80:20 योजना के रूप में प्रचलित स्वर्ण आयात योजना पर पिछले कुछ दिनों से कुछ गलतफहमियां पैदा की जा रही हैं।
सोने के आयात में वृद्धि से 2012-13 में चालू खाता घाटे पर दबाव बना था। इस स्थिति से निपटने के लिए अनेक कदम उठाए गए। इन कदमों में स्वर्ण तथा स्वर्ण उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाना और सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाना शामिल था। इसके बाद पहली बार 22.07.2013 को और फिर 14.08.2013 को प्रतिबंधों में संशोधन किया गया, ताकि 20:80 योजना लागू की जा सके, जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था थी कि आयातित सोने का कम से कम 20 प्रतिशत सोने का उपयोग निर्यात के लिए किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत 20:80 फार्मूला का अनुसरण करते हुए घरेलू उपयोग के लिए केवल बैंकों तथा एमएमटीसी, एसटीसी आदि जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों को स्वर्ण आयात की अनुमति दी गई। योजना इस तरह बनाई गई थी, ताकि सोने के आयात पर प्रतिबंध लगे, निर्यात दायित्वों को लगाकर विदेशी मुद्रा संरक्षित की जा सके और सार्वजनिक एजेंसियों से सोने की खरीब और बिक्री पर प्रीमियम सुनिश्चित की जा सके।
लेकिन 21.05.2014 से प्रीमियर ट्रेडिंग हाऊसेज (पीटीएच) और स्टार ट्रेडिंग हाउसेज (एसटीएच) को भी 20:80 योजना के अंतर्गत सोने का आयात करने की अनुमति दी गई। तब के वित्त मंत्री ने 13.05.2014 को संशोधित योजना को स्वीकृति दी, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ 05.03.2014 से आदर्श आचार संहिता लागू थी और वोटों की गिनती 16.05.2014 को होनी थी। उस समय जब योजना घोषित की गई तब यह मालूम था कि घरेलू उपयोग के लिए सोने की कमी है और घरेलू उपभोक्ताओं पर प्रति ऑन्स एक सौ डॉलर से 150 डॉलर (लगभग दो लाख रुपये प्रति ग्राम) प्रीमियम लगाया जा रहा था। पीटीएच तथा एसटीएच जैसी निजी कंपनियों को सोने के आयात की इजाजत देकर इन कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ का अवसर प्रदान किया गया, क्योंकि सोने पर ऊंची प्रीमियम का लाभ अब इन एजेंसियों द्वारा उठाया जा रहा था। सीएजी ने यह टिप्पणी की है कि जून, 2014 से नवंबर, 2014 के दौरान 13 ट्रेडिंग हाऊसेज ने 282.77 एमटी सोने का आयात किया। इसका अर्थ यह है कि इस अवधि के दौरान दो लाख रुपये प्रति किलो ग्राम के प्रीमियम के हिसाब से इन कंपनियों ने 4500 करोड़ रुपये का प्रत्याशित मुनाफा कमाया और 80 प्रतिशत आयातित सोना प्रीमियम कमाने के लिए घरेलू बाजार में सप्लाई किया गया। यहां तक कि निर्यात दायित्व साधारण आभूषण यानी चूड़ियों तथा चेनों के निर्यात से पूरा किया जा रहा था और ये साधारण आभूषण पुनः आयात करने के उद्देश्य से मुखौटा कंपनियों के माध्यम से देश से बाहर के स्थानों पर फिर से गलाए जा रहे थे।
नई सरकार ने योजना की समीक्षा की। यह देखा गया कि मई, 2014 में उदारीकरण के बाद से रिकॉर्ड किए गए सोने के आयात में काफी यानी औसतन प्रतिमाह लगभग 140-150 टन की वृद्धि हुई थी। सोने के आयात में वृद्धि से एसटीएच/पीटीएच को अनुपात से अधिक लाभ हुआ। इन कंपनियों के आयात 320 प्रतिशत बढ़ गए थे। मई के पहले 20 प्रतिशत की तुलना में सभी आयात का 60 प्रतिशत आयात इन कंपनियों ने किया। यह लाभ वास्तव में उनके साथ पक्षपात करने से हुआ, क्योकिं विस्तारित 20:80 योजना से एसटीएच/पीटीएच को, जो ट्रेडर और निर्यातक (न केवल सोना बल्कि कोई भी वस्तु) थीं, को विशेष लाभ हुआ और वे इस योजना का लाभ उठाने की सबसे अच्छी स्थिति में थीं। इसलिए यह पाया गया कि मई, 2014 में एसटीएच/पीटीएच को दिया गया लाभ अनुचित था और उनके साथ किए गए पक्षपात को समाप्त करने की आवश्यकता थी। इसलिए नई सरकार ने भेदभाव समाप्त करने और आयात को उदार बनाने का साहसिक निर्णय लिया और 28.11.2014 को पूरी तरह से 20:80 योजना को समाप्त कर दिया। सरकार निश्चित रूप से वैसी परिस्थितियों की जांच करेगी कि क्यों पिछली सरकार द्वारा 20:80 योजना के अंतर्गत स्वर्ण आयात की अनुमति देकर निजी पार्टियों पीटीएच/एसटीएच को लाभ पहुंचाया गया, वह भी उस समय जब सरकार संक्रमण काल में थी। सरकार इसमें शामिल व्यक्तियों के खिलाफ आवश्यक कदम उठाएगी।
जहां तक ‘संस्थागत सर्राफा कारोबार’ से संबंधित अतारांकित प्रश्न संख्या 3700 का 13.08.2014 को दिए गए उत्तर का संबंध है, यह उत्तर स्वभाव में तथ्यपरक था और इसमें सराफा कारोबार को संस्थागत बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया गया था। 20:80 योजना ऐसा ही कदम था। प्रश्न के उत्तर से यह देखा जा सकता है कि योजना के गुण पर कोई राय इंगित नहीं की गई है। योजना के लिए औचित्य के आरोप या पीटीएच/एसटीएच को अनुमति देना पूरी तरह गलत हैं। सरकार द्वारा इस योजना की समीक्षा की गई और नवंबर, 2014 में योजना को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। किसी विशेष कंपनी या पीटीएच/एसटीएच जैसी कंपनियों पर 20:80 योजना उन्मूलन से हुए प्रभाव सरकार द्वारा निर्णय किया जाने वाला कोई नीतिगत विषय नहीं है। जैसा कि सीएजी द्वारा बताया गया है, 20:80 योजना की समाप्ति के बाद सोने का औसत मासिक आयात घटकर 71.50 एमटी हो गया (दिसंबर, 2014 से मार्च, 2015 तक)। सोने का आयात जून, 2014 से नवंबर, 2014 तक 92.16 एमटी था, जब 20:80 योजना के अंतर्गत पीटीएच/एसटीएच को सोना आयात करने की अनुमति थी। मई, 2014 में पीटीएच/एसटीएच को अनुमति देने से पहले अगस्त, 2013 से मई, 2014 के दौरान 20:80 के अंतर्गत यह आयात केवल 33.60 एमटी प्रति माह था।
इस तरह यह स्पष्ट है कि 20:80 योजना के उन्मूलन से पीटीएच/एसटीएच को प्रदान किया गया अनुचित लाभ समाप्त हुआ और सोने के आयात में कमी आई।
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