तेमाल करने का भी आह्वन किया।

वहीं थावरचंद गहलोत ने कहा कि उनका मंत्रालय सुगम्य भारत अभियान के लिए प्रतिबद्ध है और कई शहरों में इमारतों को सुगम्य बनाया जाएगा। 6 लाख से भी ज्यादा दिव्यांगजनों को उपकरण दिए गए है। जबकि ऐसे लोगों को सम्मानित करने के लिए चार हजार शिविर भी लगाए गए हैं। दिव्यांगजनों और समाज के दबे-कुचले लोगों को ऊपर उठाने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 18 नई ब्रेल प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने के लिए अनुमति दे दी गई है। त्रिवेंद्रम के दिव्यांग कॉलेज को दिव्यांग विश्वविद्यालय में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि वाराणसी में जब 1500 दिव्यांगजनों को उपकरण वितरित किए जाएगे तो यह एक विश्व रिकॉर्ड होगा।

अपने संबोधन में मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि उनका मंत्रालय दिव्यांगजनों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि उनका पहला दीक्षांत संबोधन चित्रकूट में दिव्यांग विश्वविद्यालय में होगा।

इस अवसर पर श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि दिव्यांगजनों को लोगों की दया की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें प्यार, स्नेह और सहायता चाहिए। सुगम्य पुस्तकालय की शुरूआत के जरिए उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी हो सकेगी। साथ ही इस पहल में प्रकाशकों का सहयोग भी उन्होंने मांगा।

श्री रामदास अठावले ने कहा कि समाज के दिव्यांगजनों और पिछड़ों के हितों और बेहतरी के लिए काम करना उनके मंत्रालय की पहली प्राथमिकता है। साथ ही उन्होंन उम्मीद जताई कि यह पहल अपना लक्ष्य हासिल करेगी।

इस अवसर पर सक्षम ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्ट्री श्री दीपेन्द्र मनोचा ने ई-लाइब्रेरी सुगम्य पुस्तकालय पर एक संक्षिप्त प्रस्तावना पेश की।

"सुगम्‍य पुस्‍तकालय" एक ऑनलाइन मंच है, जहां पर प्रिंट विकलांग लोगों के लिए सुलभ सामग्री उपलब्ध करायी जाती है। इस पुस्‍तकालय में विविध विषयों और भाषाओं तथा कई सुलभ प्रारूपों में प्रकाशन उपलब्‍ध है। इसे डेज़ी फोरम ऑफ इंडिया संगठन के सदस्यों और टीसीएस एक्‍सेस के सहयोग से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्‍यांग सशक्तिकरण विभाग द्वारा तैयार किया गया है। यहां पर दृष्टिहीन और अन्य प्रिंट विकलांग लोगों के लिए सुलभ प्रारूपों में पुस्तकें उपलब्ध हैं। विविध भाषाओं में दो लाख से अधिक किताबें हैं। देश और दुनिया भर में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय, बुकशेयर सहित पुस्तकालयों का एकीकरण किया जा रहा है।  

अंतिम उपयोगकर्ता यानि प्रिंट विकलांग व्यक्ति के मामले में: अब अगर प्रिंट विकलांग जन किताब पढ़ना चाहता है तो इसके लिए उसे किसी पढ़ कर सुनाने वाले व्यक्ति या स्कैन और संपादन करने के लिए स्वयंसेवकों की तलाश करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सुगम्य पुस्तकालय पर शीघ्र खोज के बटन को क्लिक करते ही उसे अपनी पसंद की पुस्तके मिल जायेंगी। इसके लिए उसे डीएफआई संगठन में प्रिंट विकलांग सदस्य के रूप में पंजीकरण करवाना होगा। जिसके बाद वह अपनी सदस्यता के जरिये पुस्तक डाउनलोड कर सकता है या ऑफ लाइन खरीद सकता है। वह एक बटन क्लिक कर पुस्तकालय की सभी किताबों तक पहुंच सकता है। मोबाइल फोन, टेबलेट, कम्प्यूटर, डेजी प्लेयर जैसे अपनी पसंद के किसी भी उपकरण पर ब्रेल लिपि में भी पुस्तकें पढ़ी जा सकती है। ब्रेल प्रेस वाले संगठन के सदस्य के जरिये वे ब्रेल लिपि की प्रतिलिपि भी मंगवा सकते हैं।

स्कूल/कॉलेज/पुस्तकालय के मामले में : विश्वविद्यालय, स्कूल पुस्तकालय, सार्वजनिक पुस्तकालय या इस प्रकार के अन्य संस्थान डीएफआई के सदस्य बन सकते हैं अथवा अपने प्रिंट विकलांग सदस्यों या छात्रों को सुगम्य पुस्तकालय का पूरा संग्रह उपलब्ध कराने के लिए ऑन लाइन पुस्तकालय के सदस्य बन सकते हैं। शैक्षिक संस्थान भी इस पुस्तकालय में अपने छात्रों के लिए सुलभ प्रारूप में उपलब्ध कराने के लिए तैयार की गई पुस्तकों का योगदान दे सकते हैं ताकि अन्य संस्थानों के छात्रों को भी वही  पुस्तकें उपलब्ध हो सके और कई स्थानों पर ऐसी पुस्तकों को दोबारा तैयार करने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी।

