महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र द्वारा राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो द्वारा विकसित ऑनलाइन अनुवाद-प्रशिक्षण प्लेटफार्म का आज यहां लोकार्पण किया गया। इस मौके पर राजभाषा विभाग के सचिव श्री प्रभास कुमार झा, संयुक्त सचिव डॉ. बिपिन बिहारी सहित केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/उपक्रमों आदि के अधिकारी उपस्थित थे।
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र में ऑनलाइन अनुवाद-प्रशिक्षण प्लेटफार्म का लोकार्पण किया गया तथा केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के निदेशक डॉ. एस एन सिंह द्वारा इस प्लेटफार्म से होने वाले लाभ की विस्तृत जानकारी दी गई। द्वितीय सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री डॉ. नरेंद्र कोहली, भाषाविद् और तकनीकी विशेषज्ञ डॉ. ओम विकास, भाषा-विज्ञानी और हंगेरियन तथा हिंदी के प्रसिद्ध अनुवादशास्त्री डॉ. विमलेश कांति वर्मा द्वारा अनुवाद जैसे महत्वपूर्ण विषय पर वक्तव्य दिये गये।
ऑनलाइन अनुवाद-प्रशिक्षण प्लेटफार्म के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण प्रयास है एवं एक नई पहल है। उन्होने कहा कि यह प्लेटफार्म सभी को उपलब्ध होगा। उन्होने कहा कि भारत जैसा देश जहां इतनी भाषाऐं बोली जाती हैं तथा विश्व में भी बहुत सी भाषाऐं उपलब्ध हैं, अनुवाद ही ऐसा माध्यम है जिससे हम विचार सांझा कर सकते हैं। प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी जनता की भाषा में तथा सरल भाषा में उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होने कहा की अनुवाद के माध्यम से इतिहास तथा विभिन्न संस्कृतियों का ज्ञान संभव है।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए श्री प्रभास कुमार झा ने बताया कि राजभाषा शब्दावली का कार्य प्रारम्भ हो गया है। उन्होने कहा कि यह शब्दावली ऑनलाईन और पुस्तक के रूप में उपलब्ध होगी तथा इस शब्दावली में नये-नये शब्द भी शामिल किये जायेगें। उन्होने कहा कि राजभाषा शब्दावली लाखो शब्दों का शब्दकोष होगा।
इस प्लेटफार्म से होने वाले लाभ की विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. एस एन सिंह ने कहा कि इस प्लेटफोर्म में सरल और सुगम पाठ तैयार किये गए हैं जिससे सभी को लाभ होगा।
इस अवसर पर राजभाषा भारती के 150 वे अंक का विमोचन भी किया गया।
केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो वर्ष 1971 से सरकारी दस्तावेजों का अनुवाद तथा वर्ष 1973 से राजभाषा के कार्यान्वयन से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को पारंपरिक रूप से अनुवाद का प्रशिक्षण देने का कार्य करता आ रहा है।
भारत सरकार की “सुशासन: चुनौतियां और अवसर” कार्य योजना के अंतर्गत सरकारी तंत्र में विभिन्न क्षेत्रों के कौशल विकास पर बल दिया गया है। इसी को ध्यान में रखते हुए राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) ने केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो को “अनुवाद कौशल के विकास” के लिए ‘ऑनलाइन अनुवाद प्रशिक्षण’ के “ई-लर्निंग प्लेटफार्म” तैयार करने का कार्य सौंपा है।
इस प्लेटफार्म का उद्देश्य केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन और अनुवाद कार्य से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के अनुवाद कौशल को विकसित करने के लिए अनुवाद का ऑनलाइन प्रशिक्षण देना है। इसके ज़रिए अनुवाद प्रशिक्षण की पहुँच व्यापक और सर्वसुलभ हो सकेगी और सरकारी कामकाज में प्रयुक्त प्रशासनिक शब्दावली और अभिव्यक्तियों के प्रयोग में एकरूपता सुनिश्चित हो सकेगी।
इस कार्य योजना के अंतर्गत, ब्यूरो में एक अनुसंधान एकक की स्थापना की गई है। इस एकक ने अनुवाद प्रशिक्षण के पहले चरण में, प्रशासनिक विषयों से संबंधित दस्तावेजों के अनुवाद के बारे में सरल और सुगम ढंग से पाठ तैयार किए हैं और उन्हें अनुवाद प्रशिक्षण के इच्छुक व्यक्तियों तक ऑनलाइन पहुंचाने का प्रयास किया है।
इन पाठों में प्रशासन से जुड़े पत्राचार और उनके अनुवाद से संबंधित विषय शामिल हैं। छोटे-छोटे वीडियो के माध्यम से आसान भाषा में प्रशासनिक अनुवाद को समझाया गया है। इसके साथ ही, कुछ पाठों को प्रश्नोत्तरी के रूप में भी तैयार किया गया है। इन पाठों के माध्यम से इच्छुक प्रशिक्षार्थी प्रशासनिक विषयों के अनुवाद की बारीकियों को जानकर, इस क्षेत्र में अपने कौशल को निखार सकेंगे।
इस शृंखला के अंतर्गत भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों और कार्यालयों में प्रयुक्त होने वाली प्रशासनिक भाषा और उसके अनुवाद से संबंधित 21 पाठ तैयार किए गए हैं :-
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