प्रकाशक/सरकारी प्रकाशक/पाठ्य पुस्तक प्रकाशक के मामले में : ये लोग विकासशील देश में सबसे अधिक पहुंच वाले ऑन लाइन पुस्तकालय का निर्माण कर इतिहास का एक हिस्सा बन सकते हैं। प्रिंट विकलांग लोगों को शामिल कर अपने पाठक आधार को बढ़ाने के लिए वे अपने प्रकाशनों को सुलभ प्रारूपों में  सुगम्य पुस्तकालय पर साझा कर सकते हैं। पुस्तकालय की पहले से ही रीडर्स डाइजेस्ट और इंडिया टूडे जैसे प्रकाशनों के साथ साझेदारी है और वह बड़ी संख्या में निजी और सरकारी प्रकाशन विभाग और प्रकाशनों के साथ नई साझेदारी करना चाहता है। पाठ्यपुस्तक प्रकाशन विभाग, राज्य पाठ्य पुस्तक बोर्ड (एससीईआरटी/ एनसीईआरटी) इस मंच के जरिये प्रिंट विकलांग छात्रों के लिए अपनी सामग्री उपलब्ध कराकर  शिक्षा के अधिकार अधिनियम (2009) के अंतर्गत अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकते हैं। सुगम्य पुस्तकालय से जो सामान्य प्रिंट नहीं पढ़ पाते हैं केवल उन्हें पुस्तकें देने से पुस्तकें संरक्षित रहेंगी।

गैर-सरकारी संगठन के मामले में : वे एक सदस्य के रूप में प्रिंट विकलांग लोगों के लिए पुस्तकालय सेवा शुरू कर सकते हैं और अपने सदस्यों को सुगम्य पुस्तकालय की पूरी सामग्री उपलब्ध करा सकते हैं।

कॉरपोरेट के मामले में : उनके कर्मचारी स्वयं अपनी इच्छा से सामग्री तैयार कर करोड़ो प्रिंट विकलांग लोगों की मदद कर सकते हैं। सूचना प्रोद्योगिकी उद्योग सभी भारतीय भाषाओं में डिजिटल सामग्री के लेखन और पाठन में खामियों को दूर करने के लिए प्रोद्योगिकी विकसित कर योगदान दे सकते हैं।

मोदी सरकार देगी स्व-सहायता समूहों को 90 हजार करोड़ रुपये के ऋण



केंद्र सरकार ने गैर-कृषि आर्थिक गतिविधियों के लिए अगले दो वर्षों के दौरान महिला स्‍व-सहायता समूहों और अन्‍य स्‍व-सहायता समूहों को 90 हजार करोड़ रुपये का ऋण देने की योजना बना रही है। राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका अभियान (एनआरएलएम) से संबंधित एक राष्‍ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास सचिव श्री अमरजीत सिंह ने कहा कि इस समय आजीविका मिशन से तीन करोड़ महिलाएं जुड़ी हैं और उन्‍होंने आर्थिक गतिविधियों के लिए बैंकों से 30 हजार करोड़ रुपये ऋण सुविधा प्राप्‍त की है। 

केंद्र द्वारा प्रायोजित इस अभियान को सभी राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा चरणबद्ध तरीके से 462 जिलों के 3157 संभागों में क्रियान्वित किया जा रहा है। जुलाई, 2016 के आंकड़ों के अनुरूप 324 लाख ग्रामीण निर्धन परिवारों को 26.94 लाख स्‍व-साहयता समूहों में समेकित किया जा चुका है। राज्‍यों ने जिलों और संभाग स्‍तरों पर समर्पित बुनियादी ढांचा स्‍थापित किया है, जिनमें 20 हजार से अधिक समर्पित पेशेवर व्‍यक्ति और लगभग एक लाख सामुदायिक पेशेवर व्‍यक्ति अभियान को कार्यान्वित कर रहे हैं।

श्री सिन्‍हा ने अभियान की प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना और विभिन्‍न योजनाओं के तहत रोजगार एवं स्‍व-रोजगार प्रदान किया जा रहा है। श्री सिन्‍हा ने राज्‍यों द्वारा किए जाने वाले विभिन्‍न अभिनव प्रयासों की प्रशंसा की। इस दो दिवसीय कार्यशाला में कार्यकारी अधिकारियों, मिशन निदेशकों, विभिन्‍न मंत्रालयों के अधिकारियों, 29 राज्‍यों के समुदाय प्रतिनिधियों तथा प्रमुख व्‍यावसायिक व्‍यक्तियों सहित लगभग 120 लोग हिस्‍सा ले रहे हैं।

सुरेश प्रभु ने मुंबई में 8 रेलवे स्टेशनों पर Wi-Fi का शुभारंभ किया


रेलवे स्टेशनों पर हाई स्पीड की वाई-फ़ाई सेवाएं प्रदान करने के अपने सतत प्रयासों के तहत रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज (22 अगस्त) महाराष्ट्र में 8 मुंबई उपनगरीय रेलवे स्टेशनों पर वाई-फ़ाई सेवाओं का शुभारंभ किया जिनमें चर्चगेट, बांद्रा, बांद्रा टर्मिनस, दादर पश्चिम रेलवे, दादर मध्य रेलवे, खार रोड, कल्याण और लोकमान्य तिलक शामिल हैं। मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क के इन 8 व्यस्त स्टेशनों के आगंतुकों और रेल यात्रियों के लिए हाई स्पीड वाली वाई-फाई की सुविधा गूगल के सहयोग से रेलवे के एक पीएसयू रेलटेल ने शुरू की है। 

वाई-फाई सुविधा में 1 जीबीपीएस की गति प्रदान की जा रही है। इन 8 स्टेशनों पर कुल 318 एक्सेस प्वाइंट, 120 एक्सेस स्विच और 30 फाइबर स्विच लगाये गए हैं ताकि बड़ी संख्या में यात्रियों को वाई-फाई सेवाएं प्रदान की जा सकें। 

आज 8 स्टेशनों पर वाई-फाई सेवा लॉन्च करने के अलावा, रेलवायर वाई-फाई को 8 और स्टेशनों (सियालदह, इलाहाबाद, पुणे, पुरी, ताम्बरम, चेन्नई एग्मोर, हजरत निजामुद्दीन और चंडीगढ़) में शुरू किया गया है और औपचारिक रूप से देश के अलग-अलग भागों में जल्द ही शुरू किया जाएगा।

शुभारंभ समारोह के दौरान रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने कहा कि रेलवे स्टेशन वह स्थान हैं जहां समाज के विभिन्न लोग आते हैं। यह पहल डिजिटल खाई को पाटेगी और सभी रेल उपयोगकर्ताओं को हाई स्पीड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराएगी। एक बार लागू होने के बाद यह विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक वाई-फाई परियोजनाओं में से एक होगी।

नकवी ने हज यात्रियों के लिए की व्यवस्थाओं की समीक्षा, प्रशिक्षण शिविर आयोजित


केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामले राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हज के लिए की गई तैयारियों का जायजा लेने के लिए कल रात मुंबई के हज हाउस में अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय और अन्य संबंधित विभाग हज तीर्थ यात्रियों के लिए व्यवस्थाओं, सुविधाओं और सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है।

श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय इस वर्ष हज यात्रा में करीब एक लाख 36 हजार भारतीयों की सहायता और उनके लिए किए जाने वाले प्रबंधनों, सुविधाओं और सुरक्षा का जायजा लेने के लिए सऊदी अरब में वरिष्ठ अधिकारियों को भेज जा रहा है। श्री नकवी ने हज तीर्थ यात्रियों के लिए आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर में भी भाग लिया, जहां बड़ी संख्या में हज जा रहे लोगों ने उनका स्वागत किया। इस प्रशिक्षण शिविर में हज यात्रियों के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण भी दिया गया। 

श्री नकवी ने कहा कि इस वर्ष कुल हज यात्रियों में से 10 प्रतिशत ने ऑनलाइन आवेदन किया और इसे अगली हज यात्रा के लिए बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाएगा। 

श्री नकवी ने राष्ट्र और समूचे विश्व में शांति, समृद्धि और सौहार्द की प्रार्थना के साथ सफल हज यात्रा की कामना की। प्रशिक्षण शिविर में शिवसेना के सांसद श्री अरविंद सावंत, भाजपा विधायक श्री राज.के.पुरोहित, हज समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अताउर रहमान, हज समिति के सदस्य और गुजरात के समन्वयक श्री एच.बी.काज़मी और अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे। 

इससे पूर्व, हज तीर्थ यात्रियों के लिए विभिन्न राज्यों में भी प्रशिक्षण शिविरों का का आयोजन किया जा चुका है।

इस वर्ष 27 अगस्त से मुंबई से हज तीर्थ यात्रा के लिए सऊदी अरब के जेद्दा के लिए करीब 4,500 हज तीर्थ यात्री जाएंगे। हज 2016 के लिए दिल्ली से हाजियों का पहला जत्था 4 अगस्त को रवाना हो चुका है। हज समिति के माध्यम से भारत में 21 स्थलों पर करीब 1,00,020 हज तीर्थ यात्रियों को सुविधाएं प्रदान की जा रही है। इसके अलावा करीब 36,000 हज तीर्थ यात्री निजी यात्रा संचालकों के माध्यमों से हज यात्रा पर जा रहे हैं। 

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